विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए

How to Earn Money Online in Hindi 2022 Best Tips
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How to Earn Money Online in Hindi 2022 :- आज के इस Social Media युग में हर कोई Internet का Use करता है लेकिन अगर थोड़ा सा ध्यान दें तो Earn Money Online भी कर सकते हैं. अपने खाली समय को अधिकतर लोग Social Media या इधर – उधर की Video देखकर बिताया करते हैं। जैसे – Video Game, Facebook, Instagram, Twitter, Pinterest, YouTube, WhatsApp तथा अन्य सारी Social Sites में अपना Time Pass किया करते हैं। Jio के आने के बाद तो लगभग सभी के हाथों में Smartphones आ चुके हैं और सभी Internet की दुनिया से परिचित हो गए हैं.
आप Internet को सिर्फ जानकारीयों का जरिया ही नहीं बल्कि कमाई यानि Online Earning / Earn Money Online का भी जरिया भी बना सकते हैं। आजकल ज्यादातर लोग Online Earning Money, Internet Se Paisa kaise Kamane ? के रास्ते तलाशते रहते हैं, ऐसे में Internet के जरिए आपके पास ऑनलाइन पैसे कमाने / Online Earning का अच्छा मौका है।
आज के इस Article में हम जानेंगे कि –
- How to Earn Money Online in Hindi 2022
- 10 Best Ways Earn Money Online Apply
- ऑनलाइन पैसे कैसे कमायें ?
- Internet से पैसे कैसे कमायें ?
- Mobile से पैसे कैसे कमायें ?
Table of Contents
How to Earn Money Online in Hindi 2022 (ऑनलाइन पैसे कैसे कमाएं इन हिंदी 2022)
आज के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में या फिर कोरोना काल के समय से लोगों का खाना-पीना- जीना यानि रहन-सहन बदल गया। अब हर कोई चाह रहा है कि वह कैसे अपने घर पर बैठे- बैठे कुछ पैसा कमा सके जिससे कि उसका रोजमर्रा की जिन्दगी अच्छा से चल सके।
दुनिया में बहुत सारे तरीके हैं Online Earning का लेकिन इसके लिए आपको इंतज़ार करना होगा। आज Earn Money Idea From Home in Hindi के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगें जिससे पढ़कर आप आसानी से Online Earning / Earn Money Online कर सकते हैं। यानि हम आपको वैसे तरीके बताने वाले हैं जिसमें बहुत कम समय में घर बैठे अपने Mobile से या Laptop से लाखों रुपये कमा सकते हैं।
10 Best Ways Earn Money Online in 2022 (ऑनलाइन पैसे कमाने के 20 बेहतरीन तरीके)
आज हम आपको 10 वैसे तरीके बता रहे हैं जिन से आप घर बैठे बस कुछ ही घण्टे काम कर के लाखों रुपये कमा सकते हैं , बस आपको तरीके जानने होंगे और उन तरीकों पर Dedicated होकर काम करना होगा। तो चलिए जानते हैं – 10 Best Ways Earn Money Online in 2022.
1. Freelancing Earn Money Online
How to Become Freelancing in Hindi :- किसी व्यक्ति की Talent या Skill के बदले में जो पैसा मिलता है, वही Freelancing कहलाता है और जो लोग Broker का काम करते हैं, उनको Freelancer कहते हैं। यानि दूसरे शब्दों में कहें तो अपने हुनर से काम करना और Earn Money Online / पैसे कमना ही Freelancing है और जो लोग ये मौका दिलाते हैं वे लोग Freelancer कहलाते हैं।
Freelancing विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए के द्वारा आप Part Time Job या Full Time Job कर सकते हैं, इसमें आपके Skill के हिसाब से पैसा मिलता है। आपका जो भी Skill या Talent आपको उस हिसाब से पैसे दिये जाते हैं हर क्षेत्र का अलग – अलग Rate है , आप Freelancing Websites में जाकर अपना Registration कर सकते हैं, जिससे Freelancing & Freelancer दोनों ही इसमें Register कर सकते हैं।
Freelancing Websites जिसमें आप Register कर सकते हैं :-
7. Online Live Tutorials Earn Money Online
How Become Online Live Tutorials in Hindi :- आज के Online युग में ज्यादातर लोग Online के माध्यम से ही सिखने का कोशिश करते हैं। जिसका फ़ायदा आप Online Live Tutorials से उठा सकते हैं और इसी से Earn Money Online कर सकते हैं। अगर आप Online पढ़ाने में रूचि रखते हैं तो आप Online Teacher बनकर बहुत सारे पैसे कमा / Earn Money Online सकते हैं।
आज महंगाई, कल मंदी
लगातार बढ़ विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए रही महंगाई सभी मुल्कों के लिए एक आर्थिक समस्या है, क्योंकि एक सीमा तक ही महंगाई पर नियंत्रण संभव होता है।
सांकेतिक फोटो।
परमजीत सिंह वोहरा
उसके बाद वह नियंत्रण से बाहर हो जाती है और इससे आर्थिक संकट निश्चित है। श्रीलंका में आर्थिक संकट की शुरुआत बढ़ती महंगाई से ही हुई थी और उसका अंत विदेशी मुद्रा भंडार की समाप्ति पर हुआ। कुछ वैश्विक कारणों से भारत के घरेलू बाजार में भी महंगाई बढ़ सकती है, जिसमें अमेरिका की घरेलू आर्थिक नीतियां मुख्य वजह होंगी।
महंगाई आम आदमी के लिए एक ऐसी समस्या है, जिसका आर्थिक विशेषज्ञों और नीति निर्धारकों के पास कोई निश्चित हल नहीं है। इसके आर्थिक दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ विकल्पों को सदा प्रयोग के तौर पर ही उपयोग किया जाता है, ताकि भविष्य में देश की एक अच्छी आर्थिक विकास दर का पूर्वानुमान लगाया जा सके। यह भी हकीकत है कि आम आदमी महंगाई की दरों से आतंकित तभी होता है जब लगातार महंगी होती चीजों का असर उसके व्यक्तिगत जीवन पर पड़ने लगता है। हर व्यक्ति अपनी आर्थिक आय का उपयोग मात्र दो उद्देश्यों के लिए करना चाहता है।
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एक, अपनी क्रय क्षमता को निरंतर बढ़ाने के लिए और दूसरा, आर्थिक निवेश के लिए। विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए चूंकि भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है और यहां आर्थिक समस्याएं सामाजिक वातावरण में इस तरह घुल-मिल चुकी हैं कि आर्थिक निवेश, क्रय क्षमता के सामने सदा गौण रहता है। वैश्वीकरण और निजीकरण के इस युग में जहां बाजार नई-नई घरेलू चीजों से भरा पड़ा है, आम आदमी कैसे अपने आप को खरीदारी की दौड़ में नियंत्रित करे। शायद महंगाई की शुरुआत यहीं से होती है।
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में महंगाई नकारात्मक रुख का प्रतीक है, क्योंकि इसकी मार समाज के सभी तबकों पर पड़ती है। इससे गरीब आदमी का गुजर-बसर मुश्किल हो जाता है, तो आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति के वित्तीय निवेश का मूल्य भी घट जाता है। सरकार के लिए भी यह एक आर्थिक परेशानी है, क्योंकि सामाजिक कल्याण योजनाओं पर वित्तीय खर्च बढ़ जाता है। महंगाई का कोई एक निश्चित कारक नहीं होता।
इसमें कई चीजें आपस में अंतर्निहित हैं, जैसे पेट्रोल और डीजल के मूल्यों में वृद्धि परिवहन लागत को बढ़ाती है, तो उससे अंतत: फलों और सब्जियों के मूल्य बढ़ते हैं। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के मूल्यों में भी बढ़ोतरी होती है। हालांकि इसमें मानसून से लेकर विभिन्न आर्थिक नीतियां भी शामिल होती हैं। देश में आर्थिक संकट तब गहन हो जाता है, जब बढ़ती महंगाई की दर से आर्थिक निवेश कम होने लगता है।
महंगाई की गणना भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर की जाती है। पिछले दिनों सरकार द्वारा थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के तहत सितंबर महीने में महंगाई की दर 10.7 फीसद थी। खाद्य पदार्थों में यह 11.3 फीसद, गेहूं में 16.09 फीसद, सब्जियों में 39.6 फीसद, फलों में 4.5 फीसद, दूध में 5.55 फीसद और आलू में 49 फीसद। जाहिर है कि बीते महीने विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का थोक मूल्य हमारे समाज में लगातार बढ़ता रहा। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) के हिसाब से देखें तो चालू वित्त वर्ष में यह दर लगातार बढ़ रही है। सितंबर में यह 7.41 फीसद रही।
चिंता की बात यह भी है कि इन दिनों त्योहारों का मौसम चल रहा है, जिसकी शुरुआत नवरात्रि में हुई। अब दिवाली का समय है तथा यह वर्ष के अंत तक चलेगा। इस दौरान हमारे समाज में खरीदारी करना एक शौक-सा बन गया है। घरेलू पदार्थों, इलेक्ट्रानिक, टेक्नोलाजी और वाहन आदि की मांग अत्यधिक रहती है। इससे निश्चित है कि इस त्योहारी मौसम में लगातार ऊपर जा रही महंगाई की दरों का आम आदमी की जेब पर बहुत असर पड़ने वाला है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी मार्च तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर महंगाई की दर आठ प्रतिशत के आसपास होने वाली है। आरबीआइ ने इस आर्थिक संकट का पूर्वानुमान लगाते हुए विभिन्न प्रकार के आर्थिक कदम उठाए हैं, जिनके तहत चालू वित्त वर्ष में अब तक चार दफा रेपो रेट बढ़ाया जा चुका है। इस संदर्भ में यह समझना भी अत्यंत आवश्यक है कि सन 2000 के दशक के शुरुआती दिनों में भारत में रेपो रेट दो अंकों के प्रतिशत में करता था और उसके बाद से लगातार इस दर में कमी होती रही।
2007 की वैश्विक मंदी के बाद से तो उसे लगभग चार फीसद के आसपास ही बरकरार रखा गया था, ताकि प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में बैंकों के माध्यम से अधिक से अधिक आर्थिक तरलता बनी रहे। इसका फायदा भी भारत की अर्थव्यवस्था को हुआ, क्योंकि इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में भारत की कंपनियों ने खूब मुनाफे कमाए और उसके माध्यम से आर्थिक विकास ने एक अच्छी गति पकड़ी। वर्तमान समय में यह दर 5.90 प्रतिशत है, जिससे स्पष्ट होता है कि आर्थिक नीतियों में महंगाई दर को नियंत्रित करना एक मुख्य मुद्दा है।
आने वाले समय में अमेरिकी फेडरल की तरह भारतीय बैंकों में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, ताकि उपभोक्ता आर्थिक निवेश की तरफ प्रोत्साहित हों। एक रिपोर्ट के मुताबिक रेपो रेट में पिछली दफा किए गए चालीस आधार अंकों की वृद्धि से भारतीय बाजार से तकरीबन सतासी हजार करोड़ रुपए की आर्थिक तरलता कम हुई थी, लेकिन उसके बावजूद महंगाई की दर में निरंतर वृद्धि होती रही है। यह एक आर्थिक चिंता का सबब बना हुआ है।
लगातार बढ़ रही महंगाई सभी मुल्कों के लिए एक आर्थिक समस्या है, क्योंकि एक सीमा तक ही महंगाई पर नियंत्रण संभव होता है। उसके बाद वह नियंत्रण से बाहर हो जाती है और इससे आर्थिक संकट निश्चित है। श्रीलंका में आर्थिक संकट की शुरुआत बढ़ती महंगाई से ही हुई थी और उसका अंत विदेशी मुद्रा भंडार की समाप्ति पर हुआ। महंगाई से पैदा हुआ आर्थिक संकट तुर्की में भी देखा गया। कुछ इसी तरह का आर्थिक संकट इन दिनों पाकिस्तान में भी चल रहा है। विकासशील देश आयात पर अधिक निर्भर रहते हैं, इसलिए उनके लिए महंगाई एक ऐसा संकट है, जिसे समय रहते काबू में करना अत्यंत आवश्यक है। कुछ वैश्विक कारणों से भारत के घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ सकती है, जिसमें अमेरिका की घरेलू आर्थिक नीतियां मुख्य वजह होंगी।
इन दिनों अमेरिका अत्यधिक महंगाई से परेशान है। वहां पर इसकी दर आठ फीसद है, जो कि पिछले पचास वर्षों में सबसे अधिक है। इसी कारण चालू वित्त वर्ष में अमेरिकी फेडरल ने पांच दफा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है, जिसके परिणाम स्वरूप अमेरिकी डालर की तुलना में रुपया लगातार कमजोर हो रहा है।
भारत के विदेशी व्यापार में आयात अधिक होता है और रुपए के कमजोर होने से लगातार भारत में विदेशी वस्तुओं की खरीदारी की लागत बढ़ेगी और इसका प्रभाव घरेलू बाजार में महंगाई के आंकड़ों पर भी पड़ेगा। भारत अपनी आवश्यकता का अस्सी फीसद कच्चा तेल आयात करता है और उसका भुगतान डालर में किया जाता है, इससे तेल के मूल्यों में हुई बढ़ोतरी भी घरेलू बाजार में महंगाई को प्रत्यक्ष रूप से बढ़ाएगी।
यहां पर एक बात समझ समझनी आवश्यक है कि आर्थिक विश्लेषण में महंगाई और मंदी को सदा सगी बहनों के रूप में देखना होता है। इन दोनों में महंगाई बड़ी बहन है, तो मंदी छोटी बहन। एक दफा अगर महंगाई की शुरुआत हो गई है, तो निश्चित रूप से आने वाले कुछ समय में मंदी उसका अनुसरण करेगी। जब महंगाई से प्रति व्यक्ति क्रय क्षमता कम होती चली जाएगी तो आर्थिक निवेश का मूल्य भी लगातार घटेगा।
इससे आखिर में प्रत्येक व्यक्ति अपने भविष्य के प्रति अनिश्चित रहने लगेगा और उसका आर्थिक नीतियों से विश्वास हिलेगा। वह अपनी व्यक्तिगत आर्थिक सुरक्षा के लिए कम से कम खरीदारी करने की कोशिश करेगा। यह मंदी की शुरुआत होगी और उससे आर्थिक संकट विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए निश्चित तौर पर बढ़ेगा।
NRI भी भारत में खरीद सकते हैं लाइफ इंश्योरेंस प्लान, इन बातों का रखें ध्यान
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के तहत अनिवासी भारतीय के साथ ही भारतीय मूल के लोगों को भी भारत में एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीदने की अनुमति दी गई है.
NRI के लिए भारतीय लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के कुछ बड़े फायदे होते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को रेग्युलर टर्म प्लान का तत्काल फायदा मिलता है.
अनिवासी भारतीय यानी एनआरआई व्यक्ति अब भारत में टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीद सकते हैं और इसके प्रीमियम भी दुनिया में सबसे कम होते हैं. वैसे तो यह एक अच्छी पहल है, लेकिन ऐसी कई बातें हैं जो एनआरआई व्यक्तियों को ऐसा प्लान खरीदते वक्त ध्यान में रखनी चाहिए.
एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस द्वारा कराए गए एक हालिया सर्वेक्षण में पता चला है कि लाइफ इंश्योरेंस एक ऐसा साधन है, जिसे लोग बीमा सुरक्षा में रहने के साथ ही एक सुरक्षा कवच बनाने के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता देते हैं.
पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के लाइफ इंश्योरेंश के चीफ बिजनेस आफिसर संतोष अग्रवाल ने एनआरआई द्वारा भारत में लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीद पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए भारतीय लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के कुछ बड़े फायदे होते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए मृत्यु लाभ (रेग्युलर टर्म प्लान) का तत्काल फायदा मिलता है. लाइफ इंश्योरेंस द्वारा ग्राहकों को एक कर मुक्त मृत्यु लाभ और संपत्ति निर्माण में सहायता भी की जाती है और यह उनके लिए अपनी वसीयत की योजना बनाने (होल लाइफ टर्म इंश्योरेंस) और अपने वारिस के लिए संपत्ति छोड़ जाने का एक उत्कृष्ट आर्थिक साधन भी बनता है. अच्छी बात यह है कि भारत में ऐसी कई प्रमुख लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां हैं जो एनआरआई व्यक्तियों को भी लाइफ इंश्योरेंस की पेशकश करती हैं.
NRI ले सकते हैं लाइफ इंश्योरेंस प्लान विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के तहत अनिवासी भारतीय के साथ ही भारतीय मूल के लोगों को भी भारत में एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीदने की अनुमति दी गई है. यह लोग, चाहे भारत में रहते हों या नहीं, खुद को और अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा करने की अपनी जरूरतों के अनुसार कोई भी प्लान खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं.
लाइफ इंश्योरेंस कवर के प्रीमियम के भुगतान की बात आने पर ऐसे व्यक्ति एक एनआरओ बैंक अकाउंट या एनआरई/एफसीएनआर बैंक अकाउंट के जरिये या फिर विदेशी मुद्रा में भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं. अगर आप विदेशी मुद्रा में भुगतान कर रहे हैं, तो पहले यह पता कर लें कि आपकी पॉलिसी किस मुद्रा में जारी की गई थी.
मेडिकल जांच जरूरी
भारत में टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के लिए एक एनआरआई व्यक्ति को अपने निवास के देश में मेडिकल परीक्षण कराना होगा और इसकी रिपोर्ट भारत में मौजूद बीमा कंपनी को भेजनी होगी. इन रिपोर्ट्स की जांच करने के बाद बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसी जारी करने और प्रीमियम राशि के बारे में अंतिम फैसला किया जाता है.
फोन पर भी हो सकता है मेडिकल
कुछ बीमा कंपनियां टर्म पॉलिसी जारी करने के लिए एनआरआई ग्राहकों को टेली-मेडिकल से गुजरने की अनुमति भी प्रदान करती हैं. इस प्रक्रिया में एनआरआई ग्राहक को फोन कॉल पर कुछ निश्चित सवाल पूछे जाते हैं और उसके आधार पर पॉलिसी जारी कर दी जाती है.
अगर किसी एनआरआई ने भारत की एक बीमा कंपनी से एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है, तो इस पॉलिसी के लिए बीमित व्यक्ति की मृत्यु को कवर करना अनिवार्य होगा, फिर चाहे यह घटना किसी भी देश में हो. पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर उसके लाभार्थियों को भुगतान किया जाने वाला मृत्यु लाभ पॉलिसी दस्तावेज में उल्लेखित मुद्रा में होगा, यानी कि या तो भारतीय रुपये में या फिर किसी अन्य विदेशी मुद्रा में. मृत्यु दावा करने के लिए पॉलिसी के नॉमिनी को पॉलिसी शर्तों के अनुसार सभी दस्तावेज जमा करने होंगे.
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गौरतलब है कि आवश्यक दस्तावेजों की सूची हर बीमा कंपनी के लिए अलग हो सकती है. दावा करने के लिए अनिवार्य कुछ आम दस्तावेजों में - पॉलिसी की कॉपी, बीमित व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र, नॉमिनी का पहचान प्रमाण समेत अन्य शामिल हैं. सबसे जरूरी बात यह है कि अगर बीमित व्यक्ति की मौत किसी दूसरे देश में होती है, तो उसके नॉमिनी को संबंधित देश के भारतीय दूतावास से औपचारिक रूप से मृत्यु प्रमाण पत्र सत्यापित करा कर जमा करना होगा.
विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए
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