फोंडेक्स ट्रेडिंग की स्थिति

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ
लंदन, 28 नवंबर (आईएएनएस)। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री 42 वर्षीय ऋषि सुनक 28 नवंबर की रात अपने भाषण में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संबंधों को गहरा करने के महत्व पर जोर दे सकते हैं। इसका मतलब है कि ब्रिटेन आपसी व्यापार और निवेश लाभ के लिए और चीनी विस्तारवादी प्रवृत्तियों का मुकाबला करने के लिए अन्य एशियाई देशों के बीच भारत के साथ रक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है।

अध्याय 9- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

उत्तर- जनवरी 1995 से गैट(GATT) के स्थान पर अस्तित्व में आए विश्व व्यापार संगठन (WTO) के आधारभूत कार्य निम्नलिखित है-
1) यह विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए नियमों को नियत करता है।
2) राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों का व्यवहार करता है।
3) यह सदस्य देशों के मध्य विवादों का निपटारा करता है।
4) विश्व व्यापार संगठन दूर संचार और बैंकिंग जैसी सेवाओं तथा अन्य विषयों जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार को भी अपने कार्यों में शामिल करता है।

उत्तर- किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन के गंभीर निहितार्थ होते हैं। एक ऋणात्मक भुगतान संतुलन का अर्थ होगा कि देश वस्तुओं के खरीदने अर्थात आयात पर अधिक खर्च करता है जबकि अपने सामानों के बेचने अर्थात निर्यात से कम आय अर्जित करता है। इसका सीधा संकेत है कि वह देश अपने विदेशी मुद्रा कोष में कमी की ओर बढ़ रहा है जो कमजोर आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।

उत्तर- 1) व्यापारिक समूह व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता और पूरकता के साथ देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध को हटाने के उद्देश्य से अस्तित्व में आए हैं।
2) इन व्यापार समूह का विकास प्रादेशिक व्यापार को गति देने में वैश्विक संगठनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ असफल होने के कारण हुआ है।
3) प्रादेशिक व्यापार समूह सदस्य राष्ट्रों में व्यापार शुल्क को हटा देते हैं तथा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देते हैं जैसे साउथ एशियन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट(साफ्टा)।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।

उत्तर-पत्तन तथा पोताश्रय को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश द्वार कहा जाता है क्योंकि इन्हीं पत्तनों के द्वारा व्यापारिक सामान तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं । किसी पत्तन के महत्व को नौभार के आकार और निपटान किए गए जहाजों की संख्या द्वारा निश्चित किया जाता है। एक पत्तन द्वारा निपटाया नौभार उसके पृष्ठ प्रदेश के विकास के स्तर का सूचक है।
पत्तन जहाज के लिए गोदी, लादने, उतारने तथा भंडारण हेतु सुविधाएँ प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से पत्तन के प्राधिकारी नौगम्य द्वारों का रख रखाव, रस्सों व बजरों(छोटी अतिरिक्त नौकाएँ) की व्यवस्थाएँ करते हैं। साथ ही श्रम एवं प्रबंधकीय सेवाओं को उपलब्ध करने की व्यवस्था करते हैं।
अवस्थिति के आधार पत्तनों का वर्गीकरण-
इस आधार पर पत्तनों को दो भागों में वर्गीकृत करते हैं –
1) अंतर्देशीय पत्तन
यह पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। यह समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही गम्य होते हैं। जैसे-
क) कोलकाता हुगली नदी पर अवस्थित पत्तन है।
ख) मैनचेस्टर एक नहर से जुड़ा हुआ है।
ग) मेंफिस मिसीसिपी नदी पर स्थित है।
घ) राइन नदी के अनेक पत्तन है जैसे- मैनहीम तथा ड्यूसबर्ग।

2) बाह्य पत्तन
यह गहरे जल के पत्तन है जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। यह उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में अक्षम है, को ग्रहण करके पैतृक पत्तन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ को सेवाएँ प्रदान करते हैं। जैसे- एथेंस पत्तन(यूनान) का पिरेइअस बाह्य पत्तन है।

उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यह विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है, यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाएँ।
सुविकसित परिवहन तथा संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का होना राष्ट्रों के लिए पारस्परिक लाभदायक होता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से लाभ-
1) प्रादेशिक विशिष्टीकरण-
भौतिक भूभाग, मृदा तथा जलवायु आदि की विभिन्नता के कारण विश्व में संसाधन असमान रूप से वितरित हैं। यही कारण है कि प्रादेशिक विशिष्टीकरण को बढ़ावा मिलता है और किसी विशिष्ट क्षेत्र में उत्पादित या मिलने वाले संसाधनों के दूसरे क्षेत्र में व्यापार की संभावनाएं बढ़ती है।
2) उत्पादन के उच्च स्तर- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ
विश्व स्तर पर वस्तुओं की मांग बने रहने के कारण प्रत्येक देश विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि करना चाहता है ताकि उसकी अधिक से अधिक आय हो। इससे प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलता है और वस्तुओं की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
3) उच्च रहन-सहन के स्तर-
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ जैसे खाद्य पदार्थ, खनिज पदार्थ, औद्योगिक उत्पाद आदि दुनिया के विभिन्न देशों में पहुंच रहे हैं जिससे जीवन स्तर भी उन्नत हुआ है तथा प्राकृतिक रुप से यदि संसाधनों का अभाव है तो वह भी दूर हुआ है।
4) वस्तुओं एवं सेवाओं की विश्व व्यापी उपलब्धता-
विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में भौतिक संरचना, जलवायु, मृदा आदि की विभिन्नता के कारण संसाधनों की उपलब्धता में अंतर मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद संसाधन कोई भी देश प्राप्त कर सकता है जिससे वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्ध विश्व व्यापी हो गई है।
5) कीमतों और वेतन का समानीकरण-
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से दुनिया के विभिन्न देशों में वस्तुओं की कीमतों पर भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। साथ ही श्रमिकों तथा कर्मचारियों के वेतन के समानीकरण को भी बढ़ावा मिलता अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ है।
6) ज्ञान एवं संस्कृति के प्रस्फुरण-
प्राचीन काल से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से दुनिया के विभिन्न देशों में ज्ञान एवं संस्कृति का आदान-प्रदान होता रहा है तथा इससे काफी परिवर्तन देखने को मिला है और विश्व लाभान्वित हुआ है। आज दुनिया एक वैश्विक ग्राम के रूप में नजर आ रही है तो इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

केंद्र सरकार ने भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सेटलमेंट की अनुमति दी

Central Government allows settlement of international trade in Indian Rupees

केंद्र सरकार ने भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटानों अर्थात चालान, भुगतान और भारतीय रुपये में निर्यात/आयात के निपटान के लिए विदेश व्यापार नीति तथा प्रक्रियाओं की पुस्तिका में उपयुक्त संशोधन किए हैं। इसी के अनुरूप, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने पहले ही दिनांक 11 जुलाई 2022 के भारतीय रिजर्व बैंक (डीआईआर) की परिपत्र संख्या 10 के अनुरूप चालान, भुगतान और भारतीय रुपये में निर्यात/आयात के निपटान की अनुमति देने के लिए दिनांक 16.09.2022 की अधिसूचना संख्या 33/2015-20 का पैरा 2.52(डी) लागू कर दिया।

उपरोक्त अधिसूचना की निरंतरता में, 11 जुलाई 2022 के भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय रुपये में निर्यात प्राप्तियों के लिए विदेश व्यापार नीति के तहत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ निर्यात लाभों/छूटों/ निर्यात बाध्यताओं की पूर्ति की मंजूरी के लिए विदेश व्यापार नीति के पैरा 2.53 के तहत परिवर्तन लागू किए गए हैं।

भारतीय रुपये में निर्यात प्राप्ति के लिए अद्यतन प्रावधानों को निर्यातों के लिए आयातों (एफटीपी का पैरा 2.46), स्थिति धारकों के रूप में मान्यता के लिए निर्यात निष्पादन (एफटीपीका पैरा 3.20), अग्रिम प्राधिकरण (एए) तथा शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (डीएफआईए) (एफटीपी का पैरा 4.21) के तहत निर्यात आय की प्राप्ति और निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तुओं (ईपीसीजी) स्कीम (एचबीपी का पैरा 5.11) के तहत निर्यात आय की प्राप्ति के लिए अधिसूचित किया गया है।

इसी के अनुसार, विदेश व्यापार नीति के तहत, लाभों/छूटों/निर्यात बाध्यताओं की पूर्ति को दिनांक 11 जुलाई 2022 के भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय रुपये में प्राप्ति के लिए विस्तारित कर दिया गया है। भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण में बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए, भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लेनदेनों को सुगम बनाने तथा उसमें सरलता लाने के लिए ये नीतिगत संशोधन आरंभ किए गए हैं।

Bihar Board Class 12 Geography notes | अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

13.4% रह गई । चाय का निर्यात घटकर केवल 1.0% रह गया । इस अवधि में कपास के निर्यात में भी गिरावट आई है। 1960-61 में कपास के निर्यात की भागीदारी 3.4% थी.जो घटकर 2000-01 में 0.1% रह गई । मछलियों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है । यह अब बढ़कर 0.7% से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ 3.1% हो गई है।

होता है । वस्तुओं का आयात विनिवेश, उत्पादन तथा निवेश के लिए भी किया जाता है। भारत के आयात व्यापार संघटन में निम्नलिखित वस्तुएँ सम्मिलित हैं-

हुआ । कुल निर्यात में इनकी भागीदारी 17.2 तथा 10.7% थी । अन्य प्रमुख वस्तुयें सूती वस्त्र, धागे, मशीनें, दवाइयाँ, सूक्ष्म रसायन और उपकरण आदि हैं । निम्न तालिका निर्यात संघटन को दर्शाती है।

व्यापार की मात्रा का परिणाम है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ प्रति व्यक्ति विदेशी व्यापार विकसित और अनेक विकासशील देशों की तुलना में काफी कम है ।

देश का आयात 2000-01 में बढ़ कर 227512 करोड़ रुपये मूल्य का था जबकि यह 1950- 51 में केवल 608 करोड़ रुपये का था इसी प्रकार निर्यात भी 606 करोड़ रुपये से बढ़कर 201674 करोड़ रुपये का हो गया ।

पहले भारत का व्यापार गिने-चुने देशों के साथ था लेकिन अब भारत 200 देशों को निर्यात तथा 180 देशों से आयात करता है ।

8. इलैक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर का निर्यात (Exporn of Electronics, Computer Hardware and Software)–भारत ने हाल ही में इन वस्तुओं के निर्यात में

में 8371330 मिलियन रुपये का हो गया । यह वृद्धि आयात निर्यात में हुई । आयात का मूल्य निर्यात के मूल्य से अधिक होता गया । पिछले कुछ वर्षों में व्यपार घाटे में भी वृद्धि हुआ । यह घाटा तेल के मूल्यों में वृद्धि होने के कारण हुआ । निर्यात संघटन की वस्तुओं में परिवर्तन होता जा रहा है । कृषि उत्पाद के भाग में गिरावट आयी है । तेल उत्पाद के आयात में वृद्धि हुई है।

परम्परागत वस्तुओं के व्यापार में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के कारण गिरावट आयी है । कृषि उत्पाद जैसे कहवा के निर्यात में कमी आयी है।

विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात में 2003-04 में 75.96% व्यापार इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में सुधार हुआ है।

का सामान, मशीनें, दवाइयाँ तथा हस्तशिल्प आदि । आयात की वस्तुयें हैं-बहुमूल्य और अल्पमूल्य रत्न, चाँदी, सोना, मशीनी उपकरण आदि । 2000-01 में रूस के साथ व्यापार में भागीदारी निर्यात में 2% तथा आयात में 1% थी।

Name recently developed ports one each on west and eastcoast. State the main purpose of their develoment.)

तथा 2000-01 में यह भागरीदारी 31% पहुँच गई । रसायन और रसायन यौगिकों की भागीदारी 2000-2001 तक 6.7% हो गई । उर्वरकों का भी आयात बढ़कर 5% हो गया तथा इसके विपरीत खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, दालें आदि के आयात में कमी आई।

(52%) का योगदान था । चाय निर्यात की प्रधान वस्तु हुआ करती थी लेकिन अब इसका महत्त्व घट गया है । चाय का निर्यात 2 लाख टन पर स्थिर बना हुआ है इसी प्रकार खनिज क्षेत्र ने भी अपना निर्यात बाजार खो दिया है।

घाना, हंगरी, ईरान, इटली, जापान, मॉरीशस, नीदरलैण्ड, नाइजीरिया, पोलैण्ड, फिलीपाइन सउदी अरब, सिंगापुर, श्री लंका, स्वीडन, स्विटजरलैण्ड, सीरिया, थाइलैण्ड, ब्रिटेन संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, रूस आदि ।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ

सुनक हिंद-प्रशांत के साथ संबंधों को गहरा करने के महत्व पर जोर दे सकते हैं

लंदन, 28 नवंबर (आईएएनएस)। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री 42 वर्षीय ऋषि सुनक 28 नवंबर की रात अपने भाषण में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संबंधों को गहरा करने के महत्व पर जोर दे सकते हैं। इसका मतलब है कि ब्रिटेन आपसी व्यापार और निवेश लाभ के लिए और चीनी विस्तारवादी प्रवृत्तियों का मुकाबला करने के लिए अन्य एशियाई देशों के बीच भारत के साथ रक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है।

सुनक हिंद-प्रशांत के साथ संबंधों को गहरा करने के महत्व पर जोर दे सकते हैं

लंदन, 28 नवंबर (आईएएनएस)। ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री 42 वर्षीय ऋषि सुनक 28 नवंबर की रात अपने भाषण में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संबंधों को गहरा करने के महत्व पर जोर दे सकते हैं। इसका मतलब है कि ब्रिटेन आपसी व्यापार और निवेश लाभ के लिए और चीनी विस्तारवादी प्रवृत्तियों का मुकाबला करने के लिए अन्य एशियाई देशों के बीच भारत के साथ रक्षा और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है।

बीजिंग और नई दिल्ली के बीच 1993 की शांति और शांति संधि के बाद से 2020 में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी बलों के प्रवेश के बाद भारतीय क्षेत्र के रूप में सम्मान दिया गया है, भारत की ओर से एक वर्ग मील से अधिक भूमि पर उनका कथित कब्जा है। इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा के रूप में जाना जाता है। ढाई साल तक पीछे हटने से इनकार करने के बाद ब्रिटेन ने चीनी सैन्य आंदोलनों की बेहतर निगरानी के लिए भारतीय सेना को उन्नत खुफिया जानकारी एकत्र करने वाली तकनीक की आपूर्ति की है।

सुनक को लंदन के गिल्डहॉल में वार्षिक लॉर्ड मेयर के भोज में टिप्पणी देने के लिए तैयार किया गया था। यह एक ब्रिटिश प्रीमियर के लिए व्यापारिक नेताओं, अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों और विदेश नीति विशेषज्ञों को संबोधित करने का अवसर है। सरकार का प्रमुख बनने के बाद विदेश नीति पर यह उनका पहला भाषण होगा।

रूस और चीन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था : हमारे विरोधी और प्रतिस्पर्धी लंबी अवधि के लिए योजना बनाते हैं। इन चुनौतियों के सामने, अल्पकालिकता और इच्छाधारी सोच पर्याप्त नहीं होगी।

इसका अर्थ है अपने मूल्यों और उस खुलेपन की रक्षा करने में मजबूत होना जिस पर हमारी समृद्धि निर्भर करती है। इसका अर्थ है घर में एक मजबूत अर्थव्यवस्था प्रदान करना - क्योंकि यह विदेशों में हमारी ताकत की नींव है। और इसका मतलब है अपने प्रतिस्पर्धियों के लिए खड़ा होना, भव्य बयानबाजी के साथ नहीं, बल्कि मजबूत व्यावहारिकता के साथ।

सुनक का संबोधन इस महीने की शुरुआत में मिस्र में सीओपी27 और इंडोनेशिया में जी20 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं के साथ उनकी बैठकों और पश्चिमी सैन्य गठबंधन नाटो के महासचिव, जेन्स स्टोलटेनबर्ग और यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लोदिमिर जेलेंस्की के साथ बैठकों के बाद आएगा।

सुनक ने आगे कहा था : स्वतंत्रता और खुलापन हमेशा प्रगति के लिए सबसे शक्तिशाली ताकतें रही हैं।

डाउनिंग स्ट्रीट ने इसका विवरण साझा नहीं किया कि वह इसे कैसे लागू करने की योजना बना रहा है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर उन्होंने कहा था : हम यूक्रेन के साथ तब तक खड़े रहेंगे, जब तक यह जरूरी है। यूक्रेन की रक्षा करके हम अपनी रक्षा करते हैं।

सुनक के कार्यालय के अनुसार, सुरक्षा, रक्षा, विकास और विदेश नीति से संबंधित ब्रिटेन की 2021 की एकीकृत समीक्षा को यह सुनिश्चित करने के लिए संशोधित किया जा रहा है कि यूरोपीय संघ से प्रस्थान के बाद और रूस चीन और ईरान जैसे देशों के कथित कार्यो के खिलाफ देश अत्याधुनिक स्थिति में रहे।

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