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फॉरवर्ड हेजिंग

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रिजर्व बैंक की अदला बदली योजना के बाद फॉरेक्स हेजिंग की लागत बढ़ी

केंद्रीय बैंक ओर से 10 फरवरी को सुपर डोविस मौद्रिक नीति लाए जाने के बाद विदेशी मुद्रा हेजिंग लागत में गिरावट आई थी लेकिन सोमवार को 5 अरब डॉलर के डॉलर-रुपया खरीद बिक्री अदला बदली नीलामी की घोषणा के बाद हेजिंग लागत की दिशा परिवर्तित हो गई। घोषणा के बाद 1 वर्ष के डॉलर-रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम में करीब 18 आधार अंकों का इजाफा हुआ लेकिन आज 4.19 फीसदी पर बंद होने के साथ इसमें कमी आई।

सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पबारी ने कहा, 'भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से खरीद बिक्री यूएसडीआरएनआर अदला बदली नीलामी की घोषणा के बाद यूएसडीआईएनआर फॉरवर्ड प्रीमियम में उछाल से दीर्घकालीन फॉरवर्ड प्रीमियम में वृद्घि होगी।'

उन्होंने कहा, 'मुख्य नीलामी 6 से 12 महीने और 12 से 24 महीने की खिड़की में नजर आई थी। इसने निर्यातकों को लंबी तारीख वाले फॉरवार्ड को बेचने के लिए आकर्षित किया जिससे उन्हें उच्च फॉरवर्ड प्रीमियम का लाभ मिलता। इसने यूएसडीआईएनआर के कारोबार में रुचि लेने वाले कुछ अन्य खिलाडिय़ों को भी आकर्षित किया। इस कदम का आयातकों पर असर तो पड़ा लेकिन अपेक्षाकृत कम क्योंकि आयातक सामान्यतया 3 महीने से अधिक रोक कर नहीं रखते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं कि उन्हें प्रीमियम स्वीकार करने वाले निर्यातकों के उलट फॉरवर्ड प्रीमियम का भुगतान करना होता है।'

फॉरर्वड प्रीमियम अनिवार्य रूप से दो मुद्राओं के मध्य ब्याज दर का अंतर होते हैं और फॉरवर्ड प्रीमियमों में बदलाव मुद्राओं के ब्याज दर में परिवर्तन के कारण होता है। फॉरवर्ड प्रीमियम में वृद्घि से कंपनियों के लिए उच्च हेजिंग लागत के संकेत मिलते हैं।

विश्लेषकों ने कहा कि खरीद बिक्री डॉलर रुपया अदला बदली नीलामी 8 मार्च को करवाई जाएगी। रिजर्व बैंक इसका इस्तेमाल बैंकिंग प्रणाली की तरलता को आसान करने के लिए युक्तिसंगत रूप से एक उपकरण के तौर पर किया जाएगा।

एमके ग्लोबल में प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी पुरी ने रिजर्व बैंक की तरफ से अदला बदली की घोषणा के बाद कहा, 'यदि इस उपकरण का उपयोग बार बार किया जाता है तो इससे फॉरवर्ड प्रीमियम पर दबाव पड़ सकता है और आईएनआर कैरी और रिटर्न में सुधार हो सकता है।'

इसके अलावा, अदला बदली नीलामी का मकसद मार्च में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और अन्य कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम से पहले आने वाले बड़े आगम को प्रबंधित करना भी है। आगम 15 अरब डॉलर से 18 डॉलर के बीच रहने की उम्मीद है।

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विदेशी मुद्रा हेजिंग में विशिष्ट विदेशी मुद्रा स्थितियों फॉरवर्ड हेजिंग द्वारा उत्पन्न जोखिम को ऑफसेट करने के लिए हेजिंग उपकरणों की खरीद शामिल है। ऑफसेटिंग मुद्रा एक्सपोजर खरीदकर हेजिंग पूरा किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी की छह महीने में 1 मिलियन यूरो देने की देनदारी है, तो वह उसी तारीख को 1 मिलियन यूरो खरीदने के अनुबंध में प्रवेश करके इस जोखिम को कम कर सकती है, ताकि वह उसी मुद्रा में खरीद और बिक्री कर सके। एक ही तारीख। विदेशी मुद्रा हेजिंग में संलग्न होने के कई तरीके यहां दिए गए हैं:

  • एक विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गित ऋण. जब किसी कंपनी को अपनी घरेलू मुद्रा में संपत्ति और देनदारियों के अनुवाद से नुकसान दर्ज करने का जोखिम होता है, तो वह कार्यात्मक मुद्रा में ऋण प्राप्त करके जोखिम को कम कर सकता है जिसमें संपत्ति और देनदारियां दर्ज की जाती हैं। इस बचाव का प्रभाव सहायक की शुद्ध संपत्ति के अनुवाद पर ऋण के अनुवाद पर लाभ के साथ या इसके विपरीत किसी भी नुकसान को बेअसर करना है।
  • वायदा अनुबंध. एक फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट एक ऐसा समझौता है जिसके तहत एक व्यवसाय एक निश्चित भविष्य की तारीख पर और एक पूर्व निर्धारित विनिमय दर पर एक निश्चित मात्रा में विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए सहमत होता है। एक वायदा अनुबंध में प्रवेश करके, एक कंपनी यह सुनिश्चित कर सकती है कि एक निश्चित विनिमय दर पर एक निश्चित भविष्य की देयता का निपटारा किया जा सकता है।
  • भविष्य अनुबंध. एक वायदा अनुबंध एक आगे के अनुबंध की अवधारणा के समान है, जिसमें एक व्यवसाय भविष्य की तारीख में एक विशिष्ट कीमत पर मुद्रा खरीदने या बेचने के लिए एक अनुबंध में प्रवेश कर सकता है। अंतर यह है कि वायदा अनुबंधों का एक एक्सचेंज पर कारोबार होता है, इसलिए ये अनुबंध मानक मात्रा और अवधि के लिए होते हैं।
  • मुद्रा विकल्प. एक विकल्प अपने मालिक को एक निश्चित तिथि पर या उससे पहले एक निश्चित कीमत (स्ट्राइक प्राइस के रूप में जाना जाता है) पर संपत्ति खरीदने या बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
  • सिलेंडर विकल्प. सिलेंडर विकल्प बनाने के लिए दो विकल्पों को जोड़ा जा सकता फॉरवर्ड हेजिंग है। एक विकल्प की कीमत लक्ष्य मुद्रा के मौजूदा हाजिर मूल्य से अधिक है, जबकि दूसरे विकल्प की कीमत हाजिर कीमत से कम है। एक विकल्प का प्रयोग करने से होने वाले लाभ का उपयोग दूसरे विकल्प की लागत को आंशिक रूप से ऑफसेट करने के लिए किया जाता है, जिससे बचाव की समग्र लागत कम हो जाती है।

किसी को यह तय करना चाहिए कि हेज में जोखिम का कितना अनुपात है, जैसे बुक किए गए एक्सपोजर का 100% या पूर्वानुमानित एक्सपोजर का 50%। पूर्वानुमानित अवधियों के लिए यह धीरे-धीरे गिरते हुए बेंचमार्क बचाव अनुपात इस धारणा पर उचित है कि पूर्वानुमान सटीकता का स्तर समय के साथ घटता है, इसलिए कम से कम जोखिम फॉरवर्ड हेजिंग की न्यूनतम राशि के खिलाफ बचाव जो होने की संभावना है। कम अपेक्षित अस्थिरता के साथ एक उच्च-विश्वास मुद्रा पूर्वानुमान को उच्च बेंचमार्क हेज अनुपात के साथ मिलान किया जाना चाहिए, जबकि एक संदिग्ध पूर्वानुमान बहुत कम अनुपात को सही ठहरा सकता है।

कमोडिटी में हेजिंग के क्या हैं फायदे, समझिए हेजिंग और रिस्क मैनेजमेंट का गणित !

हेजिंग और रिस्क मैनेजमेंट समझकर कमोडिटी मार्केट में आप भारी उतार-चढ़ाव के बीच भी नुकसान से बचा जा सकता है।

कमोडिटी मार्केट में हम हेजिंग पर डिटेल्स में बात करेंगे। हम आपको हेजिंग और रिस्क मैनेजमेंट का पूरा गणित समझाने की कोशिश करेंगे जिसका फायदा उठाकर कमोडिटी मार्केट में आप भारी उतार-चढ़ाव के बीच भी नुकसान से बच सकते हैं। इसके अलावा आज के एपिसोड में OPEN INTERST पर भी फोकस होगा।

फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के जरिए भविष्य के किसी तय समय पर कमोडिटी खरीदने/बेचने का कानूनी करार होता है।

एसेट के मौजूदा भाव पर संभावित लेनदेन पूरा करने के लिए 2 पार्टी में करार होता है उसेऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट कहा जाता है।

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भविष्य के तय समय, कीमत पर 2 पार्टी में खरीद/बिक्री का कस्टमाइज करार ही फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट कहलता है।

हेजिंग किसी कमोडिटी की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से नुकसान से बचने का तरीका है। कमोडिटी बाजार हो या शेयर बाजार, सिक्योरिटी या कमोडिटी से रिटर्न की गारंटी नहीं होती है। इसकी वजह यह है कि किसी को पता नहीं होता कि भविष्य में किसी सिक्योरिटी या कमोडिटी की कीमत चढ़ेगी या गिरेगी। इससे उन लोगों का जोखिम बढ़ जाता है, जो किसी कमोडिटी का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए चिप्स बनाने के लिए आलू का इस्तेमाल करने वाला उद्यमी. इसलिए निवेशक या कारोबारी जोखिम कम करने के लिए हेजिंग का सहारा लेते हैं। हेजिंग से नुकसान की संभावना काफी कम हो जाती है।

हेजिंग क्यों जरूरी

हेजिंग से कैश फ्लो, मार्जिन और EARNINGS में सहायता मिलती है। फिक्स प्राइसिंग के जरिए मार्केट शेयर बढ़ा सकते हैं। वहीं इसके जरिए कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाव किया जा सकता है। बेहतर क्रेडिट प्रोफाइल से सस्ता कर्ज मिलने में आसानी होती है। घरेलू मार्केट के मुकाबले ग्लोबल मार्केट में ज्यादा ओपन इंट्रेस्ट होता है।

हेजिंग में चुनौतियां

हेजिंग में कई तरह की चुनौतियां है। लोगों में जागरुकता की कमी, लोगों को खर्चीला लगता है, वित्तीय जानकारी की कमी और हाजिर बाजार पर ज्यादा निर्भरता के कारण लोगों को हेजिंग चुनौती पूर्ण लगता है।


घरेलू एक्सचेंज में इन कंपनियों की हेजिंग

घरेलू एक्सचेंज में Hindustan Unilever, Adani Enterprises, Titan, Jayant Agro, Ruchi Soya, Godrej और Tyson इन कंपनियों की हेजिंग है।

सहमे आयातकों ने शुरू की करेंसी हेजिंग

पिछले एक महीने में रुपये के उतार-चढ़ाव से चिंतित आयातकों ने हेजिंग शुरू कर दी है, जिससे रुपया-डॉलर फॉरवर्ड प्रीमियम दरें धीरे-धीरे ऊपर जाने लगी हैं। फॉरवर्ड प्रीमियम हाजिर एक्सचेंज की दर से अधिक वह धनराशि है, जो किसी व्यक्ति को भविष्य की तारीख पर विशेष विनियम दर का करार करने के लिए चुकानी पड़ती है। तीन महीने की फॉरवर्ड प्रीमियम दर पिछले एक महीने में करीब 20 आधार अंक बढ़ गई है क्योंकि इस अवधि में रुपया 63.80 प्रति डॉलर से 65.36 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया है। करेंसी डीलरों का कहना है कि हेजिंग इंस्ट्रुमेंट और अवधि की तरजीह में भी धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है।

करेंसी सलाहकार कंपनी आईएफए ग्लोबल के प्रमुख अभिषेक गोयनका ने कहा, 'आयातक फिर से बाजार में आ रहे हैं और हम देख रहे हैं कि 65 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर काफी हेजिंग हो रही है।' गोयनका के मुताबिक समझदार आयातक पहले ऑप्शन का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसमें फॉरवर्ड खरीदारी की तुलना में कम लागत आती है। हालांकि अगर कोई करेंसी एक स्तर से अधिक गिरती है तो ऑप्शन में कोई सुरक्षा नहीं है। हाल में रुपये में भारी उतार-चढ़ाव से बहुत से आयातक डरकर फॉरवर्ड के बारे में विचार करने को बाध्य हुए हैं। करेंसी डीलरों का कहना है कि जब रुपया मजबूत बना हुआ था, तब एक महीने के खंड में छिटपुट हेजिंग होती थी, लेकिन अब तीन महीने के खंड में नियमित रूप से हेजिंग हो रही है। एक ट्रेजरी कंसल्टेंसी फर्म क्वांटआर्ट मार्केट्स सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक समीर लोढा कहते हैं कि हेजिंग में ज्यादा अनुशासन होना चाहिए।

लोढा ने कहा, 'हालांकि एक अच्छी चीज यह है कि निर्यातकों और आयातकों दोनों ने हेजिंग को गंभीरता से लिया है। पहले यह मुख्यतया एकतरफा होती थी।' करेंसी बाजार के एक विशेषज्ञ अनंत नारायण जी कहते हैं कि पिछले कुछ समय के दौरान आयातकों में हेजिंग अनुशासन खत्म हुआ था क्योंकि रुपया लगातार मजबूत बना हुआ था। लेकिन अब वे फिर से वापस आ रहे हैं।

अनंत नारायण ने कहा, 'इस साल की शुरुआत से ही अनहेज्ड विदेशी विनिमय जोखिमों में बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह यह थी कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बाजार में तगड़ा हस्तक्षेप किया था और हाजिर एवं और फॉरवर्ड बाजारों से डॉलर की खरीदारी की थी।' उन्होंने कहा, 'हालांकि सितंबर में आरबीआई डॉलर का शुद्ध बिकवाल रहा और उसने संभवतया 5 अरब डॉलर की बिक्री की। यह बिक्री आयातकों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हेजिंग मांग पूरी करने के लिए की गई।'

हेजिंग में बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि रुपये पर दबाव है। मगर बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा 10 करेंसी डीलरों और ट्रेजरी प्रमुखों पर किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि रुपया बहुत तेजी से नहीं गिरेगा। इस सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने कहा कि इस साल दिसंबर तक रुपया 66 प्रति डॉलर तक आ सकता है। हालांकि आरबीआई रुपये की तेज गिरावट पर अंकुश लगाने की क्षमता रखता है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या केंद्रीय बैंक करेंसी के बचाव में आक्रामक कदम उठाता है। आधिकारिक रूप से आरबीआई रुपये के स्तर के बचाव के लिए नहीं बल्कि उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है।

हेजिंग

बैंक ऑफ बड़ौदा में एक पूर्ण ग्लोबल ट्रेजरी जो कि प्रमुख विदेशी मुद्राओं में विभिन्न विदेशी मुद्रा हेजिंग सुविधाएं ऑफर करता है। बीओबी ट्रेजरी प्लेन वैनिला फॉरवर्ड कवर के साथ-साथ विकल्प, मुद्रा स्वैप, और ब्याज दर स्वैप और फॉरवर्ड रेट समझौते जैसे डेरिवेटिव प्रदान करता है.

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