जब शेयर मार्केट गिरता है

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
तेजी और मंदी शेयर बाजार का चरित्र है, क्या ये फिर गिरेगा
बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज | फाइल फोटो
पिछले दिनों भारतीय शेयर बाजार ने चमक बिखेर दी और सेंसेक्स 60,000 के पार तो हो गया लेकिन उसने यह सवाल भी खड़ा किया कि क्या इन बुलंदियों पर जाने के बाद यह अब धराशायी हो जाएगा? उसके इस रिकॉर्ड ऊंचाई पर जाने के बाद तरह-तरह की आशंकाएं खड़ी हो गईं हैं. हालांकि पिछले हफ्ते इसमें पांच हफ्तों के बाद गिरावट आई और यह 1282 अंक गिरकर 58,766 पर चला गया. निफ्टी में भी 321 अंकों की गिरावट आई और 17,532 अंकों पर था.
इससे पहले कि यह बहस तेज हो कि क्या यह गिरावट स्थायी है, सोमवार को सेंसेक्स में 625 अंकों की बढ़ोत्तरी हो गई.
लेकिन विशेषज्ञ यहां मानते हैं कि शेयर बाज़ार के इन ऊंचाइयों पर जाने की कोई ठोस वजह नहीं है. यह या तो अति उत्साह में की गई खरीदारी है या सटोरियों का खेल. अगर हम ध्यान से देखें तो इस समय निवेश के सारे रास्ते बंद हो गये हैं. रियल एस्टेट मंदी के भीषण दौर से गुजर रहा है, सोना नई ऊंचाइयों पर जाने के बाद नीचे तो आया है लेकिन इतना भी नहीं कि खरीदारी हो सके, सरकारी बांडों और ऋण बाजारों में भी खास रिटर्न नहीं है. फिक्स्ड डिपॉजिट में ब्याज दरें इतनी कम हो गईं हैं कि यह निरर्थक हो गया है. सच तो है कि महंगाई की दर इतनी ज्यादा हो गई है कि उसके कारण डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज निगेटिव में चला गया है. इसका मतलब हुआ कि अब फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे डालने का कोई फायदा नहीं है. तो फिर सेविंग के जरिये कमाने का क्या जरिया बचता है? शेयर बाजार और उस पर आधारित म्यूचुअल फंड. यही कारण है कि निवेशक इनमें बड़े पैमाने पर धन लगा रहे हैं. इन दोनों ने निवेशकों को निराश नहीं किया और अच्छा रिटर्न भी दिया है. सिर्फ इस साल ही सेंसेक्स 13,000 अंकों से भी ज्यादा बढ़ गया है. उधर म्यूचुअल फंडों में कई तो ऐसे हैं जिन्होंने 50 प्रतिशत से भी ज्यादा रिटर्न दे दिया है.
उभरती अर्थव्यवस्था, भारत और एफडीआई
लेकिन लाख टके का सवाल है कि क्या सिर्फ इस कारण से ही शेयर बाजार इतना ऊपर चला गया? इसके कई उत्तर हैं. सबसे बड़ा फैक्टर है, सारी दुनिया में ब्याज दरों का गिरना. इस समय अमेरिका और पश्चिमी देशों और जापान वगैरह में ब्याज दरें शून्य पर हैं. भारत में भी यह अपने न्यूनतम पर हैं. ऐसे में निवेशक बैंकों से पैसा लेकर या वहां जमा न कर भारतीय शेयर बाजारों में लगा रहे हैं. विदेशी वित्तीय संस्थान और एनआरआई ने भी निवेश किया. इस बात का अंदाजा इसी से मिलता है कि 2021-22 (जून) में यहां के वित्तीय बाजारों में उन्होंने 4433 करोड़ रुपए का निवेश किया है. यह राशि बाजार में आग लगाने का काम कर रही है.
दरअसल, इस समय उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में निवेश के लिए उपयुक्त स्थानों में भारत ऊंचे स्थान पर है. इस समय यहां निवेश करना विदेशी निवेशकों के लिए फायदे का सौदा है. यहां की तमाम परिस्थितियां उनके अनुकूल हैं. ऐसे में निवेशक आश्वस्त भाव से निवेश कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि लगातार तीसरे साल भी विदेशी निवेशकों ने भारत में कुल कुल 9 अरब डॉलर निवेश कर दिया है.
राजनीतिक अर्थव्यवस्था और अर्थव्यवस्था
मतलब साफ है कि तेजी से भागते बाजार को कभी भी ब्रेक लग सकता है और यह कभी भी औंधे मुंह गिर सकता है. कुछ एनालिस्ट मानते हैं कि अब बाजार के 10 से 25 प्रतिशत तक गिरने की संभावना बनती जा रही है क्योंकि यह ठोस जमीन पर खड़ा नहीं है.
एक बात और जो याद रखनी चाहिए कि शेयर बाजार अवधारणाओं या सेंटिमेंट पर चलते हैं. ये काफी आगे तक के फैक्टर को डिस्काउंट कर लेते हैं. इस बार भी ऐसा हो रहा है. देश में राजनीतिक स्थिरता है और अर्थव्यवस्था ‘वी’ शेप में ऊपर की ओर जा रही है. इसलिये भी निवेशक यहां पैसे लगा रहे हैं.
एक बात जो देखने की है और वह यह कि इस समय बीएसई या निफ्टी में बड़े पैमाने पर शेयर ऐसे हैं जो बढ़े ही नहीं, बढ़े तो नाम भर के ही जबकि उनकी कंपनियां काम अच्छा ही कर रही हैं. दूसरी ओर कुछ शेयर ऐसे हैं जो अपने अधिकतम पर हैं या जब शेयर मार्केट गिरता है फिर दोगुनी कीमत के हो गये हैं. यानी यह एक बड़ा विरोधाभास है.
Share Market में अलग अलग रंगों का महत्व
Share Market में अलग अलग रंगों का महत्व और उनके अर्थ, कभी शेयर की कीमत या बाजार का सुचकांक लाल में दिखाया जाता है और कभी हरे रंग में। कभी किसी शेयर को ब्ल्यू चिप बोलते हैं तो कभी बोलते हैं कि शेयर पिंक हैल्थ में है। आपको भी यदि समझ नहीं आता कि शेयर मार्केट में अलग अलग रंगों का महत्व क्या है और इनके प्रायोग का तात्पर्य क्या है तो आज हम इसी पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
शेयर मार्केट में अलग अलग रंगों का महत्व
Share Market में अलग अलग रंगों का जब शेयर मार्केट गिरता है महत्व
हमारे जीवन को रंग ही मजेदार बनाते हैं। शेयर ट्रेडिंग की स्क्रीन पर भी ऐसे ही रंग बिखरे रहते हैं। आपने भी टीवी पर शेयर बाजार के समाचारों में देखा होगा शेयरों की कीमतें लाल और हरे तीरों से चिन्हित की होतीं हैं। या कई बार सुना होगा, निफ्टी लहु लुहान हो गया या सेंसेक्स हरे में बंद हुआ। इसी प्रकार शेयर बाजार के टिकर पर भी शेयरों की कीमतों को लाल और हरे रंग से दर्शाया जाता है।यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।
हरा रंग खुशी और समृद्धी का प्रतीक है और लाल रंग क्रोध का।
शेयर बाजार में लाल और हरा
शेयर की कीमत हरे रंग में दिखे तो इसका मतलब है कि शेयर पिछले दिन की क्लोजिंग के मुकाबले बढ़ कर खुला है या पिछली ट्रेडिंग के मुकाबले बढ़ कर ट्रेड हुआ जब शेयर मार्केट गिरता है है। ऐसे ही जब शेयर गिरता है तो लाल रंग में दिखाया जाता है। आम तौर पर, जब हम समाचार या अन्य प्लेटफार्मों में शेयर कीमतों को देखते हैं तो हम इन हरे और लाल टिकर्स को संख्याओं के साथ देखेंगे। संख्याएं उस विशेष स्टॉक के वर्तमान शेयर मूल्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन शेयर कीमतों का रंग हरा या लाल इंगित करता है कि शेयर में पिछले सौदे के बाद मूल्य में कीमत में वृद्धि या कमी आई है। तो यदि कीमत ग्रीन है तो शेयर की कीमत बढ़ी है और यदि लाल है तो शेयर की कीमत घट गई है।
Share Market की पिंक हेल्थ
इसी प्रकार किसी कंपनी के बारे में कहा जाता है कि वह पिंक हेल्थ में है तो इसका मतलब है कि कंपनी के नतीजे अच्छे आये हैं और कंपनी की आर्थिक हालत अच्छी है। गुलाबी अक्सर सकारात्मक दृष्टिकोण इंगित करता है या एक भावना का प्रतीक है कि आशावादी होने का एक अच्छा कारण है। जब वित्तीय संदर्भ में उपयोग किया जाता है, तो यह वाक्यांश सकारात्मक, आकर्षक स्थिति या मूल्य स्थिति को इंगित करता है। यहां पढ़ें FMCG शेयर क्या होते हैं।
ब्लू चिप स्टॉक और स्वस्थ अर्थव्यवस्थाएं पिंक या रोज़ी वित्तीय स्थितियों के उदाहरण हैं। इस शब्द का जब शेयर मार्केट गिरता है अक्सर प्रयोग किया जाता है जब आर्थिक स्थितियां सुधार के संकेत दिखाती हैं, या जब अर्थव्यवस्था जल्दी से ग्रोथ की स्थिति में आगे बढ़ रही है। पिंक अर्थव्यवस्थाएं बदले में यह ब्लू-चिप कंपनियों को बढ़ावा देती हैं।
Share Market में ब्लू चिप स्टॉक
ब्लू चिप एक राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त, अच्छी तरह से स्थापित, और वित्तीय रूप से अच्छी कंपनी को कहते है। ब्लू चिप कंपनियां आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाले, व्यापक रूप से स्वीकृत उत्पादों और सेवाओं को बेचतीं हैं। ब्लू चिप कंपनियां प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों में भी लाभप्रद परिचालन करती हैं, जो स्थिर और विश्वसनीय विकास के अपने लंबे रिकॉर्ड में योगदान करने में मदद करती है।
“ब्लू चिप” नाम पोकर के खेल से आया था जिसमें ब्लू चिप्स की गोटी का उच्चतम मूल्य होता है।
Share Market में अलग अलग रंगों का महत्व
Share Market में अलग अलग रंगों का महत्व और उनके अर्थ, कभी शेयर की कीमत या बाजार का सुचकांक लाल में दिखाया जाता है और कभी हरे रंग में। कभी किसी शेयर को ब्ल्यू चिप बोलते हैं तो कभी बोलते हैं कि शेयर पिंक हैल्थ में है। आपको भी यदि समझ नहीं आता कि शेयर मार्केट में अलग अलग रंगों का महत्व क्या है और इनके प्रायोग का तात्पर्य क्या जब शेयर मार्केट गिरता है है तो आज हम इसी पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
शेयर मार्केट में अलग अलग रंगों का महत्व
Share Market में अलग अलग रंगों का महत्व
हमारे जीवन को रंग ही मजेदार बनाते हैं। शेयर ट्रेडिंग की स्क्रीन पर भी ऐसे ही रंग बिखरे रहते हैं। आपने भी टीवी पर शेयर बाजार के समाचारों में देखा होगा शेयरों की कीमतें लाल और हरे तीरों से चिन्हित की होतीं हैं। या कई बार सुना होगा, निफ्टी लहु लुहान हो गया या सेंसेक्स हरे में बंद हुआ। इसी प्रकार शेयर बाजार के टिकर पर भी शेयरों की कीमतों को लाल और हरे रंग से दर्शाया जाता है।यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।
हरा रंग खुशी और समृद्धी का प्रतीक है और लाल रंग क्रोध का।
शेयर बाजार में लाल और हरा
शेयर की कीमत हरे रंग में दिखे तो इसका मतलब है कि शेयर पिछले दिन की क्लोजिंग के मुकाबले बढ़ कर खुला है या पिछली ट्रेडिंग के मुकाबले बढ़ कर ट्रेड हुआ है। ऐसे ही जब शेयर गिरता है तो लाल रंग में दिखाया जाता है। आम तौर पर, जब हम समाचार या अन्य प्लेटफार्मों में शेयर कीमतों को देखते हैं तो हम इन हरे और लाल टिकर्स को संख्याओं के साथ देखेंगे। संख्याएं उस विशेष स्टॉक के वर्तमान शेयर मूल्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन शेयर कीमतों का रंग हरा या लाल इंगित करता है कि शेयर में पिछले सौदे के बाद मूल्य में कीमत में वृद्धि या कमी आई है। तो यदि कीमत ग्रीन है तो शेयर की कीमत बढ़ी है और यदि लाल है तो शेयर की कीमत घट गई है।
Share Market की पिंक हेल्थ
इसी प्रकार किसी कंपनी के बारे में कहा जाता है कि वह पिंक हेल्थ में है तो इसका मतलब है कि कंपनी के नतीजे अच्छे आये हैं और कंपनी की आर्थिक हालत अच्छी है। गुलाबी अक्सर सकारात्मक दृष्टिकोण इंगित करता है या एक भावना का प्रतीक है कि आशावादी होने का एक अच्छा कारण है। जब वित्तीय संदर्भ में उपयोग किया जाता है, तो यह वाक्यांश सकारात्मक, आकर्षक स्थिति या मूल्य स्थिति को इंगित करता है। जब शेयर मार्केट गिरता है यहां पढ़ें FMCG शेयर क्या होते हैं।
ब्लू चिप स्टॉक और स्वस्थ अर्थव्यवस्थाएं पिंक या रोज़ी वित्तीय स्थितियों के उदाहरण हैं। इस शब्द का अक्सर प्रयोग किया जाता है जब आर्थिक स्थितियां सुधार के संकेत दिखाती हैं, या जब अर्थव्यवस्था जल्दी से ग्रोथ की स्थिति में जब शेयर मार्केट गिरता है आगे बढ़ रही है। पिंक अर्थव्यवस्थाएं बदले में यह ब्लू-चिप कंपनियों को बढ़ावा देती हैं।
Share Market में ब्लू चिप स्टॉक
ब्लू चिप एक राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त, अच्छी तरह से स्थापित, और वित्तीय रूप से अच्छी कंपनी को कहते है। ब्लू चिप कंपनियां आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाले, व्यापक रूप से स्वीकृत उत्पादों और सेवाओं को बेचतीं हैं। ब्लू चिप कंपनियां प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों में भी लाभप्रद परिचालन करती हैं, जो स्थिर और विश्वसनीय विकास के अपने लंबे रिकॉर्ड में योगदान करने में मदद करती है।
“ब्लू चिप” नाम पोकर के खेल से आया था जिसमें ब्लू चिप्स की गोटी का उच्चतम मूल्य होता है।
Stock market cruel truth-शेयर बाजार का सबसे कड़वा सच -in Hindi
Stock market एक ऐसी जगह है जहाँ कोई भी व्यक्ति धन-संपत्ति अर्जित कर सकता है। दुनिया में ऐसे बहुत से व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने शेयर बाजार से अपार धन कमाया है,इसके साथ ही बहुत से लोगों ने इसमें अपना धन गंवाया भी है। शेयर बाजार से कोई कितना भी धन कमाले। लेकिन इसकी कड़वी सच्चाई भी है,जिसके बारे में कोई भी निवेशक तथा विश्लेषक बात जब शेयर मार्केट गिरता है नहीं करना चाहता। आज की पोस्ट इसी बारे में है कि stock market cruel truth-शेयर बाजार का सबसे कड़वा सच क्या है?
1.नब्बे प्रतिशत से ज्यादा लोग शेयर बाजार में पैसा गवांते हैं:
Stock market की यह सबसे कड़वी है कि यहाँ 90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को नुकसान उठना पड़ता है। इसका मुख्य कारण यह है कि ज्यादातर लोग ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग करने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च अथवा विश्लेषण नहीं करते,किसी अन्य की सलाह से ट्रेडिंग या इन्वेस्टिंग करते हैं।
ज्यादातर इन्वेस्टर ये गलती करते हैं कि वे ऐसे शेयर में निवेश कर देते है जो अपने मूल्य से कई गुना बढ़ चुका होता है,उसके बाद वह शेयर नीचे आने लगता है और इन्वेस्टर को हानि होने लगती है। किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले उसके बारे जब शेयर मार्केट गिरता है में रिसर्च तथा विश्लेषण करना चाहिए।
3. भेड़-चाल वाली मानसिकता से निवेश करना:
Stock market`scruel truth यह भी है कि ज्यादातर लोग किसी भी शेयर के वॉल्यूम को देखकर buy & sell करते हैं। जैसे ही किसी शेयर के बारे में न्यूज़ आती है ट्रेडर उसके हिसाब stocks को खरीदने या बेचने लग जाते हैं तथा कभी -कभी वह न्यूज़ झूठी भी होती है। इस वजह से भी कई निवेशकों को नुकसान हो जाता है।
4. कोई भी स्टॉक निश्चित लाभ नहीं दे सकता:
शेयर मार्केट कैसे सीखें part 4
प्रत्येक कार्य क्षेत्र में काम करने की बोलचाल काम करने की भाषा और उनका अर्थ आम बोलचाल के जब शेयर मार्केट गिरता है शब्दों से अलग होती है शेयर मार्केट में कुछ ऐसे शब्द है जिनका उपयोग शेयर मार्केट में किया जाता है जैसे मार्केट जब शेयर मार्केट गिरता है बुलिस है मार्केट बैरिस है या शेयर ओवरवेट है बबल ब्लास्ट पेनिस एयर फंडामेंटल आदि शब्दों का अर्थ इस लेख में मिलेगा
शेयर बाजार की परिभाषिक शब्दों पर चर्चा करने से पहले भारती शेयर बाजार का लोगो या चिन्ह पर जानकारी
Bulls and bear stock market