एक शुरुआती गाइड

बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है

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कैसे तय होती है किसी Cryptocurrency की वैल्यू, कौन से फैक्टर्स तय करते हैं करेंसी की कीमत, जानें यहां

Cryptocurrency Value : हर बड़ी क्रिप्टोकरेंसी ने जबरदस्त चढ़ाव देखा है तो झटके बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है में धड़ाम भी होती दिखी हैं, ऐसे में कोई भी निवेशक इसको लेकर फिक्र करेगा. लेकिन सवाल यह है कि आखिर कौन सै फैक्टर्स हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें तय करते हैं.

कैसे तय होती है किसी Cryptocurrency की वैल्यू, कौन से फैक्टर्स तय करते हैं करेंसी की कीमत, जानें यहां

Cryptocurrency Price : कई फैक्टर्स हैं, जो क्रिप्टो कॉइन्स की वैल्यू तय करते हैं.

Cryptocurrency आज के वक्त में निवेशकों के बीच निवेश का पॉपुलर माध्यम बन चुकी हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी बाजार की वॉलेटिलिटी यानी अस्थिरता एक फैक्टर है, जो निवेशकों के लिए चिंता खड़ी करती है. हर बड़ी क्रिप्टोकरेंसी ने जबरदस्त चढ़ाव देखा है तो झटके में धड़ाम भी होती दिखी हैं, ऐसे में कोई भी निवेशक इसको लेकर फिक्र करेगा. लेकिन सवाल यह है कि आखिर कौन सै फैक्टर्स हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें तय करते हैं. किसी क्रिप्टोकरेंसी वैल्यू कम होगी या ज्यादा होगी, यह कैसे तय होता है. क्रिप्टो में निवेश करने से पहले यह जानना जरूरी है.

मांग और स्वीकार्यता

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किसी भी असेट या कमोडिटी की कीमत तय करने में सबसे बड़ी भूमिका उसकी मांग को लेकर होती है. किसी भी चीज की वैल्यू तब होती है, जब उसे लेकर उपभोक्ताओं और निवेशकों के बीच स्वीकार्यता होती है, उसका इस्तेमाल होता है. जैसे ही किसी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ता है, उसकी मांग बढ़ती है और इस तरह से उस कॉइन की वैल्यू भी बढ़ जाती है. फिएट करेंसी यानी ट्रेडिशनल करेंसी जो होती है, उसका नियमन होता है और उसे एक बड़ी मात्रा में छापा जाता है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक सीमित संख्या में जेनरेट होती हैं. पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता बढ़ी है, जिसके चलते इनकी वैल्यू भी बढ़ी है.

नोड काउंट

नोड काउंट किसी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े एक्टिव वॉलेट्स के नंबर को कहते हैं. यह इंटरनेट पर या उस करेंसी के होमपेज पर देखा जा सकता है. इससे यह भी पता चलता है कि कोई कॉइन मार्केट में आए किसी क्राइसिस से उबर सकता है या नहीं.

प्रोडक्शन की लागत

क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में प्रोडक्शन लागत जाती है. किसी कॉइन की माइनिंग में डायरेक्ट कॉस्ट और कॉस्ट ऑफ रिसोर्स यानी स्रोतों पर लगने वाली लागत से उस कॉइन की वैल्यू तय होती है. प्रोडक्शन लागत जितनी ज्यादा होगी, कॉइन की वैल्यू उतनी ज्यादा होगी.

ब्लॉकचेन

किसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले कुछ निवेशक उसकी सिक्योरिटी और फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट यानी आगे की संभावनाओं को तौलते हैं, ये जानकारी ब्लॉकचेन पर मिलती है. नए निवेशकों को ऐसे कॉइन चुनने चाहिए, जो अपने कॉइन्स को सबसे ज्यादा सिक्योरिटी देते हैं. हालांकि. प्रोफेशनल निवेशक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की भविष्य की संभावनाओं पर फोकस करते हैं.

बाजार का नियमन

प्रोफेशनल क्रिप्टो ट्रेडर्स कॉइन के वैल्यू ट्रेंड पर काफी असर डालते हैं. वो मार्केट की गति-दिशा तय करते हैं, जिससे बाजार का रेगुलेशन होता है. इन्हें 'व्हेल अकाउंट' कहा जाता है क्योंकि इनके पास बाजार का बड़ा शेयर होता है और ये किसी भी कॉइन को उठाने या गिराने की क्षमता रखते हैं.

क्या है Bitcoin? कैसे करते हैं इस वर्चुअल करेंसी में ट्रेडिंग, जानिए आपके काम का सबकुछ

Bitcoin की शुरुआत 2009 में हुई थी. शुरुआती कुछ सालों में बिटकॉइन में धीरे-धीरे बढ़ रही थी. लेकिन, 2015 के बाद से इसमें बड़ी तेजी देखने को मिली और यह दुनिया की नजरों में आ गई.

बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है. इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई. (Reuters)

दुनियाभर में क्रिप्टोकरंसी (CryptoCurrency) बिटकॉइन (Bitcoin) का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. बिटकॉइन में निवेश करने वाले अमीर लोग इस ऑनलाइन करंसी (Online Currency) के जरिए अपनी पूंजी को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं. यही वजह है कि इसके दाम भी नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. 3 साल बाद एक बार फिर बिटकॉाइन में बड़ी तेजी देखने को मिली है. साल 2017 में बिटकॉइन में अपना रिकॉर्ड हाई (Bitcoin record High) बनाया था. इसके बाद नीचे की तरफ फिसलती गई. लेकिन, अब 3 साल का नया हाई बना दिया है. दुनियाभर में इस करंसी में लोग पैसा लगा रहे हैं. लेकिन, भारत सरकार (India Government) का मानना है कि उसके पास वर्चुअल करंसी (Virtual currency) का कोई डेटा नहीं है और इसलिए इसकी ट्रेडिंग में खतरा हो सकता है.

कब हुई थी बिटकॉइन की शुरुआत? (History of Bitcoin)
बिटकॉइन की शुरुआत 2009 में हुई थी. शुरुआती कुछ सालों में बिटकॉइन में धीरे-धीरे बढ़ रही थी. लेकिन, 2015 के बाद से इसमें बड़ी तेजी देखने को मिली और यह दुनिया की नजरों में आ गई. कई देशों में इस वर्चुअल करंसी में ट्रेडिंग (Virtual Currency trading) को लीगल माना गया और बिटकॉइन की कीमत लगातार बढ़ती गई. मौजूदा वक्त में इसकी कीमत 18000 डॉलर के पार निकल चुकी है. यह एक तरह की डिजिटल करंसी (Digital Currency) है. इसकी शुरुआत सतोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) नाम के शख्स ने की बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है थी. भारत में भी गुपचुप तरीके से बिटकॉइन ट्रेडिंग (Bitcoin me trading kaise karein) की जा रही है. हालांकि, सरकार ने अब तक इसे लेकर नीतियां नहीं बनाई हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट से इसकी मंजूरी मिल चुकी है.

कैसे होती है बिटकॉइन में ट्रेडिंग? (How to trade in bitcoin?)
बिटकॉइन ट्रेडिंग डिजिटल वॉलेट (Digital wallet) के जरिए होती है. बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है. इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई. दुनियाभर की गतिविधियों के हिसाब से बिटकॉइन की कीमत घटती बढ़ती रहती है. इसे कोई देश निर्धारित नहीं करता बल्कि डिजिटली कंट्रोल (Digitally controlled currency) होने वाली करंसी है. बिटकॉइन ट्रेडिंग का कोई निर्धारित समय नहीं होता है. इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव भी बहुत तेजी से होता है.

बिटकॉइन का भी है एक्सचेंज (Bitcoin cryptocurrency trading exchange)
Kraken के जरिए बिटकॉइन में ट्रेडिंग (Bitcoin trading) की जा सकती है. यह क्रिप्टोकरंसी का एक्सचेंज (Cryptocurrency exchange) है. जिसे 2011 में बनाया गया था. इसके लिए पहले अपना अकाउंट बनाना होता है. इसके बाद ईमेल के जरिए अकाउंट कन्फर्म करना होता है. अकाउंट वेरिफाइ (Account verification) होने के बाद आप ट्रेडिंग मेथड सिलेक्ट कर सकते हैं. ट्रेडिंग के लिए चार्ट (Bitcoin trading chart) मौजूद होता है, जिसमें बिटकॉइन की कीमत की हिस्ट्री होती है. आप समय पर बिटकॉइन का ऑर्डर (How to order bitcoin) देकर खरीद सकते हैं और बेच सकते हैं. बिटकॉइन की कीमतों में बदलाव बहुत ही अप्रत्याशित और तेज होता है. इन्वेस्टमेंट के हिसाब से लोगों को ये काफी लुभावना लगता है.

खरीद-फरोख्त की नहीं होती कोई जानकारी (Bitcoin investment details)
बिटकॉइन (Bitcoin) के लेनदेन का एक लेजर बनाया जाता है. दुनिया में लाखों व्यापारी भी बिटकॉइन से लेनदेन करते हैं. हालांकि, किसी भी केंद्रीय बैंक ने अभी इसको मान्यता नहीं दी है. अमेरिका की कई दिग्गज कंपनियां भी बिटकॉइन को स्वीकार करती हैं. इंटरनेट की दुनिया में इसकी खरीद-फरोख्त कराने वाले कई एक्सचेंज हैं. इंटरनेट की कई वेबसाइट और ऐप के माध्यम से इसकी खरीद-फरोख्त होती है. इसमें खरीद-फरोख्त करने वालों की जानकारी छुपी रहती है.

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क्या है बिटकॉइन का नुकसान? (Disadvantage of Bitcoin)
बिटकॉइन करेंसी से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर आपका कंप्यूटर हैक हो गया तो फिर यह वापस नहीं होगी यानी रिकवर नहीं होगी. इतना ही नहीं इसकी चोरी होने की आप पुलिस में या कहीं भी शिकायत दर्ज नहीं करा सकते हैं.

नया रिकॉर्ड: 1 बिटकॉइन की कीमत 24 लाख रुपए पर पहुंची, बीते 1 साल में दिया 300% का मुनाफा

तुरंत मुनाफे के लिए बड़े निवेशक इसका रुख कर रहे हैं जिससे इसकी कीमत तेजी से बढ़ रही है - Dainik Bhaskar

क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन नए साल की शुरुआत में ही रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गया है। शनिवार को इसमें लगभग 11% की बढ़ोतरी हुई है, और इसके साथ ही बिटकॉइन की कीमत 32,606 डॉलर (रविवार सुबह 8 बजे) यानी करीब 23 लाख 83 हजार रुपए प्रति यूनिट पर पहुंच गई है। बीते साल यानी 2020 में इसकी कीमत में 300% से अधिक बढ़ोतरी हुई है। तुरंत मुनाफे के लिए बड़े निवेशक इसका रुख कर रहे हैं जिससे इसकी कीमत तेजी से बढ़ रही है।

2020 में 4 गुना बढ़ा भाव
31 दिसंबर 2019 को बिटकॉइन 7,बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है 212 डॉलर पर बंद हुआ था। उस स्तर के मुकाबले गुरुवार के अपने टॉप लेवल पर इस क्रिप्टोकरेंसी ने 300% से ज्यादा का रिटर्न (4 गुना बढ़ा भाव) दिया है। गुरुवार के टॉप लेवल पर दिसंबर में बिटकॉइन ने निवेशकों को 50.37% का रिटर्न दिया है। 30 नवंबर 2020 को इसका प्राइस 19,438 डॉलर था।

क्रिप्टोकरेंसी में तेजी की एक वजह ये भी
दुनिया की सबसे बड़ी असेट मैनेजमेंट फर्म ब्लैकरॉक (BLK) ने अनुमान जताया है कि सेफ हेवन चॉइस के तौर पर बिटकॉइन एक दिन गोल्ड की जगह ले सकता है। इसे भी बिटकॉइन की कीमतों में तेजी की वजह माना जा रहा है। छोटी क्रिप्टोकरेंसी में शुमार इथेरियम, XRP, लाइटकॉइन और स्टेलर की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से भी बिटकॉइन में तेजी आ रही है।

कैसे होती है बिटकॉइन में ट्रेडिंग?
बिटकॉइन ट्रेडिंग डिजिटल वॉलेट के जरिए होती है। बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है। दुनियाभर की गतिविधियों के हिसाब से बिटकॉइन की कीमत घटती बढ़ती रहती है। इसे कोई देश निर्धारित नहीं करता बल्कि डिजिटली कंट्रोल होने वाली करंसी है. बिटकॉइन ट्रेडिंग का कोई तय समय नहीं होता है।

क्या होता है बिटकॉइन?
बिटकॉइन एक वर्चुअल यानी आभासी मुद्रा है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। बिटकॉइन ऐसे करेंसी है जिसे ना तो आप देख सकते हैं और ना ही आप छू सकते हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही स्टोर होती है।

2008 में हुई थी शुरुआत
बिटकॉइन की खोज 2008 में हुई थी। आधिकारिक रूप से बिटकॉइन 2009 में लॉन्च हुआ था। भारत में अभी बिटकॉइन समेत किसी भी क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता नहीं मिली है।

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क्रिप्टोकरेंसी ने एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. शनिवार को डिजिटल करेंसी ने 26,900 डॉलर का नया ऑलटाइम बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है हाई बनाया है. क्रिप्टोकरेंसी में तेजी से एक बिटकॉइन की कीमत 19.90 लाख रुपए हो गई है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : December 27, 2020, 15:27 IST

नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी ने एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. शनिवार को डिजिटल करेंसी ने 26,900 डॉलर का नया ऑलटाइम हाई बनाया है. क्रिप्टोकरेंसी में तेजी से एक बिटकॉइन की कीमत 19.90 लाख रुपए हो गई है. इस समय दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) बिटकॉइन (Bitcoin) का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. तुरंत मुनाफे के लिए बड़े निवेशक इसका रुख कर रहे हैं जिसके चलते इसकी कीमत में तेजी से उछाल आ रहा है. बता दें नवंबर महीने में बिटकॉइन का भाव 18 बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है हजार डॉलर के स्तर को पार चुका था.

एक साल में 271 फीसदी का उछाल रहा
दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज Binance पर कारोबार के दौरान बिटकॉइन 26,900 के हाई पर पहुंच गया. बीते 24 घंटे में इसमें करीब 8 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली है. बता दें सिर्फ एक साल में इस करेंसी में 271 फीसदी का उछाल देखने को मिला है.

बढ़ सकता है उछाल
अनुमान के मुताबिक, ये माना जा रहा है कि इंडिया में इस समय लगभग 50 से 60 लाख बिटकॉइन यूजर्स हैं और आने वाले समय में इसकी कीतमों में और उछाल देखने को मिल सकता है.

मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि 2030 तक बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है बिटकॉइन की कीमत 1 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है. CoinDCX के सीईओ सुमित गुप्ता ने बताया कि मांग में तेजी रहने से बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है 2021 में बिटकॉइन की कीमतों में और तेजी देखने को मिल सकती है. मांग में तेजी रहने से 2021 में बिटकॉइन की कीमतें और बढ़ेंगी.

क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी होती है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है. इस करेंसी में कूटलेखन तकनीक का प्रयोग होता है. इस तकनीक के जरिए करेंसी के ट्रांजेक्शन का पूरा लेखा-जोखा होता है, जिससे इसे हैक करना बहुत मुश्किल है. यही कारण है कि क्रिप्टोकरेंसी में धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम होती है. क्रिप्टोकरेंसी का परिचालन केंद्रीय बैंक से बिटकॉइन की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है स्वतंत्र होता है, जो कि इसकी सबसे बड़ी खामी है.

जानिए कैसे होती है बिटकॉइन में ट्रेडिंग?
बिटकॉइन ट्रेडिंग डिजिटल वॉलेट (Digital wallet) के जरिए होती है. बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है. इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई. दुनियाभर की गतिविधियों के हिसाब से बिटकॉइन की कीमत घटती बढ़ती रहती है. इसे कोई देश निर्धारित नहीं करता बल्कि डिजिटली कंट्रोल (Digitally controlled currency) होने वाली करंसी है. बिटकॉइन ट्रेडिंग का कोई निर्धारित समय नहीं होता है. इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव भी बहुत तेजी से होता है.

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