एक शुरुआती गाइड

निवेश करें

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बीच में न रोकें एसआईपी:
अक्सर देखा गया है कि बाजार में गिरावट आने पर निवेशक एसआईपी रोक देते हैं या पैसा निकाल निवेश करें लेते हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि गिरते बाजार के साथ शेयर भी सस्ते होते हैं और आपको कम पैसे में ज्यादा यूनिट मिलते हैं। फिर जब बाजार चढ़ता है तो आपकी यूनिटों की कीमत बढ़ जाती हैं, इसलिए एसआईपी बीच में रोकना आपके लिए घाटे का सौदा साबित होता है।

NPS Pension: इस सरकारी योजना में निवेश करें, हर महीने 50 हजार रुपये पेंशन व टैक्स बचाएं

NPS Pension: नेशनल पेंशन योजना को लॉन्ग टर्म निवेश माना जाता है। इस योजना में आप नौकरी के दौरान थोड़ा-थोड़ा करके जमा करते हैं। कई वर्षों के निवेश के बाद यह एक बड़ा फंड बनता है, जो रिटायरमेंट के बाद मिलता है।

NPS Pension: इस सरकारी योजना में निवेश करें, हर महीने 50 हजार रुपये पेंशन व टैक्स बचाएं

NPS Pension: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक सरकारी योजना है। इस स्कीम का नाम राष्ट्रीय पेंशन योजना है। इस योजना की मदद से निजी क्षेत्र से रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा मिलेगी। साथ ही निवेश करने से आपके टैक्स की बचत होती है। यदि आप आप इस योजना में सही तरीके से निवेश करते हैं, तो आसानी से 50 हजार रुपये की पेंशन की व्यवस्था कर सकते हैं। आप घर बैठे ही राष्ट्रीय पेंशन योजना में निवेश कर सकते हैं।

लॉन्ग टर्म निवेश योजना

नेशनल पेंशन योजना को लॉन्ग टर्म निवेश माना जाता है। इस योजना में आप नौकरी के दौरान थोड़ा-थोड़ा करके जमा करते हैं। कई वर्षों के निवेश के बाद यह एक बड़ा फंड बनता है, जो रिटायरमेंट के बाद मिलता है। यह योजना पेंशन फंड नियामक और विकास द्वारा प्रशासित है। यह सीधे तौर पर सरकार निवेश करें से जुड़ी हुई योजना है। NPS में जमा किया गया पैसा निवेशक को दो तरह से मिलता है। आप जमा राशि का एक सीमित हिस्सा एक बार में निकाल सकते हैं, जबकि दूसरा हिस्सा पेंशन के लिए जमा किया जाएगा। एन्युटी खरीदने के लिए आप जितना अधिक पैसा देंगे। रिटायरमेंट में आपको उतनी अधिक पेंशन मिलेगी।

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दो प्रकार के खाते

राष्ट्रीय पेंशन योजना में दो तरह के खाते खोले जाते हैं। पहले प्रकार के अकाउंट को एनपीएस टियर 1 और दूसरे खाते को एनपीएस टियर 2 कहा जाता है। NPS टियर 1 अकाउंट मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है। जिन्होंने पीएम जमा नहीं किया है और सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा चाहते हैं।

500 रुपये से शुरू कर सकते हैं

एनपीएस टियर 1 केवल सेवानिवृत्ति के लिए बनाया गया है। इसमें आप कम से कम 500 रुपये जमा करके खाता खुलवा सकते हैं। रिटायर में के बाद आप एक बार में 60 फीसदी रकम निकाल सकते हैं। शेष राशि आपको पेंशन के तौर पर मिलेगी।

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SIP Investment Tips: वैसे तो सिप में निवेश करना ज्यादातर फायदे का सौदा ही साबित होता है, लेकिन कई बार कम जानकारी के कारण एसआईपी निवेशक कुछ निवेश करें गलतियां कर बैठते हैं। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो इन गलतियों से जरूर बचें-

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(SIP Investment Tips), नाई दिल्ली. सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे पॉपुलर तरीका हो गया है। एसआईपी उन लोगो के लिए बेहतर है जो शेयर बाजार की पेचीदगियों से खुद को दूर रखना चाहते हैं और जो मार्केट के जोखिम से बचना चाहते हैं।


आपको बता दें कि एसआईपी से आप अपनी पसंद के म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में अपनी सुविधा के हिसाब से नियमित रूप से एक निश्चित धनराशि जमा कर सकते हैं। आज– कल लोग फंड्स की बदलती नेट असेट वैल्‍यू (NAV) के आधार पर अपने निवेश को संतुलित कर अच्‍छा पैसा बनाते हैं।


हमेशा बाजार के उछाल पर न करे निवेश:
शेयर बाजार में जब उछाल होता है तो कई निवेशक फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड में बिना सोचे निवेश करना शुरू कर देते हैं। लेकिन बाजार हमेशा स्थिर नहीं रहता, कभी ऊपर तो कभी नीचे होता रहता है। इसलिए बाजार देखकर कभी निवेश ना करें.
म्यूचुअल फंड में निवेश हमेशा अनुशासन और धैर्य से करना चाहिए, इसलिए सिस्टेमेटिक निवेश योजना के जरिये आप एक निश्चित अंतराल में थोड़ी-थोड़ी रकम किसी फंड में डाल सकते हैं। ये आपके बाजार को जोखिम से बचाता है।


गिरते बाजार पर क्या करें:
ऐसे कई निवेशक हैं, जो बाजार नीचे आने पर एसआईपी रोक देते हैं और बाजार बढ़ते समय निवेश शुरू करते हैं. यह निवेश के बुनियादी सिद्धांत ‘बाय लो एंड सेल हाई’ के बिल्कुल उलट है। यह फैसला आपको घाटे में डाल सकता है। गिरते बाजार के समय भी निवेश जारी रखकर इस गलती से बच सकते हैं। बाजार की चाल का आकलन करने के बजाय निवेश अवधि के साथ मेल खाते फंड्स की कैटेगरी में निवेश करना चाहिए। इस तरह, आप निवेश की गई पूंजी को खोए बिना सही फंड चुन सकते हैं।


कम एनएवी का सस्ते फंड से मतलब नहीं:
कई खुदरा निवेशक कम एनएवी (Low NAV) को सस्‍ते फंड के तौर पर लेते हैं और उनमें एसआईपी के जरिये निवेश करके ज्यादा रिटर्न की उम्‍मीद करते हैं।

बता दें कि किसी फंड की एनएवी ज्‍यादा या कम होने के कई कारण हो सकते हैं। किसी फंड की एनएवी उसके असेट अंडर मैनेजमेंट की मार्केट प्राइस पर निर्भर करती है। अच्छे मैनेजर्स वाले फंड की एनएवी दूसरे फंड्स के मुकाबले ज्‍यादा तेजी से बढ़ेगी, इस ही तरह नए फंड की एनएवी पुराने फंड के मुकाबले कम होगी क्‍योंकि नए फंड को ग्रोथ के लिए कम समय मिला है।

ऐसे में निवेशकों को म्‍यूचुअल फंड में सिप के जरिये निवेश करते समय उसकी एनएवी पर ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत नहीं है। निवेशक को कंपनी के पिछले प्रदर्शन पर ध्‍यान देना चाहिए और भविष्‍य की योजनाओं पर फोकस करना चाहिए।


लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट पर दें ध्यान:
म्यूचुअल फंड में निवेश से अच्छा रिटर्न की उम्मीद जल्दी न करें, किसी साल आपको अच्छा रिटर्न मिले और किसी साल कम रिर्टन, ऐसे में निवेश न रोकें। दरअसल म्यूचुअल फंड के जरिये शेयरों में निवेश से अच्छे रिटर्न के लिए 5 से 7 साल के समय की जरूरत होती है। देखा गया है कि लंबे समय तक शेयरों में निवेश अच्छा रिटर्न देता रहा है, इसलिए खराब रिटर्न पर अपना पैसा तुरंत न निकालें।

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बीच में न रोकें एसआईपी:
अक्सर देखा गया है कि बाजार में गिरावट आने पर निवेशक एसआईपी रोक देते हैं या पैसा निकाल लेते हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि गिरते बाजार के साथ शेयर भी सस्ते होते हैं और आपको कम पैसे में ज्यादा यूनिट मिलते हैं। फिर जब बाजार चढ़ता है तो आपकी यूनिटों की कीमत बढ़ जाती हैं, इसलिए एसआईपी बीच में रोकना आपके लिए घाटे का सौदा साबित होता है।


टारगेट कर करें निवेश:
म्यूचुअल फंड के तहत निवेश करने से पहले आपके अपने टारगेट साफ होने चाहिए कि आप किस काम के लिए पैसा इकट्ठा कर रहे हैं। तभी आप सही फंड चयन कर सकेंगे, जो लोग बिना टारगेट निवेश करते है वे अक्सर गलत फंड में अपना पैसा लगा देते हैं।

स्थिरता रखें:
फंड के मामले में दूसरों की देखा-देखी या खरीद-बिक्री न करें इस से आपको नुकसान हो सकता है, हर किसी के वित्तीय लक्ष्य और स्थितियां एक जैसी नहीं होती हैं। इसलिए अपने टारगेट और जेब के हिसाब से निवेश करें, कई बार हम फंड के पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेश करते हैं लेकिन ध्यान रखें कि फंड का रिटर्न बदलता रहता है. फंड का मूल्य हर तिमाही में बदलता है।

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