तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं

श्रद्धा वालकर हत्याकांड : FSL की टीम पूनावाला की नार्को जांच उपरांत विश्लेषण के लिए तिहाड़ पहुंची
नेशनल डेस्क: फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) की चार सदस्यीय एक टीम श्रद्धा वालकर हत्याकांड मामले के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के नार्को जांच उपरांत विश्लेषण के लिए शुक्रवार को जांच अधिकारी के साथ तिहाड़ जेल पहुंची। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एफएसएल की टीम और अधिकारी तिहाड़ की जेल संख्या 4 में पूनावाला के साथ ‘जांच उपरांत पूछताछ’ के लिए पहुंची।
अधिकारियों ने बताया कि पूनावाला से पूछताछ पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न 3 बजे तक होने की उम्मीद थी, लेकिन इसमें देरी हुई। एफएसएल की टीम पूर्वाह्न करीब 11 बजकर 30 मिनट पर जेल पहुंची। उन्होंने बताया कि पूछताछ सत्र के बाद पूनावाला को बताया जाएगा कि उसने वीरवार को हुए नार्को विश्लेषण के दौरान पूछे गए सवालों के क्या जवाब दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि जेल में ही जांच उपरांत विश्लेषण की व्यवस्था अदालत के आदेश पर की गई क्योंकि पूनावाला को लाने-ले जाने में खतरा था।
उन्होंने बताया कि पूनावाला की नार्को विश्लेषण जांच करीब दो घंटे तक रोहिणी के अस्पताल में हुई थी, जो सफल रही। एफएसएल के तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं सूत्रों ने इससे पहले बताया कि नार्को जांच और पॉलीग्राफी जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए जवाब का विश्लेषण किया जाएगा और उसे भी उसके जवाबों की जानकारी दी जाएगी।
गौरतबल है कि 28 वर्षीय पूनावाला पर ‘लिव इन रिलेशन’ में रह रही वालकर की हत्या करने, उसके तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं शव के 35 टुकड़े कर उन्हें तीन सप्ताह तक दक्षिणी दिल्ली के महरौली स्थित आवास में 300 लीटर के फ्रिज में रखने एवं शव के हिस्सों को कई दिनों में शहर के विभिन्न हिस्सों में ठिकाने लगाने का आरोप है।
नार्को जांच में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम एमिटल जैसी दवा दी जाती है, जो व्यक्ति को एनेस्थीसिया के असर के विभिन्न चरणों तक लेकर जाती है। सम्मोहन (हिप्नोटिक) चरण में व्यक्ति पूरी तरह से होश हवास में नहीं रहता और उसके ऐसी जानकारियां देने की अधिक संभावना रहती है, जो वह आमतौर पर होश में रहते हुए नहीं बताता है। जांच एजेंसियां इस जांच का इस्तेमाल तब करती हैं, जब अन्य सबूतों से मामले की साफ तस्वीर नहीं मिल पाती है।
दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने पूनावाला की नार्को जांच की मांग की है, क्योंकि पूछताछ के दौरान उसके जवाब ‘भ्रामक’ रहे। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि नार्को जांच, ब्रेन मैपिंग और पॉलिग्राफी जांच संबंधित व्यक्ति से मंजूरी लिए बिना नहीं की जा सकती हैं। साथ ही इस जांच के दौरान दिए गए बयान अदालत में प्रारंभिक सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं। केवल कुछ परिस्थितियों में ही ये स्वीकार्य हैं, जब पीठ को मामले के तथ्य और प्रकृति इसके अनुरूप लगे। पूनावाला को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और 5 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया। इस अवधि को 17 नवंबर को और 5 दिन के लिए बढ़़ाया गया। अदालत ने 26 नवंबर तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं को उसे 13 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
क्या आपके घर में है तिजोरी तो आज ही उसमें रख लें ये चीज़ होगी धन की प्राप्ति
आज सिंगापुर के लिए रवाना होंगे तेजस्वी, 5 दिसंबर को होने वाला है Lalu Yadav का किडनी ट्रांसप्लांट
तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं
- आउटसोर्स नौकरियां
- प्राइवेट नौकरियां
- सरकारी नौकरियां
- रोजगार मेला नौकरियां
Content on this website is published and managed by Uttar Pradesh Employment Department. Designed, Developed and Hosted by National Informatics Centre( NIC ) Last Updated: 28 Feb 2016
वित्त वर्ष 2022 में डिस्कॉम की सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में उल्लेखनीय कमी आई
नई दिल्ली (मा.स.स.). सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानि (एटी एंड सी लॉस) एवं एसीएस-एआरआर गैप (अंतर) डिस्कॉम के कार्य प्रदर्शन के प्रमुख संकेतक होते हैं। पिछले 2 वर्षों में, देश के डिस्कॉम्स की एटी एंड सी हानि 21 से 22 प्रतिशत के बीच रही। विद्युत मंत्रालय ने यूटिलिटीज के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय किए हैं। 96 प्रतिशत से अधिक इनपुट ऊर्जा का योगदान करने वाली 56 डिस्कॉम्स के आंकड़ों का शुरूआती विश्लेषण यह दर्शाता है कि डिस्कॉम्स की सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में महत्वपूर्ण कमी दर्ज हुई है। ये हानियां जो वित्त वर्ष 2021 में 22 प्रतिशत थी, 2022 में घटकर 17 प्रतिशत हो गई।
एटीएंडसी हानियों में कमी से यूटिलिटीज की वित्तीय स्थिति बेहतर होती है, जो इन्हें अपनी प्रणाली को बेहतर बनाए रखने और अपनी आवश्यकतानुसार बिजली खरीदने में सक्षम बनाती है। इसके अलावा इससे उपभोक्ता भी लाभान्वित होते है। एटीएंडसी हानियों में कमी से आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) और औसत वसूली योग्य राजस्व (एआरआर) के बीच के अंतर में कमी आई है। एसीएस-एआरआर गैप (सब्सिडी प्राप्त आधार पर, नियामक आय और उदय अनुदान को छोड़कर) में कमी आई है, जो वित्त वर्ष 2021 में 0.69 रुपये किलोवॉट प्रति घंटा से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 0.22 रुपये किलोवॉट प्रति घंटा हो गई थी।
एक वर्ष में एटीएंडसी हानियों में 5 प्रतिशत की गिरावट और एसीएस-एआरआर गैप (अन्तर) में 47 पैसे की कमी होना विद्युत मंत्रालय द्वारा की गई कई पहलों के कारण हुआ। 04 सितंबर 2021 को, विद्युत मंत्रालय ने पीएफसी और आरईसी के मानदंडों में विवेकपूर्ण संशोधन किया है, ताकि विद्युत क्षेत्र की ऋण देने वाली शीर्ष एजेंसियां घाटे में चल रही डिस्कॉम पीएफसी और आरईसी से तब तक वित्तपोषण प्राप्त नहीं कर पाएंगी जब तक कि वे निर्धारित समय सीमा में अपनी हानियों को कम करने की योजना तैयार नहीं करती और अपनी राज्य सरकार की प्रतिबद्धता प्राप्त नहीं कर लेती।
विद्युत मंत्रालय ने यह भी निर्णय लिया कि डिस्कॉम द्वारा वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए किसी भी योजना के तहत भविष्य में कोई भी सहायता उस डिस्कॉम को उपलब्ध होगी जो घाटे में चल रही है, लेकिन वह निर्धारित तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं समय सीमा में अपने एटीएंडसी घाटे/एसीएस-एआरआर गैप (अंतर) को निर्दिष्ट स्तरों तक लाने के लिए प्रतिबद्ध है और उसने इसके लिए राज्य सरकार से प्रतिबद्धता प्राप्त कर ली है। पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना यह निर्दिष्ट करती है कि इस योजना के तहत वित्त पोषण तभी उपलब्ध होगा जब डिस्कॉम हानि कम करने के बारे में सहमत हो। विद्युत मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग के समक्ष अनेक प्रस्तुतियां दी, जिसके परिणामस्वरूप 15वें वित्त आयोग ने राज्यों को उनकी डिस्कॉम हानियां कम करने के बारे में कदम उठाने के लिए एक अतिरिक्त उधार विंडो उपलब्ध कराई।
मंत्रालय ने 07 अक्टूबर 2021 को सभी डिस्कॉम के लिए अनिवार्य ऊर्जा लेखांकन और ऊर्जा लेखा परीक्षा प्रदान करने वाले विनियम जारी किए थे। 03 जून 2022 को, विद्युत मंत्रालय ने ‘लेट पेमेंट सरचार्ज रूल्स’ जारी किए, जिसमें यह प्रावधान है कि जब तक वितरण कंपनियां आईएसटीएस से ली गई बिजली के लिए तुरंत भुगतान नहीं करतीं, तब तक विद्युत एक्सचेंज तक उनकी पहुंच को बंद कर दिया जाएगा। इन व्यवस्था के लिए विद्युत मंत्रालय ने हानि कम करने के उपाय हेतु आरडीएसएस के तहत आवश्यक वित्त प्रदान करने के लिए वितरण कंपनियों के साथ भी मिलकर काम किया।
उपरोक्त सुधारों को लागू करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए विद्युत मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ-साथ वितरण कंपनियों ने ठोस प्रयास किए है। जिसके परिणामस्वरूप विद्युत व्यवस्था की व्यवहार्यता में सुधार हुआ है। ये सुधार करना आवश्यक भी था क्योंकि बिजली की मांग बढ़ रही है और बढ़ती मांग को पूरा करने और विद्युत क्षेत्र के विस्तार और निवेश के लिए ये आवश्यक भी थे, तभी निवेश भी आएगा और विद्युत क्षेत्र व्यवहार्य भी बना रहेगा।
MCD चुनाव में 'आप' जीती तो कौन होगा मेयर और LG संग क्यों बढ़ रहा टकराव? मनीष सिसोदिया ने दिए बेबाक जवाब
'आप' की ओर से केजरीवाल के साथ सिसोदिया ने प्रचार की पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी है। एमसीडी में 230 सीटें जीतने का तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं दावा करने वाली 'आप' का कहना है कि इस बार उनका चुनाव खुद दिल्ली की जनता लड़ रही है।
दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD Election 2022) में प्रचार के लिए सिर्फ एक दिन का समय बचा है। आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रचार की पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी है। एमसीडी में 230 सीट जीतने का दावा करने वाली 'आप' का कहना है कि इस बार उनका चुनाव खुद दिल्ली की जनता लड़ रही है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एमसीडी चुनाव, प्रचार, मुद्दों व आरोपों पर ‘हिन्दुस्तान’ के प्रमुख संवाददाता बृजेश सिंह से बात की।
● एमसीडी चुनाव में क्या मुद्दा प्रमुख है जिस पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है?
एमसीडी तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं का मुख्य काम है कूड़े की साफ-सफाई। हालात यह हैं कि आदमी जब सुबह काम के लिए बाहर निकलता है तो कूड़ा दिखता है। यह समस्या सब जगह है। हमारी प्राथमिकता है कि अगर आप आई तो कूड़े की सफाई करेंगे।
● दिल्ली से कूड़े के पहाड़ अभी तक नहीं हटे, इसका क्या कारण है?
लैंडफिल साइट 15 साल में नहीं हटाई गई तो इसका एकमात्र कारण भ्रष्टाचार है। पूरी दुनिया में कूड़ा प्रबंधन हो रहा है। दुनिया में तमाम तकनीकी हैं जिससे इसे खत्म किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से बात करके कूड़े की समस्या को दूर किया जा सकता है। हम पांच साल से पहले ही दिल्ली से कूड़े के पहाड़ गायब कर देंगे।
● पार्किंग और अतिक्रमण भी बड़ा मुद्दा है। लोगों को रोजमर्रा के जीवन में इसे झेलना पड़ता है। इसके लिए क्या योजना है?
कूड़े को हम तकनीकी के सहारे खत्म करेंगे। पार्किंग के लिए जगह एक मुद्दा है, इसके अलावा पूरी दिल्ली में पार्किंग कुप्रबंधन भी एक कारण है। ठेकेदार इलाका बढ़ा लेता है, इससे दिक्कत होती है। हम इसे सही करेंगे। अतिक्रमण को लेकर हमने पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर मुहिम चलाई हुई है। अभी तक एमसीडी से कोई सहयोग नहीं मिल रहा था। अवैध रूप से निर्माण की बात है तो करीब 40 फीसदी दिल्ली एमसीडी के तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं कागजों में है ही नहीं। इस सच्चाई को स्वीकार करके उसे कानूनी रूप देना होगा। मैं पांच साल से कह रहा हूं कि कॉलोनी के हिसाब से मैप बनाओ। अगर आप पहले से कुछ नमूने वाले नक्शे डाल दो तो लोग अपने प्लॉट साइज के हिसाब से नक्शा तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं चुन लेंगे और नक्शा पास हो जाएगा।
● दिल्ली की जनता आखिर 'आप' को निगम के लिए क्यों चुने?
भाजपा ने एक भी काम नहीं किया। कूड़ा, पार्क, पार्किंग, स्ट्रीट एनिमल के नाम पर कुछ नहीं किया है। 15 साल से लोग इन्हें देख रहे हैं। हमने दिल्ली सरकार में आने के बाद जो कहा है, वह किया है। एमसीडी में भी करके दिखाएंगे। केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का पार्षद होगा तो खूब काम होंगे।
● निगम के सामने वित्तीय तौर पर बड़ी चुनौती है। तनख्वाह नहीं मिल पा रही। आप दिल्ली के वित्त मंत्री हैं। एमसीडी में आए तो तो बजट की समस्या को कैसे दूर करेंगे?
भाजपा ने पिछले चुनाव में केंद्र से पैसा लाने की बात कही तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं थी, लेकिन केंद्र से कोई पैसा नहीं आया। मुझे पूरा भरोसा है कि जिस तरह ईमानदारी से कलेक्शन के साथ दिल्ली का बजट बेहतर हुआ है, वैसे ही हम निगम में बेहतर करेंगे। भ्रष्टाचार खत्म होगा तो आर्थिक स्थिति अपने आप सुधर जाएगी।
● तीनों निगमों को एक करने का दिल्ली पर क्या असर पड़ेगा?
निगम को एक या तीन करने से कोई असर नहीं पड़ेगा। कॉलोनी में रहने वाले लोगों को क्या फर्क पड़ता है कि निगम तीन हैं या एक। उनकी जिंदगी तो उसी तरह चलेगी। ये चुनाव में देरी करने की रणनीति थी।
● परिसीमन को लेकर सवाल उठे, कई जगह वार्ड छोटे तो कहीं बड़े हो गए हैं। इसका चुनाव पर कोई असर दिख रहा है?
अभी तक तो मुझे कोई असर नहीं दिख रहा है। सभी लोग भाजपा से परेशान हैं। मैं छोटे वार्ड में भी गया और बड़े वार्ड में भी गया, सब परेशान हैं। इसके चलते सभी इस बार मन बना चुके हैं?
● टिकट वितरण के समय आप में दावेदारों की संख्या ज्यादा थी। टिकट के बाद कई सीटों पर असंतोष भी दिखाई दिया है। इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
पार्टी में नए-नए कार्यकर्ता जुड़ तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं रहे हैं। लोगों को विश्वास है कि हम जीत रहे हैं। यह पार्टी के लिए अच्छा है कि ज्यादा लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं। वार्ड में 99 फीसदी लोग ठीक से काम कर रहे हैं।
● मेयर का चेहरा कौन होगा?
पहले चुनाव जीतने दीजिए, उसके बाद देखेंगे।
● भ्रष्टाचार के मामले पर किस तरह से कार्रवाई करेगें?
भ्रष्टाचार को रोकने का एक ही रोडमैप है। लीडर पैसा खाना बंद कर दें और नीचे कोई भ्रष्टाचार करे तो उस पर कार्रवाई हो। दिल्ली में भी यही हुआ कि ऊपर के स्तर पर भ्रष्टाचार बंद हो गया तो नीचे भी डर हो जाता है। वह ऊपर के नेताओं के संरक्षण में ही भ्रष्टाचार करते हैं।
● निगम चुनाव में भाजपा ने मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री उतार रखे हैं। बड़े स्तर पर सभाएं और रोड शो हो रहे हैं। कैसे देखते हैं?
मुझे इस पर हंसी आती है। भाजपा रोज अपने नेताओं की लिस्ट गिनाती है कि कितनी सभा हो रही हैं, कितने लोग आ रहे हैं। हम अपने काम की लिस्ट गिनाते हैं। अब तो जनता भी हमारे काम की लिस्ट गिना रही है। उनके पास बताने के लिए कोई काम नहीं है।
● सीबीआई की चार्जशीट में आपका नाम नहीं है?
इससे भाजपा का झूठा उजागर हुआ है। मुझे किंगपिन बताया गया। रोज टीवी पर उनके नेता मुझे किंग बताते रहे, लेकिन चार्जशीट में मेरे खिलाफ लिखने के लिए कोई शब्द नहीं मिला। जनता को पहले ही पता था। मैं चार्जशीट से पहले और उसके बाद भी लगातार लोगों के बीच जा रहा हूं। लोग जरूर कह रहे हैं कि झूठ सामने आ रहा है।
● चुनाव के दौरान सत्येंद्र जैन के लगातार वीडियो जारी हो रहे हैं?
उनके पास गिनाने के लिए कोई काम नहीं है। रोज वीडियो जारी किए। अब वो भी खत्म हो गए।
● संपत्ति कर को लेकर भी कोई वादा आप कर रही है?
हम उसका विश्लेषण कर तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं रहे हैं। एमसीडी की सभी समस्याओं को लेकर हम योजना बना रहे हैं। लोगों की समस्याओं को दूर करेंगे।
● उपराज्यपाल के साथ सरकार का टकराव क्यों बढ़ रहा है?
एलजी, भाजपा, ईडी सभी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। एमसीडी चुनाव में इसका जवाब जनता देगी।
● राजधानी में बाजारों को लेकर भी बड़ी समस्या है। इसकी क्या योजना है?
ये डीडीए और निगम की विफलता है कि आधी दिल्ली के लिए कागजों पर कोई बाजार नहीं है। हर कॉलोनी में बाजार है, लेकिन उन्हें कागज पर स्वीकार नहीं किया गया। एमसीडी को इन्हें स्वीकार करना चाहिए। एमसीडी के दायरे में जो होगा, हम उसे सही करेंगे।
● एमसीडी में सफाईकर्मियों को स्थायी करने का भी मुद्दा है।
हमारे एजेंडे में यह भी शामिल है। कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के साथ हम सफाई करने वालों को पक्का करेंगे। उनके साथ मिलकर दिल्ली को साफ करेंगे।