50% पहला जमा

IND vs SL Day-Night Test: बेंगलुरु डे-नाइट टेस्ट में 50% फैंस को मिलेगी एंट्री, टिकट भी जारी
टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच दो टेस्ट की सीरीज का पहला मैच 4 मार्च से मोहाली में और दूसरा टेस्ट 12 मार्च से बेंगलुरु में खेला जाएगा. आखिरी मैच डे-नाइट टेस्ट होगा.
aajtak.in
- बेंगलुरु,
- 26 फरवरी 2022,
- (अपडेटेड 26 फरवरी 2022, 7:45 AM IST)
- टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच टेस्ट सीरीज
- पहला टेस्ट 4 और दूसरा टेस्ट 12 मार्च से होगा
टीम इंडिया के खिलाफ दो टेस्ट की सीरीज के लिए श्रीलंकाई स्क्वॉड घोषित हो गया है. सीरीज का पहला मैच 4 मार्च से मोहाली में और दूसरा टेस्ट 12 मार्च से बेंगलुरु में खेला जाएगा. आखिरी मैच डे-नाइट टेस्ट होगा. फैंस के लिए एक अच्छी खबर यह है कि डे-नाइट टेस्ट में 50% दर्शकों को स्टेडियम में एंट्री मिलेगी.
कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के प्रवक्ता विनय मृत्युंजय मृत्युंजय ने इन्साइडस्पोर्ट से कहा कि कर्नाटक सरकार के नियम के मुताबिक स्टेडियम में 50% फैंस को एंट्री दी जा सकती है. हम सरकार के पास दर्शकों की क्षमता बढ़ाने की मांग के करने के लिए नहीं जाएंगे.
7 प्रकार की कीमत के टिकट्स जारी
- 100 रुपए: G अपर/ G लोअर 1 & 2 (एंट्री: गेट नंबर-2)
- 500 रुपए: D कॉर्पोरेट, A स्टैंड, B लोअर & B अपर (एंट्री: गेट नंबर-19)
- 750 रुपए: E-एग्जीक्यूटिव, N-स्टैंड (एंट्री: गेट नंबर-19)
- 1,250 रुपए: ग्रांड टैरेस (एंट्री: गेट नंबर-18)
- 1,500 रुपए: P कॉर्पोरेट (एंट्री: गेट नंबर-18)
- 2,000 रुपए: पवेलियन टैरेस (एंट्री: गेट नंबर-18)
- 2,500 रुपए: P2 स्टैंड (एंट्री: गेट नंबर-18)
इन टिकट्स पर देखने को मिलेगा मैच का शानदार नजारा
KSCA ने अपने बयान में कहा कि एम चिन्नास्वामी स्टेडियम 50% पहला जमा इतिहास में पहली बार डे-नाइट टेस्ट की मेजबानी करेगा. इसको लेकर बेहद खुशी है. यह मैच भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजे से रात 9 बजे तक खेला जाएगा. इसके लिए कुछ हॉस्पिटालिटी टिकट्स (P कॉर्पोरेट, पवेलियन टैरेस और P2 स्टैंड) भी जारी किए गए हैं. इसमें फैंस को ग्राउंड से शानदार क्रिकेट देखने को मिलेगी. साथ ही फूड कूपन भी कॉम्प्लिमेंट्री मिलेंगे.
टेस्ट सीरीज के लिए दोनों टीमें:
भारतीय टीम: रोहित शर्मा (कप्तान), मयंक अग्रवाल, प्रियंक पंचाल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, हनुमा विहारी, शुभमन गिल, ऋषभ पंत, केएस भरत, रविचंद्रन अश्विन (फिटनेस पर निर्भर), रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह (उप-कप्तान), मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, उमेश यादव, सौरभ कुमार.
श्रीलंका टीम: दिमुथ करुणारत्ने (कप्तान), पथुम निशांका, लाहिरु थिरिमाने, धनंजय डी सिल्वा (उपकप्तान), कुशल मेंडिस (फिटनेस साबित करना होगा), एंजेलो मैथ्यूस, दिनेश चांडीमल, चरिथ असलंका, निरोशन डिकवेला, चमिका करुणारत्ने, रमेश मेंडिस (चोट के कारण सीरीज नहीं खेलेंगे), लाहिरू कुमारा, सुरंगा लकमल, दुष्मंथा चमीरा, विश्वा फर्नांडो, जेफरी वेंडेरसी, प्रवीण जयाविक्रमा और लसिथ इंबुलदेनिया.
Kabu Education
स्विट्ज़रलैंड में दो प्रमुख बैंक है। पहला यूनियन बैंक ऑफ स्विट्ज़रलैंड एवं दूसरा क्रेडिट सुइस्से बैंक इसके अलावा वहाँ 400 अन्य छोटे बड़े बैंक हैं। दो प्रमुख बैंकों में दुनियां भर के जमा पैसे का 50% पैसा जमा होता है बाकी 50% अन्य 400 बैंकों में जमा होता है।
इस बात में कोई शक नहीं है कि पैसा सुरक्षित रखने के मामले में स्विस बैंकों की प्रतिष्ठा सबसे ऊपर है। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्धों में जब सरकारें युद्ध का खर्चा निकालने के लिए लोगों की कमाई पर भारी टैक्स लगाने लगी तब यूरोपीयन देशों के लोगों ने अपना पैसा स्विस बैंकों में डालना शुरू किया। युद्ध के उस दौर में बड़े बड़े यहूदी व्यापारी भी अपना पैसा इन बैंकों में जमा कराते थे तो स्वयं हिटलर ने भी अपना खाता इन बैंकों में खोल रखा था।यूरोप के कई देशों के लोग अपना पैसा वहाँ पर जमा करते थे।
▪️क्यों सबसे सुरक्षित है स्विस बैंक?
परंपरागत रूप से लगभग दो शताब्दियों से स्विस बैंक गोपनीयता बरत रहे हैं। लेकिन 1934 में एक फ़ेडरल एक्ट बनाकर उन्होंने प्राइवेसी को और अधिक मजबूत कर दिया। किसी की बैंकिंग संबंधी प्राइवेसी को भंग करने पर वहाँ कर्मचारियों को 5 साल की जेल हो सकती है। आश्चर्य की बात है कि लगभग 100 सालों में प्राइवेसी भंग करने के सिर्फ चार मामले सामने आए हैं।
स्विस बैंक में खाता केवल डिजिटल नंबर से खोला जाता है जिससे खाताधारक के नाम की जानकारी खुद कर्मचारियों को भी नहीं होती। इनके लाकर्स ऐल्प्स की पहाड़ियों की अनजान गुफाओं तथा मजबूत बने बंकरों में भी होते हैं। पैसा भी पूरी तरह से बीमित होता है। हालांकि जमा पैसे पर ब्याज देने के बजाय ब्याज लिया जाता है लेकिन पैसा जमा कराने के बाद जमाकर्ता चेन की नींद सो सकता है। स्विस सरकार कोई विरले अंतरराष्ट्रीय मामलों में ही कोई खाताधारक की जानकारी देती हैं। बैंक तो लगभग मौन ही रहते है। स्विस मुद्रा की इन्फ्लेशन रेट जीरो होने के साथ वहां की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छे से स्थापित है इस कारण भी लोग वहाँ के बैंकों पर विश्वास करते हैं। 2018 में स्विस सरकार एक पैक्ट के तहत 73 देशों के साथ खाताधारकों की कुछ जानकारियां शेयर करती है जिसमें भारत देश भी शामिल है हालांकि वह भी बहुत मुश्किल से।
▪️️कितना पैसा जमा है भारतीयों का?
वर्ष 2006 में भारतीयों का 52575 करोड़ रुपया स्विस बैंकों में जमा था। आगे के वर्षों के यह रकम काफी कम हो गयी लेकिन अभी हाल ही में जारी स्विस बैंक की आधिकारिक घोषणा में यह रकम पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले बढ़कर 20700 करोड़ हुई है हालांकि उसमें ग्राहक जमा में 6% कमी आई है। प्राइवेसी के कड़े नियमों के चलते यह कहना बहुत मुश्किल है कि इसमें काला धन कितना है।
स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में ब्रिटेन 30.49 लाख करोड़ रुपयों एवं अमेरिका 12.29 लाख करोड़ रुपयों के साथ क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर है।
अपने धन की निष्पक्षता रखने की साख के चलते स्विट्ज़रलैंड यूरोपीयन यूनियन का सदस्य नहीं बना तथा संयुक्त राष्ट्र संघ का भी सदस्य बहुत बाद में 2002 में बना।
कहते है स्विस नागरिक गोली खा लेगा लेकिन अपने ग्राहकों की जानकारी नहीं देगा।
सेना व केंद्रीय सुरक्षा बलों में 80% को लग चुका है पहला टीका, लेकिन शीर्ष कोविड राज्यों की पुलिस है पीछे
सुरक्षा कर्मियों के लिए टीकाकरण - जिन्हें कोविड महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखा गया है- अभियान के पहले चरण में शुरू हुआ था, जिसे 16 जनवरी को लॉन्च किया गया था.
प्रयागराज में सीआरपीएफ के जवान को वैक्सीन लगाती नर्स/फोटो: एएनआई
नई दिल्ली: दिप्रिंट द्वारा जमा किए गए आंकड़ों के मुताबिक़, भारतीय सुरक्षा बलों के 80 प्रतिशत से अधिक कर्मियों को- जिनमें सशस्त्र व पुलिस बस शामिल हैं- कोविड का पहला टीका लग चुका है.
लेकिन, जब बात टीके की दोनों ख़ुराक की आती है, तो कहानी बदल जाती है.
थल सेना, भारतीय वायुयेना (आईएएफ), और नौसेना में, 50 प्रतिशत कर्मियों को टीके के दोनों डोज़ पूरे किए जा चुके हैं, और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तीनों इकाइयों- केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), और भारत- तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में भी, यही रुझान दिखाई देता है.
महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश, जो उन राज्यों में हैं 50% पहला जमा जहां कोविड मामलों में फिर इज़ाफा देखा जा रहा है, ये संख्या 40 प्रतिशत से भी नीचे है. पंजाब में तो ये संख्या केवल 26 प्रतिशत है.
इन तीन राज्यों में 70-80 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को, पहला डोज़ मिल चुका है.
अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं
हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.
दिल्ली में, जहां कोविड मामलों में उछाल देखा जा रहा है, आंकड़े थोड़े बेहतर हैं, और यहां 62 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को दोनों टीके लग चुके हैं. राष्ट्रीय राजधानी में तक़रीबन 90 प्रतिशत पुलिस कर्मियों को पहला डोज़ लगाया जा चुका है.
इस रिपोर्ट 50% पहला जमा के लिए हर उल्लिखित बल से, अलग अलग आंकड़े एकत्र किए गए हैं.
सुरक्षा कर्मियों के लिए टीकाकरण – जिन्हें कोविड महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखा गया है- अभियान के पहले चरण में शुरू हुआ था, जिसे 16 जनवरी को लॉन्च किया गया था.
रक्षा बलों के सूत्रों ने कहा कि सेना, वायुसेना, और नौसेना के लिए, टीकाकरण अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, और अधिकारी कर्मियों के परिवार के सदस्यों को भी टीका लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जो आम लोगों के लिए निर्धारित, आयु मानदंड पर पूरा उतरते हैं.
स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन कर्मियों के लिए, कोई आयु सीमा नहीं है, लेकिन आम लोगों के लिए, फिलहाल 45 से अधिक उम्र के लोग ही टीका लगवा सकते हैं.
इस बीच महाराष्ट्र, जहां कोविड-19 के सबसे अधिक मामले देखने में आ रहे हैं, और उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारी, इस आरोप से इनकार करते हैं, कि टीकाकरण धीमी गति से चल रहा है. उनका कहना है कि टीके के दोनों डोज़ दिए जा चुके लोगों की संख्या इसलिए कम है, कि दो डेज़ के बीच 6-8 सप्ताह का अंतराल अनिवार्य है.
दिप्रिंट ने फोन और मैसेज के ज़रिए, पंजाब डीजीपी दिपांकर गुप्ता से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक, कोई जवाब नहीं मिला था.
CAPFs में 50% से अधिक कर्मियों को टीके लगे
सीएपीएफ के बीच, सीआरपीएफ (जिसमें 2.9 लाख कर्मी हैं), बीएसएफ (2.65 लाख), और आईटीबीपी (85,000) में 50 प्रतिशत कर्मियों के, टीकाकरण का काम पूरा हो चुका है.
इन तीन बलों में, सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके लगाए गए, और उनमें से 90 प्रतिशत को पहला डोज़ दिया जा चुका है.
एक वरिष्ठ सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, ‘सीआरपीएफ में, 2,51,820 कर्मियों, या 88.2 प्रतिशत को, पहला डोज़ दिया जा चुका है. 1,48,743 से अधिक, या 52 प्रतिशत को, दूसरा डोज़ भी मिल चुका है’. उन्होंने आगे कहा, ‘जिन्हें दूसरा डोज़ नहीं मिला है, वो दरअस्ल दोनों डोज़ के बीच का अंतराल, ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं’.
एक सीनियर बीएसएफ अधिकारी ने कहा, ‘टीकाकरण प्रक्रिया जारी है और कर्मी भी टीका लगवाने के लिए तैयार हैं. कुछ कर्मी ऐसे हैं जो पहले टीका लगवाने को तैयार नहीं थे, लेकिन हमने उन्हें वैक्सीन्स की अहमियत से अवगत कराया है’.
सीआरपीएफ में, 82 कर्मी कोविड से अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि बीएसएफ में 49 और आईटीबीपी में 13 दर्ज हुईं हैं.
सशस्त्र बलों की स्थिति
दिप्रिंट के हाथ लगे आंकड़ों से पता चला है, कि तीनों सेनाओं के 90 प्रतिशत से अधिक सेवारत कर्मियों को, वैक्सीन का पहला डोज़ लग चुका है, और 50 प्रतिशत से अधिक को दोनों ख़ुराक मिल चुकी हैं.
रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, कि रक्षा सेवाओं के लिए कोविड-19 टीकाकरण अभियान बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि फ्रंटलाइन वर्कर्स होने के नाते, हर आयु वर्ग के कर्मियों को टीके लगाए गए हैं.
एक सूत्र ने कहा, ‘सशस्त्र सेनाओं में कोविशील्ड वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. सेवारत कर्मियों के आश्रितों को, जो 45 से अधिक आयु के हैं, राष्ट्रीय नीति के अनुसार सेवा अस्पतालों में टीके लगाए जा रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘सशस्त्र सेनाएं सख्ती के साथ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइडलाइन्स का पालन कर रही हैं’.
सूत्र ने कहा, ‘चूंकि मंत्रालय ने पूरे देश में वैक्सीन्स एक साथ उपलब्ध कराईं थीं, इसलिए सीमावर्त्ती क्षेत्रों में तैनात कर्मियों के लिए, अलग से कोई प्राथमिकता तय नहीं की गई थी’.
सूत्र ने आगे कहा कि टीका लगाए गए कर्मियों में कोई गंभीर विपरीत प्रभाव देखने को नहीं मिले हैं.
पिछले महीने, सरकार ने संसद को बताया कि सशस्त्र बलों के 119 कर्मियों की कोविड-19 से मौत हुई थी, जबकि कुल 44,766 कर्मी इस बीमारी की चपेट में आए थे.
इन मौतों में, 81 सेना में थीं (कुल 33,003 इनफेक्शंस में), दो नौसेना में थीं (3,604), और 36 आईएएफ में थीं (8,159).
राज्यों की पुलिस पीछे
दिल्ली पुलिस में, 49,936 या कुल 80,076 के 62 प्रतिशत कर्मियों को टीके की दोनों ख़ुराक मिल चुकी हैं. लेकिन, बाक़ी राज्य पीछे चल रहे हैं.
पंजाब में, केवल 26 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को, टीके के दोनों डोज़ लग पाए हैं.
महाराष्ट्र में, 2 लाख की फोर्स में 64,000 कर्मियों को टीके लगे हैं, जो 32 प्रतिशत बैठता है. उत्तर प्रदेश के लिए ये संख्या 38.4 प्रतिशत है, जहां राज्य के 2,96,501 में से, 1,13,937 पुलिसकर्मियों को टीके के दोनों डोज़ दिए जा चुके हैं.
हालांकि दोनों खुराक दिए गए कर्मियों की संख्या कम है, लेकिन सभी राज्यों की पुलिस का कहना है, टीकाकरण अभियान पटरी पर है.
महाराष्ट्र अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एस्टेबलिशमेंट) कुलवंत कुमार सारंगल ने कहा, ‘प्रक्रिया धीमी नहीं है. इसकी अपेक्षा थी. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोविड-19 वैक्सीन की पहली और दूसरी ख़ुराक के बीच एक अंतराल है’.
‘प्रोटोकोल के मुताबिक़, पहले ये अंतराल 28 दिन था, लेकिन फिर प्रोटोकोल बदल गया. और अब ये अंतराल 6 से 8 हफ्ते का होना चाहिए. इसके अलावा, टीका लगवाना पुलिस कर्मियों के लिए स्वेच्छा का मामला है, और विभाग टीकाकरण को तभी सुगम बनाता है, अगर कोई लगवाना चाहता है’.
यूपी में, एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था, कि टीकाकरण अभियान पूरी ताक़त से चलाया जा रहा है. अधिकारी ने कहा, ‘हमारे लोग फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, हमें उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. हमारे 2,30,000 कर्मी पहला डोज़ लगवा चुके हैं, जो क़रीब 80 प्रतिशत बैठता है, और 35 प्रतिशत से अधिक को दूसरा डोज़ लग चुका है. अंतराल पूरा होने पर दूसरा डोज़ लगने पर, उनका भी टीके का कोर्स पूरा हो जाएगा. ये सिर्फ समय की बात है’.
राज्यों की पुलिस तथा सशस्त्र और केंद्रीय पुलिस बलों के बीच टीकाकरण के अंतर को समझाते हुए, यूपी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा, ‘सशस्त्र पुलिस और रक्षा बलों के लिए वैक्सीन्स, उन्हें सीधे केंद्र की ओर से दी गईं थीं, और उन्हीं के पैरा-मेडिकल स्टाफ ने टीके लगाए.
‘राज्यों के लिए ये डोज़ प्रदेश की डिस्पेंसरियों और मेडिकल कैम्पों के ज़रिए दिए गए थे, इसीलिए इनकी संख्या में थोड़ा अंतर है. लेकिन टीकाकरण अच्छी रफ्तार से चल रहा है. 80 प्रतिशत से अधिक कर्मियों को, पहला डोज़ मिल चुका है, और उन्हें दूसरा डोज़ भी दिया जाएगा. ये सिर्फ समय की बात है’.
IND vs SL Day-Night Test: बेंगलुरु डे-नाइट टेस्ट में 50% फैंस को मिलेगी एंट्री, टिकट भी जारी
टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच दो टेस्ट की सीरीज का पहला मैच 4 मार्च से मोहाली में और दूसरा टेस्ट 12 मार्च से बेंगलुरु में खेला जाएगा. आखिरी मैच डे-नाइट टेस्ट होगा.
aajtak.in
- बेंगलुरु,
- 26 फरवरी 2022,
- (अपडेटेड 26 फरवरी 2022, 7:45 AM IST)
- टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच टेस्ट सीरीज
- पहला टेस्ट 4 और दूसरा टेस्ट 12 मार्च से होगा
टीम इंडिया के खिलाफ दो टेस्ट की सीरीज के लिए श्रीलंकाई स्क्वॉड घोषित हो गया है. सीरीज का पहला मैच 4 मार्च से मोहाली में और दूसरा टेस्ट 12 मार्च से बेंगलुरु में खेला जाएगा. आखिरी मैच डे-नाइट टेस्ट होगा. फैंस के लिए एक अच्छी खबर यह है कि डे-नाइट टेस्ट में 50% दर्शकों को स्टेडियम में एंट्री मिलेगी.
कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के प्रवक्ता विनय मृत्युंजय मृत्युंजय ने इन्साइडस्पोर्ट से कहा कि कर्नाटक सरकार के नियम के मुताबिक स्टेडियम में 50% फैंस को एंट्री दी जा सकती है. हम सरकार के पास दर्शकों की क्षमता बढ़ाने की मांग के करने के लिए नहीं जाएंगे.
7 प्रकार की कीमत के टिकट्स जारी
- 100 रुपए: G अपर/ G लोअर 1 & 2 (एंट्री: गेट नंबर-2)
- 500 रुपए: D कॉर्पोरेट, A स्टैंड, B लोअर & B अपर (एंट्री: गेट नंबर-19)
- 750 रुपए: E-एग्जीक्यूटिव, N-स्टैंड (एंट्री: गेट नंबर-19)
- 1,250 रुपए: ग्रांड टैरेस (एंट्री: गेट नंबर-18)
- 1,500 रुपए: P कॉर्पोरेट (एंट्री: गेट नंबर-18)
- 2,000 रुपए: पवेलियन टैरेस (एंट्री: गेट नंबर-18)
- 2,500 रुपए: P2 स्टैंड (एंट्री: गेट नंबर-18)
इन टिकट्स पर देखने को मिलेगा मैच का शानदार नजारा
KSCA ने अपने बयान में कहा कि एम चिन्नास्वामी स्टेडियम इतिहास में पहली बार डे-नाइट टेस्ट की मेजबानी करेगा. इसको लेकर बेहद खुशी है. यह मैच भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजे से रात 50% पहला जमा 50% पहला जमा 9 बजे तक खेला जाएगा. इसके लिए कुछ हॉस्पिटालिटी टिकट्स (P कॉर्पोरेट, पवेलियन टैरेस और P2 स्टैंड) भी जारी किए गए हैं. इसमें फैंस को ग्राउंड से शानदार क्रिकेट देखने को मिलेगी. साथ ही फूड कूपन भी कॉम्प्लिमेंट्री मिलेंगे.
टेस्ट सीरीज के लिए दोनों टीमें:
भारतीय टीम: रोहित शर्मा (कप्तान), मयंक अग्रवाल, प्रियंक पंचाल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, हनुमा विहारी, शुभमन गिल, ऋषभ पंत, केएस भरत, रविचंद्रन अश्विन (फिटनेस पर निर्भर), रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह (उप-कप्तान), मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, उमेश यादव, सौरभ कुमार.
श्रीलंका टीम: दिमुथ करुणारत्ने (कप्तान), पथुम निशांका, लाहिरु थिरिमाने, धनंजय डी सिल्वा (उपकप्तान), कुशल मेंडिस (फिटनेस साबित करना होगा), एंजेलो मैथ्यूस, दिनेश चांडीमल, चरिथ असलंका, निरोशन डिकवेला, चमिका करुणारत्ने, रमेश मेंडिस (चोट के कारण सीरीज नहीं खेलेंगे), लाहिरू कुमारा, सुरंगा लकमल, दुष्मंथा चमीरा, विश्वा फर्नांडो, 50% पहला जमा जेफरी वेंडेरसी, प्रवीण जयाविक्रमा और लसिथ इंबुलदेनिया.
Kabu Education
स्विट्ज़रलैंड में दो प्रमुख बैंक है। पहला यूनियन बैंक ऑफ स्विट्ज़रलैंड एवं दूसरा क्रेडिट सुइस्से बैंक इसके अलावा वहाँ 400 अन्य छोटे बड़े बैंक हैं। दो प्रमुख बैंकों में दुनियां भर के जमा पैसे का 50% पैसा जमा होता है बाकी 50% अन्य 400 बैंकों में जमा होता है।
इस बात में कोई शक नहीं है कि पैसा सुरक्षित रखने के मामले में स्विस बैंकों की प्रतिष्ठा सबसे ऊपर है। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्धों में जब सरकारें युद्ध का खर्चा निकालने के लिए लोगों की कमाई पर भारी टैक्स लगाने लगी तब यूरोपीयन देशों के लोगों ने अपना पैसा स्विस बैंकों में डालना शुरू किया। युद्ध के उस दौर में बड़े बड़े यहूदी व्यापारी भी अपना पैसा इन बैंकों में जमा कराते थे तो स्वयं हिटलर ने भी अपना खाता इन बैंकों में खोल रखा था।यूरोप के कई देशों के लोग अपना पैसा वहाँ पर जमा करते थे।
▪️क्यों सबसे सुरक्षित है स्विस बैंक?
परंपरागत रूप से लगभग दो शताब्दियों से स्विस बैंक गोपनीयता बरत रहे हैं। लेकिन 1934 में एक फ़ेडरल एक्ट बनाकर उन्होंने प्राइवेसी को और अधिक मजबूत कर दिया। किसी की बैंकिंग संबंधी प्राइवेसी को भंग करने पर वहाँ कर्मचारियों को 5 साल की जेल हो सकती है। आश्चर्य की बात है कि लगभग 100 सालों में प्राइवेसी भंग करने के सिर्फ चार मामले सामने आए हैं।
स्विस बैंक में खाता केवल डिजिटल नंबर से खोला जाता है जिससे खाताधारक के नाम की जानकारी खुद कर्मचारियों को भी नहीं होती। इनके लाकर्स ऐल्प्स की पहाड़ियों की अनजान गुफाओं तथा मजबूत बने बंकरों में भी होते हैं। पैसा भी पूरी तरह से बीमित होता है। हालांकि जमा पैसे पर ब्याज देने के बजाय ब्याज लिया जाता है लेकिन पैसा जमा कराने के बाद जमाकर्ता चेन की नींद सो सकता है। स्विस सरकार कोई विरले अंतरराष्ट्रीय मामलों में ही कोई खाताधारक की जानकारी देती हैं। बैंक तो लगभग मौन ही रहते है। स्विस मुद्रा की इन्फ्लेशन रेट जीरो होने के साथ वहां की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छे से स्थापित है इस कारण भी लोग वहाँ के बैंकों पर विश्वास करते हैं। 2018 में स्विस सरकार एक पैक्ट के तहत 73 देशों के साथ खाताधारकों की कुछ जानकारियां शेयर करती है जिसमें भारत देश भी शामिल है हालांकि वह भी बहुत मुश्किल से।
▪️️कितना पैसा जमा है भारतीयों का?
वर्ष 2006 में भारतीयों का 52575 करोड़ रुपया स्विस बैंकों में जमा था। आगे के वर्षों के यह रकम काफी कम हो गयी लेकिन अभी हाल ही में जारी स्विस बैंक की आधिकारिक घोषणा में यह रकम पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले बढ़कर 20700 करोड़ हुई है हालांकि उसमें ग्राहक जमा में 6% कमी आई है। प्राइवेसी के कड़े नियमों के चलते यह कहना बहुत मुश्किल है कि इसमें काला धन कितना है।
स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में ब्रिटेन 30.49 लाख करोड़ रुपयों एवं अमेरिका 12.29 लाख करोड़ रुपयों के साथ क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर है।
अपने धन की निष्पक्षता रखने की साख के चलते स्विट्ज़रलैंड यूरोपीयन यूनियन का सदस्य नहीं बना तथा संयुक्त राष्ट्र संघ का भी सदस्य बहुत बाद में 2002 में बना।
कहते है स्विस नागरिक गोली खा लेगा लेकिन अपने ग्राहकों की जानकारी नहीं देगा।