शेयर ट्रेडिंग

फॉरेक्स में बार क्या है?

फॉरेक्स में बार क्या है?
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Forex Trading Kya होती Hai ? हिंदी में जाने

आइए दोस्तो! क्या आप फॉरेक्स मार्केट या Forex Trading के बारे में जानना चाहते तो आप सही पोस्ट पर आए है और मैं खुद एक ट्रेडर हूं इसके बारे में आप को बेहतर तरीके से बता सकता हु। आइए जानते इस दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट बारे में।

फॉरेक्स मार्केट क्या होता है –

फॉरेक्स क्या अर्थ होता है = foreion+exchange इस मार्केट में एक करेंसी को दूसरी करेंसी में बदला जाता है। यह दुनिया को सबसे बड़ी मार्केट है इसका रोज का लेनदेन 5 या 6 ट्रिलियन का होता है। यह 24×5 खुली रहती है और Suterday,Sunday बंद रहती है।

Forex Trading क्या होती है – FOREX TRADING IN HINDI

जिस तरह से लोग शेयर मार्केट में Profit यानी पैसा कमाने के लिए शेयरों की खरीदी बेचा करते है। इसी तरह इस forex market में किसी करेंसी को कम दाम में खरीद कर ज्यादा दाम में बेचने को ही फॉरेक्स ट्रेडिंग या करेंसी ट्रेडिंग कहते है। जिस तरह शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने पर high या medium रिस्क होता है। इस मार्केट में ट्रेडिंग करने पर medium या low रिस्क होता है। इसमें ट्रेड करने पर मार्जिन काम देना पड़ता है। आगे हम मार्जिन और जो भी फॉरेक्स मार्केट में concept है उसको जानेंगे।

India में फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे होती है

भारत में यह दो तरीके से हो सकती है

  1. इंडियन ब्रोकर अकाउंट जैसे – Zerodha,Upstox Etc.
  2. International ब्रोकर अकाउंट जैसे – Octafx, Exness,Tickmill Etc.
    औरSEBI के गाईडलाइन के अनुसार NSE और BSE एक्सचेंज को दिए गये निर्देश के अनुसार सिर्फ पंजीकृत ब्रोकरों को ही यह ट्रेडिंग कराने की अनुमति है। यह ट्रेडिंग कानूनी रूप से लीगल है।
  • कुछ ही सालों में भारत में बाहरी फॉरेन एक्चेंज ने काफी दिलचस्पी दिखाई है और वह भारत में ट्रेडिंग कराने लगे है।

भारत में Forex Trading के कॉन्सेप्ट –

  • ट्रेडिंग करने के लिए सबसे जरूरी है Money Management, Risk Managment और Pyscology यही ट्रेडिंग का आधार है।
  • फॉरेक्स ट्रेडिंग फॉरेक्स में बार क्या है? हमेशा जोड़ो में होती है। जैसे – USD/INR ,GBP/INR, EUR/INR
  • भारत में करेंसी ट्रेडिंग दो तरह से होती है ऑप्शन ट्रेडिंग और फ्यूचर ट्रेडिंग

करेंसी हमेशा Pairs Me ट्रेड होती है।Pairs की कीमत हमेशा ऊपर नीचे होती रहती है।करेंसी Pairs के लिए फार्मूला होता है।

बेस करेंसी/कोटेशन करेंसी = Price (कीमत)

  • बेस करेंसी – बेस करेंसी हमेशा किसी देश करेंसी के एक बराबर माना जाता है। जैसे – 1 डॉलर 1 रुपया 1 जापानी येन
  • कोटेशन करेंसी – कोटेशन करेंसी वह करेंसी जो बेस करेंसी के मुकाबले बताया जाता है
  • Price – कीमत उसे कहते जो बेस करेंसी के मुकाबले कोटेशन की कीमत होती है

मान लीजिए की USD (अमेरिकी डॉलर)/INR (भारतीय रुपए) एक पेयर है जिसकी कीमत = 79 है।

यहां USD अमेरिकी डॉलर एक बेस करेंसी है और INR फॉरेक्स में बार क्या है? भारतीय फॉरेक्स में बार क्या है? रुपया एक कोटेशन करेंसी है। इसकी कीमत 79 है जिसका मतलब है 1 डॉलर लेने के लिए 79 रुपया देना होगा।

भारत में ट्रेडिंग करने के कुछ नियम –

Lot – फॉरेक्स ट्रेडिंग हमेशा फॉरेक्स में बार क्या है? Lot साइज में होती है।भारत में एक Lot 1000 करेंसी का होता है यानी 1000 बेस करेंसी का। JPY/INR में यह 10000 का होता है।

Pips या Tick– पेयर्स में प्राइस की सबसे छोटी movment को pip या tick कहते है। भारत में 1 Pip = 0.0025 होता है।

मार्जिन – मार्जिन शब्द हमेशा ट्रेडिंग में इस्तेमाल होता है।जैसे हम कोई ट्रेड में एंटर करते है तो हमे पूरा पैसा न देकर कुछ परसेंट पैसा देकर ट्रेड में एंटर कर सकते है जैसे USD/INR का एक lot buy करना है तो 79000 रुपए का होता है क्यों होता क्योंकि lot 1000 का था lot हमेशा बेस करेंसी के बराबर होता है लेकिन हमे लेवरेज मिलता जिसके कारण हमे सिर्फ 2000 ya 2200 में आप ट्रेड कर सकते है। इसी को मार्जिन कहते है।

Trading Hours – भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग का समय सुबह 9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक ही होती है।

फॉरेक्स मार्केट को इफेक्ट करने वाले कारक

USD/INR का प्राइस कम को एप्रीसिएशन कहते है और प्राइस बढ़ने को डिप्रीशिएशन कहते है। प्राइस कम होने का मतलब है भारतीय रुपया मजबूत होता है।जब प्राइस बढ़ता है तो भारतीय रुपया कमजोर होता है।

  1. इनफ्लेशन (मुद्रास्फीति) – जब महगाई की दर यानी महंगाई कम होती है तब INR एप्रीसिएशन होता है
  2. इंटरेस्ट रेट्स (ब्याज दर) – जब rbi रेट्स बढ़ाता है तब भी INR एप्रीसिएशन होता है।
  3. RBI का USD/INR का बेचना – जब INR का प्राइस बढ़ने लगता है।इससे एक्सपोर्टइंपोर्ट करने में परेशानी होने लगती है तो RBI USD/INR बेचने लगता है इससे मार्केट स्थिर हो जाता है और एप्रेशियट होने लगता है।
  4. निर्यात – जब एक्सपोर्ट या निर्यात बढ़ने लगता है।तब INR एप्रीसिएशन होता है।
  5. राजनीतिक स्थिरता – भारत में जब सरकार बार – बार नही बदलती है और एक सरकार पूरे पांच साल तक रहती है तो भी INR एप्रीसिएशन होता है
  6. करेंट अकाउंट डेफिसिट – करेंट अकाउंट डेफिसिट होता है तो भी INR का प्राइस कम होने लगता है

Forex Trading में जरुरी टिप्स

  • ट्रेडिंग करने के लिए सबसे जरूरी है सही ब्रोकर को चुनना।कुछ ब्रोकर hidden चार्जेस लेने लगते है।
  • ट्रेडिंग करते समय जरूरी है आप इमोशन पर काबू करे नही तो ट्रेडिंग आपकी दुश्मन बन जायेगी। जिसने भी इमोशन को कंट्रोल कर लिया वह ट्रेडर बन गया। ट्रेडिंग में 90% साइकोलॉजी यानी इमोशन और 10% स्किल important है।
  • आप हमेशा सीखते रहे और प्रैक्टिस करते है इससे आपकी स्किल improve होगी आप और भी अच्छे ट्रेडर बन पायेंगे।
  • एक अच्छा ट्रेडर मार्केट की साइकोलॉजी को समझता है वह यह जानता है अब मार्केट ओवरबॉट या ओवरसेल हो चुका है
  • जो ट्रेडर रिस्क नहीं लेता वह ट्रेडर नही होता है ।बिना रिस्क लिए आप प्रॉफिट नहीं कमा सकते है।वो डायलॉग सुना है रिस्क है तो इश्क है।
  • टेक्निकल एनालिसिस करे! और उसे ज्यादा से ज्यादा सीखे और चार्ट पैटर्न को देख कर ट्रेड करने का निर्णय लीजिए ।
  • स्टॉप लॉस ट्रेडिंग सबसे जरूरी हिस्सा है ।जब भी आप ट्रेड में एंटर हो पहले आप अपना स्टॉप लॉस सेट करने के बाद ही किसी ट्रेड में एंटर करे।

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500 अरब डॉलर के पार विदेशी मुद्रा भंडार: तीन दशक में शून्य से शिखर तक कैसे पहुंचा भारत

Forex reserve record : देश को 1991 में ऐसा वक्त भी देखना पड़ा था जब विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। तब देश के पास 1 से 2 हफ्ते तक के आयात के लायक ही अमेरिकी डॉलर्स बचे थे। आज तीन दशक बाद भारत के पास 500 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार हो गया है।

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भारत का फॉरेक्स रिजर्व 500 अरब डॉलर के पार।

हाइलाइट्स

  • भारत ने विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में नई मंजिल तय कर ली है
  • इतिहास में पहली बार देश का फॉरेक्स रिजर्व 500 अरब डॉलर के पार हो गया है
  • 30 साल पहले वर्ष 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार शून्य पर चला गया था और खूब शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी
  • बीते तीन दशक में भारत ने शून्य से शिखर तक का रास्ता तय कर लिया है

याद कीजिए वर्ष 1991 का भुगतान संकट
क्यों भूल गए 1991 का भुगतान संकट? हां, वही दौर जब भारत के पास सिर्फ एक से दो सप्ताह तक के आयात की क्षमता बची थी। 1980-90 के दशक में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होते-होते ऐसी स्थिति में पहुंच गया था कि 1991 में देश को अपना 'सोने का खजाना' गिरवी रखना पड़ गया। जब देश के हालात ऐसे बन रहे थे, तब केंद्र में खिचड़ी सरकार में उठापठक का दौर चल रहा था। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की समाजवादी सरकार के वित्त मंत्री थे यशवंत सिन्हा जिन्होंने सोने को गिरवी रखने के प्रस्ताव वाली फाइल पर दस्तखत किया। तब सोना खरीदा था स्विट्जरलैंड के बैंक UBS ने और भारत को बदले में मिला था 20 करोड़ डॉलर।

आनंद महिंद्रा ने दिलाई उस दौर की याद
देश के प्रसिद्ध उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि पर खुशी जताते हुए उस दौर को याद किया। महिंद्रा ने कहा, '30 साल पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग शून्य हो गया था। अब हमारे पास तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक भंडार है।' उन्होंने कहा, 'इस अनिश्चित समय में यह खबर मनोबल बढ़ाने वाली है। अपने देश की क्षमता को मत भूलें और आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर वापस आने के लिए इस संसाधन का बुद्धिमता से उपयोग करें।'

पूर्व RBI गवर्नर ने बताई शर्मिंदगी की वह कहानी
हालांकि जून में सत्ता परिवर्तन हुआ और नरसिम्हा राव नए प्रधानमंत्री बने, लैकिन हालात में सुधार नहीं हुआ। देश के पास सिर्फ तीन सप्ताह तक के आयात भर का मुद्रा भंडार था। बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान भारत को कर्ज देने को तैयार तो हुआ, लेकिन बदले में सोना गिरवी रखने की शर्त पर। पूर्व आरबीआई गवर्नर वाईवी रेड्डी ने अपने संस्मरण 'अडवाइज ऐंड डिसेंट' में 1991 की घटना बहुत बारीक विवरण दिया है। भुगतान संकट से उबरने के लिए सरकार ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान के पास करीब 47 टन सोना गिरवी रखने का फैसला लिया था। इसके एवज में उसे 40.5 करोड़ डॉलर की राशि मिलनी थी।

गिरवी रखने लिए भेजा जा रहा था सोना, तभी.
वाईवी रेड्डी बताते हैं कि सोना आरबीआई से जिस वैन में एयरपोर्ट भेजा जा रहा था, उसका टायर बीच रास्ते में फट गया। सोने से भरा वाहन जैसे ही रास्ते में रुका तो उसकी सुरक्षा में तैनात आधा दर्जन जवानों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। 'अडवाइज ऐंड डिसेंट' में रेड्डी ने बताया कि सुरक्षा कर्मियों की हरकत देख वैन के आसपास कई लोग जुटने लगे। अच्छा था कि किसी के पास उस दौरान स्मार्टफोन नहीं था कि कोई फोटो क्लिक कर उसे ट्विटर पर ट्वीट कर पाए। हालांकि, एयरपोर्ट पर किसी के कैमरे ने उस पल को कैद कर लिया था।

उदारीकरण से खुला विदेशी पूंजी का रास्ता
खैर, इस जोरदार झटके ने नए प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को अपने वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर वह रणनीति बनाने को मजबूर कर दिया जिससे भविष्य में भारत को ऐसी शर्मनाक परिस्थिति से कभी नहीं गुजरना पड़े। उदारीकरण की रूपरेखा तैयार हुई, भारत को विदेशी पूंजी के लिए खोला गया और धीरे-धीरे भारत में विदेशी पूंजी के रूप में विदेशी मुद्रा आने लगी। आज भारत के पास 500 अरब डॉलर यानी आधा ट्रिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है।

मनमोहन के शासन में खूब बढ़ा फॉरेक्स फॉरेक्स में बार क्या है? रिजर्व
नीचे का ग्राफ देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि 1994 से ही भारत का फॉरेक्स रिजर्व बढ़ने लगा, लेकिन 2005 से इसने तेज गति से वृद्धि हासिल की। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में बनी पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी जिसने देश के इतिहास में पांच साल का शासन पूरा किया। तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) 2004 में भी सत्ता वापसी को लेकर बिल्कुल आश्वस्त था। चुनावों में 'शाइनिंग इंडिया' का नारा बुलंद किया जा रहा था, लेकिन नतीजे आए तो जीत कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की हुई। प्रधानमंत्री वही मनमोहन सिंह बने जिन्होंने 1991 में बतौर वित्त मंत्री विदेशी मुद्रा भंडार को समृद्ध करने का रास्ता खोला था। अब जब वह खुद प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो 10 साल के उनके लागातर दो कार्यकाल फॉरेक्स में बार क्या है? में फॉरेक्स में बार क्या है? फॉरेक्स रिजर्व ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि कुछ मौकों के छोड़कर आज तक फर्राटे भर रही है।

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मोदी युग में फर्राटे भर रहा भंडार
ग्राफ एक और महत्वपूर्ण बात की ओर इशारा कर कर रहा है- यह कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दोबारा पांच साल पूरा करने वाली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी तो देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि ने और रफ्तार पकड़ ली। सिलसिला आगे बढ़ता गया और बढ़ ही रहा है। अब हमारे पास तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार है। भारत पहले ही विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में रूस और दक्षिण कोरिया से आगे निकल गया था। अब हम चीन और जापान के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।

आखिर विदेशी मुद्रा का इतना महत्व क्यों?
लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर विदेशी मुद्रा भंडार की इतनी दरकार है ही क्यों? जवाब है कि हमें कच्चा तेल समेत कई वस्तुएं विभिन्न देशों से आयात करनी पड़ती हैं। चूंकि अंतरराष्ट्रीय कारोबार के फॉरेक्स में बार क्या है? लिए लेनदेन की मुद्रा अमेरिकी डॉलर ही है, इसलिए अगर डॉलर नहीं हो तो जिस देश से जिस कीमत का सामान खरीद रहे हैं, उसकी कीमत किस मुद्रा से चुकाएंगे? और, अगर आपके पास कीमत चुकाने के लिए करेंसी नहीं है तो कोई आपको सामान क्यों देगा? तो एक बात तो सामान्य है कि हमें दूसरे देशों से वस्तुओं के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की जरूरत पड़ती है। स्पष्ट है कि जितना बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतनी ज्यादा खरीद की क्षमता। कहा जा रहा है कि अब भारत के पास इतना बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार हो चुका है कि इससे करीब ढाई साल तक की जरूरतों के सामान आयात किए जा सकते हैं।

विदेशी मुद्री की कमाई-खर्च और चालू खाता का हिसाब
एक और सवाल काफी महत्वपूर्ण है कि आखिर हमारे पास विदेशी मुद्रा आती कहां से है? जवाब आसान है- हम भी तो बहुत सारी वस्तुएं निर्यात करते हैं। जब हम किसी देश को कुछ बेचते हैं तो बदले में हमें भी तो अमेरिकी डॉलर ही मिलता है। यही वजह है कि हर देश आयात से ज्यादा निर्यात करना चाहता है ताकि उसके पास खर्च से ज्यादा डॉलर की आमदनी हो।

दरअसल, आयात के लिए खर्च और निर्यात से हुई डॉलर की आमदनी के अंतर को चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) या चालू खाता अधिशेष (Current Account Surplus) कहा जाता है। चालू खाता की स्थिति से किसी देश की आर्थिक ताकत का भी अंदाजा लगाया जाता है। अगर चालू खाता घाटा बढ़ जाए तो समझिए कि आमदनी के मुकाबले डॉलर का खर्च बढ़ रहा है।

आरबीआई ने जारी की अलर्ट लिस्ट: इन 34 फॉरेक्स ट्रेडिंग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को अवैध घोषित किया

आरबीआई ने 34 विदेशी मुद्रा व्यापार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की लिस्ट जारी की है. लिस्ट जारी करते हुए आीबीआई ने कहा है कि कोई भी अनधिकृत ईटीपी पर विदेशी मुद्रा लेनदेन न करें

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  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2022,
  • (Updated 11 सितंबर 2022, 2:22 PM IST)

भारतीय फॉरेक्स में बार क्या है? रिजर्व बैंक (RBI) ने अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ETPs) से विदेशी मुद्रा लेनदेन को लेकर चेतावनी दी है. आरबीआई ने उन संस्थाओं की एक 'अलर्ट लिस्ट' जारी की है. जो न तो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत विदेशी मुद्रा में सौदा करने के लिए अधिकृत हैं और न ही अपनी वेबसाइट पर विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म संचालित करने के लिए अधिकृत हैं.

एक विज्ञप्ति में, केंद्रीय बैंक ने कहा कि जारी की गई 'अलर्ट सूची' में ऐसी कंपनियों के नाम है जो आरबीआई द्वारा अधिकृत नहीं हैं. आरबीआई ने बताया कि फेमा के तहत केवल अधिकृत व्यक्तियों के साथ और कुछ उद्देश्यों के लिए ही विदेशी मुद्रा लेनदेन कर सकते हैं. सभी कंपनियों को केवल आरबीआई या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई), बीएसई लिमिटेड और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड की तरफ से विदेशी मुद्रा में सौदा अधिकृत ईटीपी पर ही किया जाना चाहिए.

आरबीआई ने कहा कि जनता को एक बार फिर आगाह किया जाता है कि वे अनधिकृत ईटीपी पर विदेशी मुद्रा लेनदेन न करें या इस तरह के अनधिकृत लेनदेन के लिए धन जमा / जमा न करें. आरबीआई की तरफ से प्रतिबंधित 34 विदेशी मुद्रा व्यापार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की पूरी लिस्ट यहां दी गई है.

फेमा के तहत अनुमत उद्देश्यों के अलावा या आरबीआई की तरफ से अधिकृत नहीं किए गए ईटीपी पर विदेशी मुद्रा लेनदेन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

देश के Forex Reserve ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, पहली बार 550 अरब डॉलर के पार

देश का फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) यानी विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 550 अरब डॉलर को पार गया है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक 9 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व 5.867 अरब डॉलर बढ़कर 551.505 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

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देश के Forex Reserve ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, पहली बार 550 अरब डॉलर के पार

नई दिल्ली: देश का फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserve) यानी विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 550 अरब डॉलर को पार गया है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक 9 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व 5.867 अरब डॉलर बढ़कर 551.505 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इससे पहले 2 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व 3.618 अरब डॉलर उछलकर 545.638 अरब डॉलर हो गया था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक फॉरेक्स रिजर्व पहली बार 5 जून 2020 को खत्म हफ्ते में 500 अरब डॉलर के पार पहुंचा था.

9 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व में उछाल की वजह फॉरेन करेंसी असेट (FCA) में बढ़ोतरी है, जो कि कुल रिजर्व का एक बहुत बड़ा हिस्सा होता है. 9 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में फॉरेन करेंसी असेट्स (FCA) 5.737 अरब डॉलर बढ़कर 508.783 अरब डॉलर पर पहुंच गया. FCA को डॉलर में लिखा जाता है, लेकिन इसमें विदेशी मुद्रा संपत्तियों में मौजूद यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य गैर-डॉलर मुद्रा संपत्ति के वैल्यू में उतार-चढ़ाव का भी इस पर असर होता है.

गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 11.3 करोड़ डॉलर बढ़ी

9 अक्टूबर को खत्म हफ्ते के दौरान ही गोल्ड रिजर्व भी बढ़ा है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक गोल्ड रिजर्व इस दौरान 11.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.598 अरब डॉलर हो गया. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) में देश का स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) 40 लाख डॉलर बढ़कर 1.480 अरब डॉलर हो गया. आईएमएफ में देश का रिजर्व पोजिशन भी 1.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.644 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

'Forex trading'

शुक्रवार सुबह के सत्र में भारतीय रुपये में 80.75 प्रति डॉलर की दर से कारोबार हो रहा था. शुक्रवार को रुपया 80.6888 पर खुला, जबकि पिछले सत्र में यह 81.8112 पर बंद हुआ था.

कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर (Dollar) सूचकांक में मजबूती से अमेरिकी मुद्रा (American ) के मुकाबले रुपया गुरुवार को 55 पैसे गिरकर 82.17 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया.

मंगलवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 31 पैसे की मजबूती के साथ फॉरेक्स में बार क्या है? 81.51 के भाव पर पहुंच गया. विदेशी बाजारों में डॉलर के कमजोर पड़ने और घरेलू शेयर बाजारों में लिवाली का जोर रहने से रुपये को फायदा हुआ.

अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों से सहायता प्राप्त करने में क्रिप्टोकरेंसीज से काफी मदद मिली थी। विदेश में मौजूद कुछ संगठनों ने सहायता उपलब्ध कराने के लिए क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल किया था

अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों से सहायता प्राप्त करने में क्रिप्टोकरेंसीज से काफी मदद मिली थी। विदेश में मौजूद कुछ संगठनों ने सहायता उपलब्ध कराने के लिए क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल किया था

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार (interbank forex exchange market) में बृहस्पतिवार को रुपया सीमित दायरे में कारोबार के बीच छह पैसे टूटकर 79.92 प्रति डॉलर पर आ गया. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.80 पर खुला. दिन में कारोबार के दौरान यह 79.80 से 79.93 प्रति डॉलर के बीच रहा. अंत में यह छह पैसे की गिरावट के साथ 79.92 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 79.86 प्रति डॉलर रहा था.

घरेलू शेयर बाजार में पॉजिटिव ट्रेडिंग के बीच शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 23 पैसे की बढ़त के साथ 74.70 प्रति डॉलर पर पहुंच गया.

मजबूत वैश्विक धारणा के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बहुप्रतीक्षित ब्याज दर वृद्धि को लेकर अनिश्चितता बढ़ने से सोमवार को रुपया 67 रुपये प्रति डॉलर से भी नीचे लुढ़ककर 27 माह के निचले स्तर पर पहुंच गया।

रुपया लगातार गिरावट बरकरार रखते हुए शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले और 24 पैसे टूटकर 65.34 के स्तर पर पहुंच गया।

डॉलर के मुकाबले रुपये में गुरुवार को छठे दिन गिरावट का रुख रहा। अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की तुलना में रुपया 11 पैसे नीचे करीब नौ महीने के निचले स्तर 62.07 प्रति डॉलर पर खुला।

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