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फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो

फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने सावधानी बरतते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि क्रिप्टो करेंसी को फिएट करेंसी बनने की परीक्षा पास करनी अभी बाकी है।उन्होंने साथ ही कहा कि क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करना भी मुश्किल होगा। फिएट करेंसी सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा है, और यह किसी कीमती धातु की जगह सरकार में भरोसे पर टिकी होती है। उन्होंने आगे कहा कि फिएट करेंसी के विपरीत, क्रिप्टो मुद्राएं निहित मूल्य, व्यापक स्वीकार्यता और मौद्रिक इकाई जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती हैं।

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क्रिप्टो-करेंसी क्या है, क्रिप्टो करेंसी की सारी जानकारी

क्रिप्टो-करेंसी क्या है, क्रिप्टो करेंसी की सारी जानकारी

एक जमाने में लोग अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए पैसो की नही बल्कि चीजों का इस्तेमाल करते थे। आज भी गांव एरिया में जाकर आप देख सकते हो कि लोग पैसे नहीं बल्कि गेंहू धान इत्यादि अनाजो को बदलकर जरूरत का सामान खरीदते हैं। बहुत जगह यहबप्रथा आज भी चलती आ रही है। लेकिन धीरे-धीरे लोग अनाज की जगह पैसे रखने लगे क्योंकि पैसे को इधर से उधर ले जाना आसान होता था। आप इतिहास के पन्नों को पलट कर भी देख लीजिए, पुराने जमाने में लोग अनाज का इस्तेमाल करते थे पैसों की रूप में और खरीदारी करने अगर मंडी जाते तो भी साथ में अनाज लेकर जाते थे।

फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी क्या है

आप इतना समझिए कि नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी निजी क्रिप्टो-करेंसी है जैसे कि बिटकॉइन। वही फिएट क्रिप्टो-करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। अगर भविष्य में भी रिजर्व बैंक कोई आभासी मुद्रा जारी करती है तो उसको फिएट क्रिप्टो करेंसी कहा जायेगा।

कुछ लोगों को लगता है कि क्रिप्टो-करेंसी सिर्फ बिटकॉइन ही है। काफी लोग क्रिप्टो-करेंसी और बिटकॉइन को एक ही समझते हैं। लेकिन यहा पर थोड़ी सी समझने की जरूरत है। फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो आप लोग बस इतना समझ ले कि सभी क्रिप्टो-करेंसी बिटकॉइन नहीं है लेकिन सभी बिटकॉइन क्रिप्टो-करेंसी है। बिटकॉइन के अलावा भी बहुत सारे क्रिप्टो-करेंसी है जैसे कि एथेरेम(Ethereum), रिप्पल(Ripple) इत्यादि।

क्रिप्टो करेंसी के लाभ या सुविधाएं

◆ यह मुद्रा ने निजता बनाए रखने में मददगार है। क्रिप्टो-करेंसी के फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो द्वारा लेनदेन के दौरान छद्म नाम एवं पहचान बताएं जाते हैं। जो लोग अपनी निजता को लेकर काफी ज्यादा संवेदनशील है, उनके लिए लेन-देन का यह विकल्प काफी संतोषजनक और सुलझा हुआ है।

◆ क्रिप्टो-करेंसी मे लेनदेन की लागत बहुत ही कम है, जो इसकी लोकप्रियता का एक मुख्य कारण है। घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय दोनो प्रकार की लेनदेन में लागत समान ही लगती हैै।

◆ क्रिप्टो करेंसी के जड़िये लेनदेन में किसी भी थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती है, जिसके कारण पैसे और समय दोनों की काफी बचत हो जाती है।

◆ इस माध्यम में प्रवेश जनक बाधाएं न के ही बराबर है। अगर हम लोग बैंक द्वारा लेनदेन करते हैं तो अकाउंट खोलने से लेकर पैसों की लेनदेन करने तक हर कदम पर नए-नए प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है, जो कभी कभी काफी irritating हो जाता है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी में प्रमाण पत्रों का कोई झंझट ही नहीं है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के मामलों में भी काफी औपचारिकता से गुजरना पड़ता है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी के माध्यम से लेनदेन करने पर यह सब काम आसानी से हो जाता है।

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फिएट करेंसी के नुकसान और फायदे क्या हैं?

Dr. Mukesh Jindal (CFA, PhD)

आपने शायद अपने दादा-दादी को अक्सर यह कहते सुना होगा कि उनके बचपन में 25 पैसे में एक या दो फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो किलोग्राम चावल मिल जाता था। जब आपने अपने माता-पिता से पूछा कि उनके बचपन में एक किलो चावल की कीमत कितनी थी, तो वे बताते थे कि उनके समय में भी दोे किलो चावल दोे रुपये में तो मिल ही जाता था।

अब हमारा-आपका जमाना है जब एक या दो किलो चावल एक-दो रुपयेे में तो क्या, कई बार 50 रुपये के नोट में भी नहीं मिलता। इतना ही नहीं, हमारे पिताजी या दादाजी को सामान खरीदने के लिए सिक्के या नोट रखने पड़ते थे, लेकिन हम भुगतान डिजिटल माध्यम से भी कर सकते हैं।

वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं। हालांकि यह इसलिए नहीं होता है क्योंकि सर्विस या उत्पाद का मूल्य बढ़ रहा है, बल्कि हमारी यह हमारी करेंसी या मुद्रा के मूल्य के कारण होता है। मुद्रा का मूल्य महंगाई पर भी निर्भर करता है। हालांकि इस लेख में हम महंगाई पर चर्चा नहीं करेंगे।

Bitcoin चार गुना अधिक वोलेटाइल

पिछले साल 2020 में Bit Coin ने करीब चार गुना रिटर्न दिया और पिछले दो साल में इसने निवेशकों को करीब 9 गुना का रिटर्न दिया था. हालांकि इसमें निवेश पर बहुत तगड़ा रिस्क है. पिछले दो साल की बात करें तो एसएंडपी 500 की तुलना में यह तीन गुना अधिक वोलेटाइल है और गोल्ड की तुलना में चार गुना अधिक.

दुनिया भर में बिट क्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर नीतियां तैयार की जा रही हैं और इससे इनके वैल्यू पर प्रभाव पड़ेगा. बिट क्वाइन जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसीज पर भारत में रोक लग सकती है. इस बजट सत्र में ऐसे बिल पर विचार किया जाना है जिसके जरिए निजी क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. बिल के जरिए केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाने वाले ऑफिशियल डिजिटल करेंसी के लिए रास्ता तैयार किया जाएगा.

भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई निर्धारित गाइडलाइंस नहीं हैं. तीन साल पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर के मुताबिक केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं पर क्रिप्टोकरंसीज से जुड़ी कोई भी सेवा प्रदान करने पर रोक लगा दी गई थी. इसके बाद यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में गया. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च 2020 में आरबीआई द्वारा क्रिप्टोकरंसीज पर लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया. इसके बाद से भारत में बिट क्वाइन में निवेश पूरी तरह निवेशकों के अपने रिस्क पर होता है क्योंकि इससे जुड़ी कोई नियमन अभी यहां नहीं है.

टैक्स एक्सपर्ट क्रिप्टो पर एक राय नहीं

टैक्स एक्सपर्ट इस बात पर एक राय नहीं है कि क्रिप्टो एसेट से मिले रिटर्न को इक्विटी या रियल एस्टेट पर लागू होने वाले कैपिटल गेन की तरह वर्गीकृत किया जाना चाहिए या बिजनेस इनकम के रूप में. सरकार भी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर कानून लाना चाहती है. सरकार नए ड्राफ्ट बिल में क्रिप्टोकरेंसी को टैक्सेशन सहित सभी उद्देश्यों के लिए संपत्ति/वस्तु के रूप में मान सकती है. टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स इस बात पर भी निर्भर करेगा कि सरकार एसेट को कैसे परिभाषित करती है.

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई निवेशकों यह जानना चाहते हैं कि क्रिप्टो एसेट्स से मिले रिटर्न पर टैक्स कैसे लगाया जाएगा? इकोनॉमिक टाइम्स से टैक्स एडवाइजरी फर्म KPB एंड एसोसिएट्स के पार्टनर पारस सावला ने कहा, ज्यादातर इंक्वायरी में इस तरह के सवाल किए जाते हैं कि क्रिप्टो को एसेट माना जाए या गुड्स? एक क्रिप्टो करेंसी का दूसरी क्रिप्टो के लिए एक्सचेंज, क्रिप्टो के वैल्यूएशन, क्रिप्टो का फिएट करेंसी में परिवर्तन, एक सॉफ्ट वॉलेट से दूसरे में क्रिप्टो का ट्रांसफर, नॉन-क्रिप्टो बिजनेस से प्राप्त क्रिप्टो पर लगने वाला टैक्स.

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