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मुद्रा और साख

मुद्रा और साख
भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व है जो सरकार की तरफ से मुद्रा और साख करेंसी नोट जारी करता है। कानून के अनुसार इसके करेंसी जारी करने का का मुद्रा और साख एकाधिकार प्राप्त है। इसके अलावा अन्य कोई संस्था भारत में कोई भी करेंसी जारी नहीं कर सकता है।

मुद्रा और साख

Q.30: मुद्रा के कार्य क्या हैं? किन्हीं चार को समझाइये।

Answer: मुद्रा के कार्य :- वस्तुओं की कीमत चुकाने तथा अन्य प्रकार के व्यवसायिक दायित्वों को निपटाना ही मुद्रा का कार्य है। मुद्रा के प्रमुख कार्य निम्न लिखित हैं :

(1) विनिमय का माध्यम :- विनिमय का माध्यम मुद्रा का प्राथमिक एवं प्रमुख कार्य है। विनिमय में मुद्रा माध्यम का कार्य करती है। मुद्रा में क्योंकि सर्वग्रहिता का गुण होता है इसलिए कोई व्यक्ति इसे लेने से मना नहीं करता है।

(2) साख पत्रों का आधार :- वर्तमान समय में साख पत्रों का प्रयोग सभी देशों में किया जा रहा है। इन साख पत्रों का आधार मुद्रा ही है।

(3) स्थगित भुगतानों का मान :- यह मुद्रा का महत्वपूर्ण कार्य है। इस कार्य से ऋण लेना एवं देना बहुत आसान हो गया है। इसके द्वारा वर्तमान लेन-देनो को भविष्य के लिए मुद्रा के रूप में स्थगित किया जा सकता है।

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अर्थशास्त्र कक्षा 10वीं, अध्याय - 3, मुद्रा व साख, , , , याद रखने योग्य बातें :, 1., डे., , 10., , वस्तुओं के बदले वस्तुओं का लेन-देन वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाता है।, मुद्रा के आविष्कार से वस्तु विनिमय प्रणाली की सबसे बड़ी कठिनाई, “आवश्यकताओं का दोहरा संयोग” का समाधान संभव हुआ।, , जब एक व्यक्ति किसी चीज को बेचने की इच्छा रखता हो, वही वस्तु, दूसरा व्यक्ति भी खरीदने की इच्छा रखता हो अर्थात्‌ मुद्रा का उपयोग, किये बिना, तो उसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है।, कागजी मुद्रा, कागज के उपयोग से बने विभिन्‍न प्रकार के अंकित मूल्य, के नोटों से है।, , सोना, चाँदी, निकल, ताँबा आदि किसी भी धातु के उपयोग से बनी मुद्रा, को धात्विक मुद्रा कहते हैं।, , विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का कार्य करने के कारण, मुद्रा को विनिमय, का माध्यम कहा जाता है।, , मुद्रा विनियम के माध्यम के रूप में तभी मान्य होती है जब उस देश की, सरकार उसे इस कार्य के लिए प्राधिकृत करती है व कानूनी मान्यता प्रदान, करती है।, , भारत में रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया केन्द्रीय सरकार की ओर से विभिन्‍न, मूल्यों के करेंसी नोट जारी करता है।, , उधार देने या निवेश करने के ध्येय से जनता से माँगने पर या चैक आदि, के माध्यम से राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय जमाएँ स्वीकार करने को बैंकिंग, कहते हैं।, , बैंक, सहकारी समितियाँ आदि ऋण के औपचारिक म्रोत हैं।, , , , , , 185

Mudra Aur Sakh: मुद्रा एवं साख महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर।

प्रश्न: मुद्रा क्या है?
उतर: मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करें। मुद्रा कोई भी वास्तु हो सकती है बस वह सरकार के द्वारा प्राधिकृत होनी चाहिए और विनिमय का माध्यम के रूप में स्वीकृत हो। आधुनिक समय में मुद्रा के कई प्रकार है जिसमें डिजिटल मुद्राएं भी शामिल है।

प्रश्न: मुद्रा विनिमय प्रणाली क्या मुद्रा और साख है?
उतर: जब वस्तुओं और सेवाओं के लेन देन में मुद्रा का प्रयोग होता है तो इसे मुद्रा विनिमय प्रणिली कहा जाता है।

प्रश्न: वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है?
उतर: जब वस्तुओं और सेवाओं के लेन देन में मुद्रा के रूप में वस्तुओं का प्रयोग हो तो उसे वस्तु विनिमय प्रणाली कहा जाता है।

प्रश्न: ऋण क्या है?
उतर: ऋण का अर्थ उधार होता है। एक साहूकार या बैंक इस सहमति पर ऋण देता है की भविष्य में एक निश्चित रकम के साथ उसे वापस करेगा। ऋण के लिए ऋणदाता किस ऋणाधार का मांग कर सकता है। यदि कर्जदार निश्चित समय में ऋण का भुक्तान नहीं कर पता है तो ऋणदाता ऋणदार को बेच कर अपनी ऋण के रकम का वसूली करता है।

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प्रश्न: मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है?
उतर: मुद्रा का प्रयोग आवश्यकतों के दोहरा संयोग की समस्या को समाप्त करता है। एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से मुद्रा के प्रयोग से वस्तु खरीदता है फिर दूसरा व्यक्ति उसी मुद्रा का प्रयोग कर के अपने आवस्यकता के वस्तुओं को कहीं और से खरीद

सकता है। इस प्रकार मुद्रा विनिमय को सरल बनता है। दूसरी बात मुद्रा का मूल्य स्थिर रहता है और इसका संचयन भी आसानी से किया जा सकता है।

प्रश्न: कर्ज-जाल क्या होता है? या, ऋण-जाल क्या है?
उतर: यह वह स्थिति है जिसमें ऋण कर्जदार को ऐसी परिस्थिति में धकेल देता है, जहाँ से बहार निकलना काफी कष्दायक हो जाता है। यह ऋण की नकारातमक पहलु है।

प्रश्न: उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाधार की माँग क्यों करता है?
उतर: उधारदाता दिए गए धन राशि को वापस लेने के लिए इसे बंधक के रूप में प्रयोग करता है। भविष्य में यदि कर्जदार ऋण चुकाने में असमर्थ होता है तो ऋणदाता इसे बेच कर अपनी रकम की वसूली कर सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

वस्तु विनिमय प्रणाली में बहुत कठिनाइयां होती है जैसे यदि मुझे चीनी चाहिए, और सामने वाले के पास चीनी है, उसे चीनी के बदले उसे चाय चाहिए और मेरे पास नहीं है,, इसलिए मुझे उस व्यक्ति से चीनी प्राप्त नहीं हो सकेगी,, अर्थात आवश्यकता के दोहरे संयोग में लेनदेन में काफी कठिनाइयां होती है |

वस्तु के आधार पर वस्तु का माप बड़ा कठिन कार्य है,, जैसे एक शेर चावल के बदले कितनी घी दी जाए तथा एक गाय के बदले कितनी बकरियां दी जाए |

(ग) मूल्य संचय का अभाव

वस्तु विनिमय प्रणाली में उधार लेने तथा उधार देने में काफी कठिनाइयां होती है,, जैसे मान लीजिए कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को 2 वर्षों के लिए उधार देता है,, और उसकी अवधि पर वह गाय को लौटा देता था,, लेकिन इन 2 वर्षों के अंदर उधार लेने वाला गाय का दूध पिया था,, उसके गोबर को जलावन में उपयोग किया,, इस तरह इस प्रणाली में उधार देने वाले को घाटा होता था,, जबकि उधार लेने वाला फायदा में रहता था |

मुद्रा विनिमय का माध्यम है विनिमय का शाब्दिक अर्थ आदान-प्रदान होता है,, अतः क्रय तथा विक्रय दोनों में मुद्रा माध्यम का कार्य करती है |

(क) मूल्य का मापक

वर्तमान समय में मुद्रा शाख के आधार पर कार्य करती है,, मुद्रा के कारण ही शाख पत्रों का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता है,, बिना मुद्रा के शाख पत्र
जैसे - चेक ड्राफ्ट आदि का प्रचलन नहीं हो सकता |

मुद्रा का पांचवा कार्य भुगतान करना भी है,, मुद्रा विलंबित भुगतान का एक सरल साधन हो गया है,, इसके द्वारा ऋण का भुगतान करने में काफी सुविधा हो गई है,, अर्थात ऐसे कहा गया है कि मुद्रा के महान चार कार्य होते हैं |
जैसे मुद्रा के हैं चार कार्य महान
i. संचय
ii. माध्यम
iii. मापक
iv. भुगतान

मुद्रा, बचत एवं साख – Bihar Board Class 10th Social Science Question-answer 2023

उत्तर – बचत आय का वह भाग है जिसका वर्तमान में उपभोग नहीं किया जाता है | उदहारण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का मासिक आय 20,0000 रुपये है जिसमें से यदि 15,0000 रुपये वह वस्तुओं एवं सेवाओं के उपभोग पर खर्च करता है तो शेष 5,0000 रुपये उसकी बचत है | सूत्र के रूप में कुल आय – उपभोग व्यय = बचत से सृजित पूँजी का निवेश उद्योग, व्यापार तथा अन्य उत्पादक क्रियाओं में किया जाता है |

3. साख क्या है ?

उत्तर – साख का संबंध विश्वास या भरोसा करने से है तथा इससे किसी व्यक्ति के ऋण लौटाने की क्षमता का बोध होता है |

4. “मुद्रा आधुनिक अर्थतंत्र की धुरी है |” विवेचना कीजिए |

उत्तर – हमरी अर्थव्यवस्था में मुद्रा का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है | मुद्रा के प्रयोग से उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा राजस्व अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र को बहुत लाभ हुआ है | यह उपभोक्ताओं को अपनी सिमित आय के द्वारा अधिकतम संतोष प्राप्त करने में सहायता करती है | उत्पादकों को भी मुद्रा से अनेक लाभ हैं | मुद्रा के अभाव में बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव नहीं है | आज मुद्रा विनिमय का सर्वमान्य साधन है तथा इसके प्रयोग से वस्तुओं का मूल्य-निर्धारण एवं क्रय-विक्रय का कार्य अत्यंत सरल हो गया है | मुद्रा के रूप में सरकार को कर आदि लगाने में भी सुविधा होती है | इस प्रकार, मार्शल ने ठीक ही कहा है की मुद्रा वह धुरी या केंद्र है जिसके चरों ओर संपूर्ण अर्थविज्ञान घुमाता है |

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