अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें

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उच्चतम स्तर पर देश का विदेशी अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें मुद्रा भंडार, पहुंचा 633 अरब डॉलर के पार
नई दिल्ली। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। 27 अगस्त 2021 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16.663 अरब डॉलर बढ़कर 633.558 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
इसलिए आई तेजी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले 20 अगस्त 2021 को समाप्त सप्ताह में इसमें 2.47 करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी और यह 616.895 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह वृद्धि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) होल्डिंग में वृद्धि से हुई है।
आलोच्य सप्ताह में भारत की एसडीआर हिस्सेदारी 17.866 अरब डॉलर से बढ़कर 19.407 अरब डॉलर पर पहुंच गई। मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) अपने सदस्यों को बहुपक्षीय ऋण देने वाली एजेंसी में उनके मौजूदा कोटा के अनुपात में सामान्य एसडीआर का आवंटन करता है।
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स्वर्ण भंडार में भी बढ़त
इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 19.2 करोड़ डॉलर बढ़ा और 37.441 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास मौजूद देश का आरक्षित भंडार 1.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर रह गया।
जानें क्या है विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे
साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
करेंसी स्वैप किसे कहते हैं और इससे अर्थव्यवस्था को क्या फायदे होंगे?
करेंसी स्वैप का शाब्दिक अर्थ होता है मुद्रा की अदला बदली. जब दो देश/ कम्पनियाँ या दो व्यक्ति अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी वित्तीय नुकसान के पूरा करने के लिए आपस में अपने देशों की मुद्रा की अदला बदली करने का समझौता करते हैं तो कहा जाता है कि इन देशों में आपस में करेंसी स्वैप का समझौता किया है.
विनिमय दर की किसी भी अनिश्चित स्थिति से बचने के लिए दो व्यापारी या देश एक दूसरे के साथ करेंसी स्वैप का समझौता करते हैं.
विनिमय दर का अर्थ: विनिमय दर का अर्थ दो अलग अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत है, अर्थात “ एक मुद्रा के सापेक्ष दूसरी मुद्रा का मूल्य”. वह बाजार जिसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं का विनिमय होता है उसे विदेशी मुद्रा बाजार कहा जाता है.
Rupee at All-Time Low : डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर आया रुपया, पहली बार 78 के स्तर को किया पार
विदेश में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और जोखिम से बचने की भावना के चलते रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर अपने सबसे निचले स्तर 78.29 पर आ गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कमजोर एशियाई मुद्राएं, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और विदेशी पूंजी के लगातार बाहर जाने से भी निवेशकों की भावनाएं प्रभावित हुईं. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें मुकाबले 78.20 पर खुला, और फिर जमीन खोते हुए 78.29 तक गिर गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 36 पैसे की गिरावट दर्शाता है.
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बता दें कि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 19 पैसे की भारी गिरावट के साथ 77.93 रुपये अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. इसे रुपये का सबसे निचला स्तर माना गया था. लेकिन सोमवार को स्थिति और खराब हो गई. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बाजार से पूंजी की निरंतर निकासी से यह गिरावट आई है.
बाजार सूत्रों ने कहा कि शेयर बाजार में भारी बिकवाली तथा विदेशों में डॉलर के मजबूत होने से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई. शुक्रवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 77.81 पर खुला था. दिन के कारोबार में यह 77.79 के उच्च स्तर और नीचे में 77.93 तक गया था. वहीं, कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव 77.74 रुपये के मुकाबले 19 पैसे की गिरावट के साथ 77.93 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आई गिरावट पर एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा था, ‘‘जोखिम से बचने की भावना, कमजोर वृहद आर्थिक आंकड़े और मजबूत डॉलर सूचकांक के बीच भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया.''
रुपया 48 पैसे की तेजी के साथ 82.33 प्रति डॉलर पर पहुंचा
नवभारत टाइम्स 27-10-2022
मुंबई, 27 अक्टूबर (भाषा) डॉलर के अपने उच्चतम स्तर से नीचे आने के कारण अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा की तुलना में 48 पैसे की मजबूती के साथ 82.33 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी निधियों का ताजा निवेश होने तथा घरेलू शेयर बाजार में तेजी के रुख के कारण भी रुपये को समर्थन मिला।
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.15 पर खुला और बाद में इसने 82.14 के उच्च अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें स्तर तथा 82.52 के निचले स्तर को छुआ। कारोबार के अंत में यह अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 48 पैसे मजबूत होकर 82.33 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
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अपने व्यावसायिक परिचालन हेतु, पीएफसी सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजारों से बॉण्ड एवं ऋण के माध्यम से निधियों का जुटाव कर रहा है। इसके लिए, पीएफसी के पास विदेशी मुद्रा ऋण के जुटाव और उसकी सर्विसिंग से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के कार्य निर्वहन हेतु एक समर्पित अंतरराष्ट्रीय रेजिंग डिवीजन है।