भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी

भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी
(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - डिजिटल करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी, फिएट मुद्रा)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)
RBI ने लॉन्च किया ‘डिजिटल रुपया’ (e₹), समझिए क्या होंगे इसके फायदे
RBI Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने आज 1 नवंबर को अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। शुरुआती दौर में डिजिटल रुपया सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेन-देन निपटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
Key Points
– भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की
– 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की
– 01 नवंबर, 2022 को होलसेल भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (e₹) लांच
पायलट प्रोजेक्ट
इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है।
आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के बारे में पेश अपनी संकल्पना रिपोर्ट में कहा था कि यह डिजिटल मुद्रा लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।
डिजिटल करेंसी में 9 बैंक शामिल
थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं। ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।
क्या है CBDC
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।
दो तरह की होगी CBDC
– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है
पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।
RBI को सीबीडीसी की शुरूआत भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।
डिजिटल करेंसी के फायदे
देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे
बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।
CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा
चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी
CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है
अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।
अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।
डिजिटल रुपया (e ₹) प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी, जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
सरकार, रिजर्व बैंक की वजह से वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो में गिरावट के असर से अछूता रहा भारत
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है।
विश्व में क्रिप्टो करेंसी में आयी बड़ी गिरावट से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है, वहीं भारत में इसका ख़ास असर नहीं हुआ है। इसका श्रेय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सतर्क रुख को जाता है।
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है।
वहीं सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है।
क्रिप्टोकरेंसी का बाजार 2021 में तीन हजार अरब डॉलर था, जिसका कुल बाजार मूल्य अब एक हजार अरब डॉलर से भी कम रह गया है।
हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है।
भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी।
हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं।
आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए।
उद्योग का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है।
वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है।
सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका। अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते।
एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए कदम इस समय भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी उचित हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ बताया था।
Cryptocurrency को लेकर RBI की बड़ी चेतावनी, जानें भारत में कितने लोगों ने किया क्रिप्टो में निवेश
आरबीआई (Reserve Bank of India) के शीर्ष अधिकारियों ने एक संसदीय समिति से कहा है कि क्रिप्टो करेंसी से अर्थव्यवस्था के एक हिस्से का डॉलरीकरण हो सकता है, जो भारत के संप्रभु हितों के खिलाफ होगा.
Cryptocurrency: आरबीआई ने कहा, क्रिप्टो करेंसी से अर्थव्यवस्था के एक हिस्से का हो सकता है डॉलरीकरण प्रतीकात्मक तस्वीर
Cryptocurrency: आरबीआई (Reserve Bank of India) के शीर्ष अधिकारियों ने एक संसदीय समिति से कहा है कि क्रिप्टो करेंसी से अर्थव्यवस्था के एक हिस्से का डॉलरीकरण हो सकता है, जो भारत के संप्रभु हितों के खिलाफ होगा. केंद्रीय बैंक के अधिकारियों ने कहा कि ये क्रिप्टो करेंसी मौद्रिक प्रणाली के एक हिस्से पर काबिज हो सकती है और प्रणाली में धन के प्रवाह के नियमन भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी की आरबीआई की क्षमता को भी कमतर कर सकती है.
वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को लेकर खड़ी होगी चुनौतियां
न्यूज एजेंसी भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पूर्व वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा की अगुवाई वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास समेत शीर्ष अधिकारियों ने अपनी बात रखी. उन्होंने क्रिप्टो करेंसी को लेकर अपनी आशंकाओं से उन्हें अवगत करवाया और कहा कि इससे वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को लेकर चुनौतियां खड़ी होंगी.
यहां जानें क्रिप्टो के इस्तेमाल के प्रभाव के बारे में
समिति के एक सदस्य के मुताबिक, रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने कहा कि यह मौद्रिक नीति तय करने और देश की मौद्रिक प्रणाली का नियमन करने की केंद्रीय बैंक की क्षमता को गंभीर रूप से कमतर करेगी. उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी में विनिमय का माध्यम बनने की क्षमता है और यह घरेलू स्तर पर तथा सीमापार होने वाले वित्तीय लेनदेन में रुपये का स्थान ले सकती है.
आरबीआई के अधिकारियों ने किया आगाह
रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने आगाह किया कि आतंक के वित्तपोषण, धनशोधन और मादक पदार्थों की तस्करी में भी क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जा सकता है और यही नहीं, यह देश की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. उन्होंने संसदीय समिति से कहा कि लगभग सभी क्रिप्टो करेंसी डॉलर पर आधारित हैं और इन्हें विदेशी निजी संस्थान जारी करते हैं. ऐसे में संभव है कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्से का डॉलरीकरण हो जाए जो देश के संप्रभु हितों के भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी खिलाफ होगा.
वित्तमंत्री ने की थी ये घोषणा
आरबीआई के अधिकारियों ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी का बैंकिंग प्रणाली पर भी नकारात्मक असर होगा, क्योंकि आकर्षक परिसंपत्तियां होने के कारण हो सकता है कि लोग अपनी मेहनत की कमाई इनमें लगाएं जिसके परिणामस्वरूप बैंकों के पास देने के लिए संसाधनों की कमी हो. इस साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो करेंसी और इससे जुड़ी परिसंपत्तियों के कारोबार पर 30 फीसदी कर लगाने की घोषणा की थी.
जानिए क्रिप्टो में निवेश करने वाले भारतीयों की संख्या
एक अनुमान के मुताबिक, देश में क्रिप्टो में निवेश करने वाले लोगों की संख्या 1.5 से 2 करोड़ के बीच है जिनके पास करीब 5.34 अरब डॉलर क्रिप्टो भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी करेंसी है. भारत के क्रिप्टो बाजार के आकार के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. यह संसदीय समिति वित्त नियामकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर रही है.
Weather Update: दिल्ली में गर्मी तोड़ रही रिकॉर्ड, आसमान से बरस रही आग, पारा पहुंचा 49 डिग्री के पार
Prabhat Khabar App :
देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट और राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए