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IPO क्या होता है?

IPO क्या होता है?
ध्यान रहे आईपीओ (IPO) एक जोखिम भरा निवेश हो सकता है क्योंकि व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इस बात की भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है कि शेयर अपने प्रारंभिक दिनों में और आने वाले भविष्य में किस तरह से प्रदर्शन करेंगे। क्योंकि नई कंपनियों का विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आंकड़े उपलब्ध नहीं होते हैं।

IPO क्या है

कई गुना सब्सक्राइब हो जाए IPO तो कैसे होता है अलॉटमेंट, जानिए कहां करें चेक कि शेयर मिला या नहीं

कई गुना सब्सक्राइब हो जाए IPO तो कैसे होता है अलॉटमेंट, जानिए कहां करें चेक कि शेयर मिला या नहीं

जब कभी शेयरों की संख्या से अधिक आवेदन आ जाते हैं तो शेयरों का अलॉटमेंट किया जाता है. रिटेल निवेशकों और बड़े निवेशकों को अलग-अलग तरीके से अलॉटमेंट किया जाता है.

आए दिन किसी न किसी कंपनी का आईपीओ आने की खबरें आप सुनते ही होंगे. आईपीओ के साथ-साथ आपको आईपीओ ओपनिंग, आईपीओ क्लोजिंग, आईपीओ अलॉटमेंट और आईपीओ लिस्टिंग जैसे टर्म भी सुनने को मिलते होंगे. ऐसे में बहुत सारे लोग आईपीओ अलॉटमेंट को लेकर काफी कनफ्यूजन में रहते हैं. सवाल है कि आईपीओ अलॉटमेंट क्या होता है, क्यों होता है, कैसे होता है, अलॉटमेंट चेक कैसे करें आदि. आइए आज जानते IPO क्या होता है? हैं इन सबके बारे में.

क्यों होता है शेयरों का अलॉटमेंट?

शेयरों के अलॉटमेंट की वजह बहुत ही साधारण सी है. जब कभी शेयरों की संख्या से अधिक आवेदन आ जाते हैं तो शेयरों का अलॉटमेंट किया जाता है. यानी अगर एक ही शेयर के लिए 50 दावेदार आ जाते हैं यानी इश्यू 50 गुना सब्सक्राइब हो जाता है तो शेयर अलॉटमेंट के जरिए ही यह तय होता है कि किसे कितने शेयर दिए जाएंगे और किसे शेयर नहीं मिलेंगे.

अगर कोई आईपीओ 90 फीसदी से कम सब्सक्राइब होता है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. ऐसे में आईपीओ दोबारा से लाना पड़ता है. अलॉटमेंट के लिए रिटेल निवेशकों के लिए न्यूनतम 35 फीसदी, नेशनल इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के लिए न्यूनतम 15 फीसदी और क्वीलिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर के लिए अधिकतम 50 फीसदी कोटा निर्धारित हो सकता है.

कैसे होता है शेयरों का अलॉटमेंट?

जो लोग आईपीओ के प्राइस बैंड में न्यूनतम प्राइस पर बोली लगाते हैं, ओवर सब्सक्राइब होने की हालत में शेयर मिलने के चांस कम हो जाते हैं. अगर इश्यू मामूली ओवर सब्सक्राइब होता है तो रिटेल निवेशकों को पहले तो सभी को एक-एक लॉट शेयर दे दिया जाता है, उसके बाद उनके कोटे के जितने शेयर बचते हैं, उन्हें उसी अनुपात में अलॉट किया जाता है, जिस अनुपात में लोगों ने उसे सब्सक्राइब किया होता है. अगर इश्यू बहुत ज्यादा सब्सक्राइब हो जाता है, मान लीजिए 50 गुना सब्सक्राइब हो गया तो रिटेल निवेशकों को कंप्यूटर के जरिए लकी ड्रॉ निकाल कर शेयर अलॉट किए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर नेशनल इंस्टीट्यूशनल निवेशकों और क्वीलिफाइड इंस्टीट्यूशनल निवेशकों को हर स्थिति में आनुपातिक तरीके से शेयर अलॉट किए जाते हैं.

वैसे तो आपने जिस ब्रोकर के जरिए आईपीओ लिया होगा, वह आपको अलॉटमेंट की जानकारी देगा, लेकिन अगर किसी वजह से जानकारी नहीं मिली तो आप खुद भी चेक कर सकते हैं. किसी आईपीओ के शेयरों के अलॉटमेंट का पता करने IPO क्या होता है? के लिए आपको सबसे पहले बीएसई की वेबसाइट पर जाना होगा. वहां पर आपको इश्यू की लिस्ट में से उस आईपीओ को चुनना होगा, जिसके शेयर का अलॉटमेंट आपको चेक करना है. आपसे पैन कार्ड नंबर पूछा जाएगा, जिसे डालने के बाद आपके सामने अलॉटमेंट की डिटेल्स आ जाएंगी. अलॉटमेंट चेक करने का एक दूसरा तरीका भी होता है. आपने जिस भी कंपनी का आईपीओ लिया है, उसका कोई रजिस्ट्रार होगा. आप उस रजिस्ट्रार की वेबसाइट पर जाकर अलॉटमेंट की जानकारी ले सकते हैं.

आईपीओ क्या है (What is IPO)? –

IPO का फुलफोर्म Initial Public Offering होता है। जब कोई कंपनी अपने सामान्य स्टॉक के शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तब उसे आईपीओ (IPO) कहा जाता है। इसे हिंदी में सामाजिक प्रस्ताव के नाम से भी जाना जाता है। ज्यादातर यह छोटी और कंपनियों द्वारा ही जारी किया जाता है जो अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए पूँजी जुटाना चाहती हैं।

लेकिन कई बार यहां निजी स्वामित्व वाली बड़ी कंपनियों द्वारा भी जारी किया जाता है। खास करके जब वह सार्वजनिक बाजार में व्यापार करने की उम्मीद रखती है। आईपीओ जारी करने वाली कंपनी को हामिदार कंपनी से मदद लेती है, जो यह निर्धारित करने में मदद करता है कि किस प्रकार जमानत (सिक्योरिटी) जारी करना चाहिए, साथ ही आईपीओ का सर्वोत्तम मूल्य और उसे बाजार में जारी करने के लिए सही समय क्या है?

IPO लाने का क्या कारण है? –

जब किसी कंपनी को अपने व्यापार को विस्तार देने के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती है, तब वह कंपनी अपना आईपीओ जारी करती है।

यह उस वक्त भी जारी किया जा सकता IPO क्या होता है? है जब कंपनी के पास पूंजी की कमी हो और कंपनी कर्ज लेने के बजाय आईपीओ (IPO) के माध्यम से फंड जुटाना चाहती हो।

IPO के लाभ –

आईपीओ (IPO) में निवेशक के माध्यम से पूंजी सीधे कंपनी के पास जाते हैं। हालांकि जब डिसइनवेस्टमेंट (विनिवेश) किया जाता है तो आईपीओ से जो भी पूंजी मिलती है वह सरकार के पास जाती है।

यदि एक बार आईपीओ के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाती है तब उन्हें आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। ध्यान रहे शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले लाभ और हानि की जिम्मेदारी निवेशकों की ही होती है।

IPO शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के लिए ज़रूरी

इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी जो कि अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं है और उसकी पूँजी एक करोड़ रुपये है। अब कंपनी अपनी पूँजी को बढ़ा कर दस करोड़ करना चाहती है। कंपनी नौं करोड़ रुपये का IPO ले कर आएगी। इसका मतलब हुआ की IPO के बाद कंपनी के प्रमोटरों के पास एक करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास IPO क्या होता है? उस कंपनी के नौं करोड़ रुपये के शेयर होंगे।

एक और उदाहरण लेते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी की पूँजी दस करोड़ रुपये IPO क्या होता है? है और सभी शेयर प्रमोटरों के पास हैं। अब प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी को पचास प्रतिशत कम करना चाहते हैं तो वे IPO द्वारा ऐसा कर सकते हैं। इस उदहारण में IPO के बाद प्रमोटरों के पास पांच करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास भी पांच करोड़ रुपये के शेयर होंगे। पहले उदाहरण में नौं करोड़ रुपये कंपनी के पास जायेंगे और उसकी पूँजी एक करोड़ से बढ़ कर दस करोड़ हो जायेगी। दूसरे उदाहरण में पांच करोड़ कंपनी के प्रमोटरों के पास जायेंगे और कंपनी की पूँजी IPO के बाद भी दस करोड़ ही रहेगी।

सेकेंडरी मार्किट

जो कंपनी अपने शेयरों की पेशकश करती है उसे ‘जारीकर्ता’ यानी इशुअर कहा जाता है। कम्पनियां अपना IPO निवेश बैंकों की मदद से जारी करतीं है। IPO के बाद कंपनी के शेयरों का खुले बाजार में कारोबार होता है उन शेयरों को सेकेंडरी मार्किट के माध्यम से निवेशकों द्वारा ख़रीदा और बेचा जा सकता है। यहाँ यह जानकारी दे दें की आईपीओ में शेयर की बिक्री को प्राइमरी मार्किट में बिक्री कहा जाता है और सूचीबद्ध होने के बाद शेयर मार्किट में शेयरों की बिक्री को सेकेंडरी मार्किट में बिक्री कहा जाता है।

आईपीओ जारी करने वाली कंपनी इसके लिए प्रॉस्पेक्टस prospectus जारी करती है। निवेश से पहले इसे सावधानी पूर्वक पढ़ लेना चाहिए। प्रॉस्पेक्टस में कंपनी और IPO के बारे में सारी जानकारी दी जाती है। इसे पढ़ कर आप समझ सकते हैं कि कंपनी बढ़ी हुई पूँजी का प्रयोग कहाँ करेगी। इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि कंपनी अपनी बढ़ी हुई पूँजी से बेहतर रिटर्न जुटा पाएगी या नहीं। निवेश करने से पहले प्रोमोटरों का पिछला रिकार्ड भी देखिये और आईपीओ पर विशेषज्ञों की राय भी जानिये।

LIC IPO में लगाया पैसा तो लिस्टिंग पर एग्जिट करें या रुके? जानिए, क्या है मार्केट एक्सपर्ट की राय

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 09, 2022 15:39 IST

LIC - India TV Hindi

Photo:FILE

LIC IPO में निवेश करने का आज आखिरी दिन है। 17 मई को शेयर बाजार में यह आईपीओ सूचीबद्ध होगा। ऐसे में अभी से इस आईपीओ के प्रदर्शन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। अगर, आपने भी एलआईसी के आईपीओ में निवेश किया है तो मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि अगर शेयर अलॉट होता है तो क्या करना चाहिए? क्या लिस्टिंग पर गेन मिले तो एग्जिट करना चाहिए या लंबी अवधि के लिए बने रहना चाहिए? आइए, जानते हैं कि इस मुद्दे पर क्या है बाजार के दिग्गज जानकारों की राय।

लंबी अवधि का लक्ष्य रखकर रुके रहना बेहतर

बाजार में गिरावट जारी है। इससे निवेशकों में डर है। हालांकि, एलआईसी में निवेश करने वाले निवेशकों को इस पर अभी ध्यान देने की जरूरत नहीं है। मार्केट के जानकारों का यह कहना है। ​विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप निवेशक हैं तो लंबी अवधि के लिए फायदेमंद होगा। लंबी अवधि में एलआईसी के शेयर में शानदार रिटर्न मिल सकता है। कंपनी का कारोबार और बाजार हिस्सेदारी बेहतरीन है। ऐसे में आने वाले समय में शेयर में तेजी देखने को मिलेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दो से तीन साल की अवधि में एलआईसी के शेयर अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। आने वाले दिनों में कंपनी अपनी क्षमता में और भी बढ़ोतरी कर सकती है।

शेयर बाजार केज्यादातर जानकारों का कहना है कि LIC में निवेश का नजरिया लॉन्ग टर्म के लिए रखें। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वैल्युएशन कम होने के कारण इस आईपीओ मेंलिस्टिंग गेन की भी पूरी संभावना है। हालांकि, बंपर लिस्टिंग गेन मिलने की उम्मीद नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रे मार्केट में सोमवार को एलआईसी के आईपीओ पर प्रीमियम 36 रुपये है, जो कल के ग्रे मार्केट प्रीमियम (जीएमपी) 60 रुपये से 24 रुपये कम है। उन्होंने कहा कि 92 रुपये के स्तर तक बढ़ने के बाद, एलआईसी आईपीओ जीएमपी लगातार कमजोर हुआ है। इससे जबरदस्त लिस्टिंग की उम्मीद नहीं है। हां, अगर कोई मीडियम टर्म में गेन चाहता है तो इसकी भी पूरी-पूरी संभावना दिख रही है। बाजार में करेक्शन का दौर चल रहा है जिसके कारण कई अन्य स्टॉक भी अट्रैक्टिव रेट्स पर मिल रहे हैं। निवेशकों को ग्रोथ स्टॉक की जगह वैल्यु स्टॉक पर फोकस करना चाहिए।

आईपीओ ग्रे मार्केट क्या है ? IPO में GMP – IPO Grey Market in Hindi

IPO Grey Market और IPO में GMP यानी ग्रे मार्केट प्रीमियम यह शब्द निवेशकों के बीच काफी चर्चाओं में रहते है । आज के समय हमें शेयर बाजार में कई कंपनियों के आईपीओ देखने को मिल रहे है । IPO या Initial Public Offer एक ऐसा माध्यम है, जिसके जरिए कोई कंपनी Share Market में कदम रखती है ।

इस समय IPO Market में बहुत से Investors रुचि दिखा रहे है, जिसके चलते कई कंपनियों के IPO काफी ज्यादा लोकप्रिय हो रहे है ।

जब भी कोई नया IPO आता है, तो इसके साथ IPO Grey Market Premium या आईपीओ में जीएमपी के बारे में भी काफी सुनने को मिलता है । कई IPO ऐसे होते है जिनकी आईपीओ ग्रे मार्केट में काफी ज्यादा Demand देखने को मिलती है ।

लेकिन बहुत से लोगों को यह जानकारी नही होती है की IPO में GMP क्या है, ग्रे मार्केट प्रीमियम किसे कहते है या IPO Grey Market क्या होता है । तो आज हम इसी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है, तो आइए शुरुआत से IPO GMP के बारे में जानते है ।

आईपीओ ग्रे मार्केट क्या है ? – IPO Grey Market Meaning in Hindi

आईपीओ ग्रे मार्केट या एक ऐसा बाजार होता है, जिसमे Unofficial रूप से किसी कंपनी के IPO या नए शेयर Trade किए जाते है । IPO Grey Market एक Over the counter ( OTC ) Market होता है , जहाँ कंपनी के शेयर या IPO स्टॉक एक्सचेंज पर आने से पहले खरीदे और बेचे जाते है ।

यह Stocks की Trading का एक Unofficial बाजार होता है, जिसमे आमतौर पर किसी कंपनी के नए Shares यानी IPO जारी होने के कुछ समय पहले से Trading शुरू हो जाती है । यानी इस बाजार में Stock Trading की शुरुआत किसी कंपनी के Shares की आधिकारिक रूप से Trading शुरू होने से पहले हो जाती है ।

Grey Market कैसे काम करता है ?

आईपीओ ग्रे मार्केट में IPO या Stock Trading जैसी गतिविधियां किसी कंपनी द्वारा जारी IPO Allotment के आधिकारिक माध्यम और प्रक्रिया से काफी अलग होती है । Grey Market में Traders द्वारा किसी कंपनी के Shares को Unofficially रूप से Bid और Offer किया जाता है ।

Grey Market में होने वाली Stock IPO क्या होता है? Trading का Settlement तब पूरा होता है, जब आधिकारिक रूप से उस Stock की Trading शुरू होती है ।

Grey Market में कोई Rules या Regulation नही होता है । क्योंकि यह एक Unofficial Market होता है । यह बाजार Marker Regulators द्वारा नियंत्रण में नही होता है, ना ही वे किसी तरह से इस बाजार में होने वाले Transactions में शामिल होते है ।

LIC IPO Allotment Status Check Online, NSE, BSE, KFintech Process

ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या IPO क्या होता है? होता है ? IPO में GMP क्या है ? – IPO GMP Meaning in Hindi

IPO में GMP या ग्रे मार्केट प्रीमियम आईपीओ वह कीमत होती है, जिस अतिरिक्त कीमत पर Unofficial बाजार में किसी कंपनी के Shares trade किए जाते है । Grey Market में IPO की कीमत को Grey Market Price कहा जाता है ।

उदाहरण के लिए अगर किसी कंपनी के IPO की कीमत 100 रुपए है और इसका Grey Market Premium 50 रुपए चल रहा है, तो IPO List होने पर इसकी कीमत 100 + 50 यानी 150 रुपए के आसपास हो सकती है ।

आमतौर पर किसी कंपनी के शेयर के Grey Market में प्रदर्शन से यह अंदाजा लगाया जाता है की Stock Stock Exchange पर List होने पर वह IPO कैसे Perform कर सकता है और उस आईपीओ पर कितना Listing Gain मिल सकता है ।

IPO के Stock Exchange पर List होने पर Investors को जो फायदा मिलता है, उसे Listing Gain कहा जाता है ।

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