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​शेयरों में सीधे निवेश

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भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?

म्यूचुअल फंड उद्योग एक प्रकार का निवेश वाहन है जो कई निवेशकों से ​शेयरों में सीधे निवेश स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट आदि जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए धन एकत्र करता है। पेशेवर मनी मैनेजर म्यूचुअल फंड का प्रबंधन करते हैं, संपत्ति आवंटित करते हैं और निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं। म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो संरचित और उनके प्रॉस्पेक्टस में उल्लिखित निवेश उद्देश्यों से मेल खाने के लिए प्रबंधित होते हैं। व्यक्ति और छोटे व्यवसाय म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जो उन्हें स्टॉक, बॉन्ड आदि के पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं। शेयरधारक फंड ​शेयरों में सीधे निवेश के लाभ या हानि को आनुपातिक रूप से साझा करते हैं। आम तौर पर, म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन फंड के कुल मार्केट कैप में बदलाव पर आधारित होता है, जो फंड के अंतर्निहित निवेश के प्रदर्शन को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।

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निवेश पर अच्छे रिटर्न के लिए क्या है बेहतर विकल्प, आइये जानें

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अक्सर लोग निवेश करने से पहले इस उलझन में फंसे रहते हैं कि सोना-चांदी, रियल एस्टेट, फिक्स डिपॉजिट या शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में से किस एसेट क्लास में निवेश किया जाए, ताकि बेहतर रिटर्न मिले। निवेश सलाहकार (investment advisor) का कहना है कि इनमें कोई भी निवेश विकल्प सबसे बढ़िया या खराब नहीं है। अच्छा निवेश विकल्प व्यक्ति की जरूरतों, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है।

कैसे तय करें विकल्प

सोना और रियल एस्टेट, दोनों लंबी अवधि के लिए अच्छे निवेश विकल्प हैं। गोल्ड भारत में भरोसेमंद निवेश के तौर पर देखा जाता है। आप फिजिकल गोल्ड के साथ डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। सोना महंगाई के खिलाफ सबसे सुरक्षित निवेश है। वहीं, रियल एस्टेट हमेशा ही एक बड़े निवेश के तौर पर देखा जाता है। रियल एस्टेट में जहां जोखिम कम रहता है, वहीं, गोल्ड में चोरी होने का डर बना रहता है। रियल एस्टेट में अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट के साथ नियमित आय पैदा करने की क्षमता है। चाहे आवासीय हो या वाणिज्यिक, रियल एस्टेट में मासिक किराए के रूप में निवेशकों के लिए आय उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जो कि सोने के निवेश में संभव नहीं है। जबकि इक्विटी और म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि मे सबसे अधिक रिटर्न मिलता है, पर इनमें जोखिम भी सबसे अधिक है, तो आइये जानते है…

रियल एस्टेट
प्रॉपर्टी में निवेश मोटी पूंजी निवेश करने वालों के लिए अतिरिक्त आय का बेहतर विकल्प है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत और वैल्यू लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन इसके रजिस्ट्रेशन में स्टांप ड्यूटी सहित कई तरह के शुल्क ​शेयरों में सीधे निवेश चुकाने पड़ते हैं। इसके मेंटेनेंस की लागत भी अधिक है व तरलता की कमी है।

जो निवेशक मासिक नियमित आय चाहते हैं और जो लंबी अवधि के लिए मोटा निवेश कर सकते हैं, यह उनके लिए बेहतर है।

इक्विटी में बेहतर रिटर्न
कंपनियों के स्टॉक्स यानी इक्विटी में सबसे अधिक जोखिम है, लेकिन इसमें रिटर्न भी अधिक है। निवेशक इसमें 500-1000 रुपए की छोटी रकम भी निवेश कर सकते हैं। अगर लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो सालाना 14 से 15 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है। हालांकि बाजार की उठापटक के कारण शॉर्ट टर्म में पैसे डूबने का जोखिम भी अधिक होता है।

जो निवेशक जोखिम उठाकर अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, यह उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। लेकिन निवेशकों को कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए।

सोना
गोल्ड में निवेश हमेशा बेहतर विकल्प रहा है। इसमे लंबी अवधि में तगड़ा रिटर्न मिला है, लेकिन वैश्विक कारणों और रुपए में उतार-चढ़ाव से सोने की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। साथ ही यह शॉर्ट टर्म के लिए अच्छा निवेश विकल्प नहीं है। साथ ही टैक्स बेनिफिट भी नहीं मिलता है।

जो कमोडिटीज में निवेश कर लंबी अवधि में मुनाफा कमाना चाहते हैं और महंगाई दर से अधिक स्थिर रिटर्न चाहते हैं। साथ ही जोखिम भी नहीं लेना चाहते, उनके लिए सोना बेहतर विकल्प है। पिछले 10 साल में गोल्ड ने औसतन 10 फीसदी रिटर्न दिया है।

म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड्स इक्विटी, सरकारी प्रतिभूतियों, सोना, कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जिससे निवेश का जोखिम कम हो जाता है और बेहतर रिटर्न मिलता है। इक्विटी में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड किसी एक कंपनी के शेयर में निवेश नहीं करते, बल्कि कई कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड्स में सालाना औसतन 10 से 12 फीसदी रिटर्न मिलता है।

अगर जो निवेशक सीधे स्टॉक में निवेश करने से घबराते हैं, लेकिन मध्यम से ऊंचा स्तर का जोखिम उठाने को तैयार हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड्स बेहकर रिटर्न पाने का बेहतर विकल्प है।

निवेश पर अच्छे रिटर्न के लिए क्या है बेहतर विकल्प, आइये जानें

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अक्सर लोग निवेश करने से पहले इस उलझन में फंसे रहते हैं कि सोना-चांदी, रियल एस्टेट, फिक्स डिपॉजिट या शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में से किस एसेट क्लास में निवेश किया जाए, ताकि बेहतर रिटर्न मिले। निवेश सलाहकार (investment advisor) का कहना है कि इनमें कोई भी निवेश विकल्प सबसे बढ़िया या खराब नहीं है। अच्छा निवेश विकल्प व्यक्ति की जरूरतों, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है।

कैसे तय करें विकल्प

सोना और रियल एस्टेट, दोनों लंबी अवधि के लिए अच्छे निवेश विकल्प हैं। गोल्ड भारत में भरोसेमंद निवेश के तौर पर देखा जाता है। आप फिजिकल गोल्ड के साथ डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। सोना महंगाई के खिलाफ सबसे सुरक्षित निवेश है। वहीं, रियल एस्टेट हमेशा ही एक बड़े निवेश के तौर पर देखा जाता है। रियल एस्टेट में जहां जोखिम कम रहता है, वहीं, गोल्ड में चोरी होने का डर बना रहता है। रियल एस्टेट में अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट के साथ नियमित आय पैदा करने की क्षमता है। चाहे आवासीय हो या वाणिज्यिक, रियल एस्टेट में मासिक किराए के रूप में निवेशकों के लिए आय उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जो कि सोने के निवेश में संभव नहीं है। जबकि इक्विटी और म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि मे सबसे अधिक रिटर्न मिलता है, पर इनमें जोखिम भी सबसे अधिक है, तो आइये जानते है…

रियल एस्टेट
प्रॉपर्टी में निवेश मोटी पूंजी निवेश करने वालों के लिए अतिरिक्त आय का बेहतर विकल्प है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत और वैल्यू लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन इसके रजिस्ट्रेशन में स्टांप ड्यूटी सहित कई तरह के शुल्क चुकाने पड़ते हैं। इसके मेंटेनेंस की लागत भी अधिक है व तरलता की कमी है।

जो निवेशक मासिक नियमित आय चाहते हैं और जो लंबी ​शेयरों में सीधे निवेश अवधि के लिए मोटा निवेश कर सकते हैं, यह उनके लिए बेहतर है।

इक्विटी में बेहतर रिटर्न
कंपनियों के स्टॉक्स यानी इक्विटी में सबसे अधिक जोखिम है, लेकिन इसमें रिटर्न भी अधिक है। निवेशक इसमें 500-1000 रुपए की छोटी रकम भी निवेश कर सकते हैं। अगर लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो सालाना 14 से 15 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है। हालांकि बाजार की उठापटक के कारण शॉर्ट टर्म में पैसे डूबने का जोखिम भी अधिक होता है।

जो निवेशक जोखिम उठाकर अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, यह उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। लेकिन निवेशकों को कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए।

सोना
गोल्ड में निवेश हमेशा बेहतर विकल्प रहा है। इसमे लंबी अवधि में तगड़ा रिटर्न मिला है, लेकिन वैश्विक कारणों और रुपए में उतार-चढ़ाव से सोने की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। साथ ही यह शॉर्ट टर्म के लिए अच्छा निवेश विकल्प नहीं है। साथ ही टैक्स बेनिफिट भी नहीं मिलता है।

जो कमोडिटीज में निवेश कर लंबी अवधि में मुनाफा कमाना चाहते हैं और महंगाई दर से अधिक स्थिर रिटर्न चाहते हैं। साथ ही जोखिम भी नहीं लेना चाहते, उनके लिए सोना बेहतर विकल्प है। पिछले 10 साल में गोल्ड ने औसतन 10 फीसदी रिटर्न दिया है।

म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड्स इक्विटी, सरकारी प्रतिभूतियों, सोना, कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जिससे निवेश ​शेयरों में सीधे निवेश का जोखिम कम हो जाता है और बेहतर रिटर्न मिलता है। इक्विटी में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड किसी एक कंपनी के शेयर में निवेश नहीं करते, बल्कि कई कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड्स में सालाना औसतन 10 से 12 फीसदी रिटर्न मिलता है।

अगर जो निवेशक सीधे स्टॉक में निवेश करने से घबराते हैं, लेकिन मध्यम से ऊंचा स्तर का जोखिम उठाने को तैयार हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड्स बेहकर रिटर्न पाने का बेहतर विकल्प है।

शेयर बाजार में ज्यादा बढ़ रहा है निवेशकों का भरोसा, बिहार में बढ़ा 15 प्रतिशत कारोबार

कोरोना की वजह से बाजार में सभी स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती आ गयी है, परंतु शेयर बाजार में इसके विपरीत उछाल देखा गया. मार्च 2020 की तुलना में 2021 मार्च-अप्रैल में यह 25 हजार अंक से बढ़कर 53 हजार के करीब पहुंच गया है. इसमें करीब 110 फीसदी की बढ़ोतरी आयी है.

Sensex

कौशिक रंजन, पटना. कोरोना की वजह से बाजार में सभी स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती आ गयी है, परंतु शेयर बाजार में इसके विपरीत उछाल देखा गया. मार्च 2020 की तुलना में 2021 मार्च-अप्रैल में यह 25 हजार अंक से बढ़कर 53 हजार के करीब पहुंच गया है. इसमें करीब 110 फीसदी की बढ़ोतरी आयी है.

बाजार में जैसे-जैसे आर्थिक मंदी का संकट गहरा रहा है, निवेशकों का भरोसा शेयर बाजार की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है. बिहार में एक साल के दौरान शेयर बाजार के कारोबार में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है. पहले यह करीब ढाई हजार करोड़ का था, जो इस एक साल में बढ़कर तीन हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है.

विशेषज्ञों के अनुसार, शेयर या इक्विटी में निवेश करने वालों को करीब 58 प्रतिशत का रिटर्न मिला है. हालांकि, बिहार में अभी भी शेयर का कारोबार क्षमता के अनुसार काफी कम है. यहां के लोग निश्चित रिटर्न वाली योजनाओं में ही ज्यादा निवेश करना चाहते हैं. इस वजह से बिहार में सबसे ज्यादा निवेश शेयर बाजार से जुड़े एसआइपी (स्मॉल इंवेस्टमेंट प्लान) में होता है.

बिहार में शेयर बाजार में कुल निवेश का करीब 67 प्रतिशत एसआइपी या बांड के माध्यम से होता है. इस तरह का निवेश लंबे समय के लिए होता है और वह कुछ समय बाद पैसा देता, लेकिन इसमें निवेश ज्यादा सुरक्षित होता है, जबकि 33 प्रतिशत ही सीधे शेयर के तौर पर किया जाता है. यानी सिर्फ 33 फीसदी लोग ही सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाकर रिस्क उठाते हुए निवेश करते हैं. इसका नफा या नुकसान ​शेयरों में सीधे निवेश तुरंत होता, लेकिन मुनाफा का प्रतिशत ज्यादा है.

बिहार में अब भी सीधे शेयर ट्रेडिंग का कारोबार कम है. यहां के बाजार में लिक्विडिटी कम होने की मुख्य वजहों में एक यह भी है. सूबे के लोगों के निवेश की प्रवृत्ति का अध्ययन करने पर यह बात भी सामने आयी है कि लोग सोना (गोल्ड) में निवेश करना ज्यादा पसंद करते हैं.

सोने के गहनों के अलावा बड़ी संख्या में लोग अब गोल्ड बांड या सोने के बिस्कुट, ब्रिक या ऐसे अन्य प्रारूपों में निवेश कर रहे हैं. बिहार में कुल निवेश का करीब 70 फीसदी निवेश सोना में ही होता है. इन दिनों गोल्ड बांड खरीदने का चलन भी बढ़ा है.

क्या कहना है विशेषज्ञ का

जाने-माने वित्तीय सलाहकार प्रशांत कुमार के अनुसार, कोरोना के दौरान आर्थिक गतिविधि कमजोर होने से निवेशकों का रुझान शेयर की तरफ तेजी से बढ़ा है. यह ट्रेंड बिहार में भी पहले की तुलना में बढ़ा है, परंतु अब भी यहां के लोग काफी सोच-समझ कर और सुरक्षित पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही शेयर बाजार में निवेश करते हैं, ताकि उनका पैसा किसी हालत में डूबे नहीं. रोजाना ट्रेडिंग की अवधारणा अभी भी यहां कम है.

Posted by Ashish Jha

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