आम सवाल क्रिप्टो के बारे में

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी
Brave वॉलेट
एक सुरक्षित मल्टी-चेन क्रिप्टो वॉलेट. इसके लिए किसी एक्सटेंशन की ज़रूरत नहीं है.
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डिफ़ॉल्ट तौर पर सुरक्षित
Brave वॉलेट, क्रिप्टो को सुरक्षित रखने वाला पहला ऐसा वॉलेट है जो सीधा ब्राउज़र के अंदर बना है. कोई एक्सटेंशन नहीं, कोई अतिरिक्त स्टेप नहीं. इसका मतलब है कि ऐप के नकली वर्ज़न, फ़िशिंग और चोरी से नुकसान होने की कम गुंजाइश है.
अपने क्रिप्टो पोर्टफ़ोलियो को स्टोर, प्रबंधित और विकसित करें. Ramp Network या Wyre के माध्यम से फ़िएट के साथ खरीदें. इसमें मौजूद मल्टी-चेन Brave स्वैप के साथ सबसे अच्छी कीमत से मिलान करें. और Web3 DApps से कनेक्ट करें. सब कुछ एक ही वॉलेट से.
वॉलेट सुपर ऐप
NFT और मल्टी-चेन सपोर्ट. ब्राउज़र एक्सटेंशन इंस्टॉल किए बिना, अन्य Web3 DApps को मूल रूप से कनेक्ट करें.
दूसरे वॉलेट इंपोर्ट करें
MetaMask और सेल्फ़-कस्टडी वॉलेट या Trezor और Ledger (Ledger लाइव की ज़रूरत नहीं है) जैसे हार्डवेयर वॉलेट.
Brave वॉलेट तुलना कैसे करता है?
पहले से मौजूद सुविधाएँ
Ethereum, EVM चेन, Solana, SPL चेन और Filecoin पर टोकन खरीदें, स्टोर करें, बेचें *
Ethereum, Polygon, Binance स्मार्ट चेन, Optimism, Celo और Avalanche पर टोकन स्वैप करें
ब्राउज़र नेटिव (किसी एक्सटेंशन की ज़रूरत नहीं है)
Ledger और Trezor को सपोर्ट करता है
मार्केट का लाइव डेटा (CoinGecko के साथ)
इसे चलाने के लिए डिवाइस के किसी अतिरिक्त प्रोसेस या मेमोरी की ज़रूरत नहीं पड़ती
Ethereum या Solana पर DApps से कनेक्ट करें*
_*Filecoin और Solana DApps के लिए मोबाइल सपोर्ट जल्द ही आने वाला है._
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क्या क्रिप्टोकरेंसी को देश में कानूनी मान्यता मिल चुकी है, यहां जानिये इससे जुड़े सवालों के जवाब
Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने के प्रस्ताव ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का स्वागत किया है, यह सोचकर कि आम सवाल क्रिप्टो के बारे में यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्पष्ट कर दिया था। गत 1 फरवरी आम सवाल क्रिप्टो के बारे में को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर किया जाना अभी तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।
ITR फॉर्म में जुड़ेगा नया कॉलम, क्रिप्टो से कमाई की देनी होगी जानकारी
नए वित्त वर्ष में इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ और टैक्स का भुगतान करने के लिए एक अलग कॉलम होगा। ये जानकारी राजस्व सचिव तरुण बजाज आम सवाल क्रिप्टो के बारे में ने दी है। उन्होंने कहा कि टैक्सपेयर्स को आईटीआर फॉर्म में क्रिप्टो के लिए एक अलग कॉलम दिखेगा। इस कॉलम में क्रिप्टो करेंसी से कमाई के बारे में जानकारी देनी होगी।
न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत के दौरान तरुण बजाज ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी से लाभ हमेशा टैक्स योग्य होता है और बजट में जो प्रस्तावित किया गया है वह कोई नया टैक्स नहीं है बल्कि इस मुद्दे पर निश्चितता प्रदान करता है। बजाज ने कहा, "हम टैक्स में निश्चितता ला रहा हैं। अब कमाई पर 30 फीसदी टैक्स होगा, जिसके बारे में निवेशक आईटीआर फॉर्म में जानकारी दे सकेंगे।
क्रिप्टो पर क्या?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि सरकार अपनी डिजिटल करंसी लाएगी, जल्द ही आरबीआई डिजिटल रुपया लॉन्च करेगा. इसके अलावा क्रिप्टो करेंसी को लेकर कई तरह के सवाल जनता के मन में थे. तो उनका जवाब ये है कि क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर सरकार 30 फीसदी टैक्स लेगी.
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6. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर सरचार्ज में बदलाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण निवेशकों को बड़ी राहत दी है. वित्त मंत्री ने कहा कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long Term Capital Gain) पर आम सवाल क्रिप्टो के बारे में मैक्सिमम सरचार्ज 15 फीसदी हो सकता है. इसका मतलब कि किसी भी तरह के असेट पर LTCG सरचार्ज का रेट अधिकतम 15 फीसदी होगा. अब तक अलग-अलग असेट पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी से 20 फीसदी के बीच था. सरचार्ज की बात करें तो वर्तमान में यह केवल लिस्टेड शेयर्स और म्यूचुअल फंड पर लागू होता है. अब कैपिंग की ये लिमिट सभी तरह के असेट पर लागू की गई है. कैपिटल गेन सरचार्ज पर कैपिंग से उन टैक्सपेयर्स को सबसे ज्यादा फायदा होगा जिनकी सालाना इनकम 2 करोड़ रुपए से ज्यादा आम सवाल क्रिप्टो के बारे में है.
अब क्या कर रहा है RBI
इसको लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है.
बीते महीने आरबीआई और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की खुद की डिजिटल करेंसी और उसके के लिए कानून बनाने पर विचार आम सवाल क्रिप्टो के बारे में करेंगे. लेकिन भारत की खुद की डिजिटल करेंसी लाना आसान है.
सरकार केवल किसी प्रकार के लेन-देन को एक लीगल टेंडर का दर्जा देगी जो कि भारत की भारी जनसंख्या इस्तेमाल कर सकती है.
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल लीगल टेंडर (मान्याता देना) को जारी करना चुनौतीपूर्ण है. अगर आसान शब्दों में कहें तो आम लोगों तक इसे पहुंचाना एक बड़ा टास्क होगा.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कानून बनाना आसान नहीं होगा. भारत में इसको लेकर कई चुनौतियां है. यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये उठता है क्या ये आम चलन में इस्तेमाल होगी. क्या ये डिजिटल लीगल टेंडर होंगे या इनका आम जनता भी इस्तेमाल कर सकेगी.
RBI ने इन चीज़ों को लेकर जताई चिंता
आरबीआई ने हाल में कहा था कि किसी देश की करेंसी उसका सोवरन राइट है और यह किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता. अब तक इस तरह के इंस्ट्रूमेंट को कानूनी जामा पहुंचा पहनाने की कोशिश सफल नहीं हो पाई है.
इसीलिए RBI ने केंद्र सरकार को सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं से भी अवगत कराया है. आरबीआई ने कहा है कि क्रिप्टो करेंसी को देश में इजाजत देने की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को बढ़ावा मिल सकता है.
क्रिप्टो करेंसी के ट्रांजैक्शन में लेन-देन करने वाले के नाम का पता नहीं लगता, इसलिए इसका उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है.
हाल में एक इंटरव्यु में आरबीआई के अधिकारी ने कहा था कि इसमें बहुत सारे कोड हैं और बहुत से ट्रांजैक्शन होते हैं, इसमें सोर्स का पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इस तरह के इंस्ट्रूमेंट का नेचर बहुत जटिल होता है.
आइए जानें सरकार का क्या कहना है?
वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद में बताया कि बिटकॉइन, सहित सभी क्रिप्टोकरेंसी के साथ जुड़े जोखिमों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अप्रैल , 2018 को एक परिपत्र के माध्यम से देश की सभी संस्थाओं को सलाह दी है कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कोई भी काम नहीं करें.
लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 04 मार्च , 2020 को अपने एक फैसले में 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 528 और 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 373 में दिनांक 06 अप्रैल , 2018 के उपर्युक्त परिपत्र को खारिज कर दिया है.
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई कि सरकार क्रिप्टो करेंसियों को वैध मुद्रा या सिक्का नहीं मानती और इन क्रिप्टो के उपयोग को समाप्त करने के लिए सरकार सभी उपाय करेगी.
सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रवेश करने हेतु ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का सक्रिय रूप से उपयोग करके उसका पता लगाएगी.
अब क्या है सरकार की तैयारी
क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है. देश में अभी प्रचलित सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. सिर्फ सरकार के पास ही इसे चलाने का अधिकार होगा.
इसको लेकर विशिष्ट कार्रवाई करने के प्रस्ताव के लिए सचिव ( आर्थिक कार्य ) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय स्तरीय समिति का गठन किया गया है.