ETF क्या है

गोल्ड ईटीएफ क्या है - मतलब, उद्देश्य, जोखिम, किसे निवेश करना चाहिए
गोल्ड ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) एक ओपन एंडेड फंड है जो एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होता है जो सोने की कीमत पर आधारित होता है। ये फंड 99.5% शुद्धता वाले सोने (RBI द्वारा अनुमोदित बैंकों) में निवेश करते हैं। सरल शब्दों में, गोल्ड ETF को भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाइयों के रूप में समझाया जा सकता है जो कि डीमैटेरियलाइज्ड या पेपर रूप में हो सकती है जहां गोल्ड ETF की एक इकाई 1 ग्राम सोने के बराबर होती है। ये पेशेवरों के एक निकाय द्वारा भी संचालित और प्रबंधित किए जाते हैं, जिन्हें फंड मैनेजर के रूप में जाना जाता है और व्यापारिक दिनों में सोने की कीमतों को ट्रैक करता है। दोनों खरीदारों और विक्रेताओं के लिए, गोल्ड ETF एक निवेश विकल्प है जो उच्च तरलता की पेशकश करता है।
गोल्ड ETF खरीदना सोने की खरीद के समान है, यहां एकमात्र अंतर इलेक्ट्रिक फॉर्म में है। इन ETF को एनएसई और बीएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाता है और एक निवेशक ब्रोकर के माध्यम से खरीद और बेच सकता है जो इसे सोने में डिजिटल निवेश का बहुत आसान और सुविधाजनक तरीका बनाता है।
गोल्ड ETF में भौतिक सोने पर भी बढ़त होती है क्योंकि उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखने की आवश्यकता नहीं होती है और उनका निर्माण तंत्र और अद्वितीय संरचना ऐसी होती है कि खर्च बहुत कम होता है।
उद्देश्य
गोल्ड ETF फंड का इस्तेमाल इंडस्ट्री ETF के रूप में किया जा सकता है, कमोडिटी-आधारित ट्रेडेड फंड होने के बावजूद। यह एक वित्तीय पोर्टफोलियो का विस्तार करने और विभिन्न प्रकार के सोने से संबंधित क्षेत्रों में निवेश प्राप्त करने के लिए एक आदर्श और उत्कृष्ट निवेश रणनीति है। ये ट्रेडेड फंड्स प्राप्त करने के लिए अपेक्षाकृत सुविधाजनक हैं और यह सोने के उद्योग में निवेश करने का एक लचीला तरीका प्रदान करता है।
गोल्ड ETF को एक के निवेश पोर्टफोलियो में हेज के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि वे एक उतार-चढ़ाव वाले बाजार के खिलाफ सुरक्षा की पेशकश कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इक्विटी जैसे अन्य पूंजीगत संपत्ति के साथ सोने का बहुत कम संबंध है। सरल शब्दों में, इस उपकरण को रक्षात्मक विकल्प के रूप में कहा जा सकता है। यदि USD जैसी कोई भी बड़ी मुद्रा नीचे जाती है, तो सोने में काफी वृद्धि होती है, जो निवेशक के पोर्टफोलियो में समग्र जोखिम और अस्थिरता को कम कर सकता है।
गोल्ड ETF कैसे काम करता है?
गोल्ड ETF को ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है क्योंकि वे सूचीबद्ध हैं और दैनिक आधार पर कारोबार किया जा रहा है। ये स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कीमतों के साथ 99.5% शुद्ध भौतिक सोने के बुलियन का प्रतिनिधित्व करते हैं। भौतिक सोने के विपरीत, इन्हें पूरे भारत में एक ही कीमत पर खरीदा और बेचा जा सकता है।
गोल्ड में किसे निवेश करना चाहिए?
गोल्ड ETF उन निवेशकों के लिए आदर्श है जो गोल्ड मार्केट के संपर्क में आने के साथ अपने पोर्टफोलियो का विस्तार और विविधता चाहते हैं। यह अन्य पूंजीगत परिसंपत्तियों के साथ कम सहसंबंध के कारण विविधीकरण के लाभों की पेशकश कर सकता है। निवेशित राशि मानक सोने की बुलियन की ओर जाती है जो 99.5% शुद्ध है। यह फिजिकल गोल्ड खरीदने जितना ही अच्छा है। निवेशक, अतिरिक्त कर और भंडारण की सुविधा पर पैसा खर्च करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि भौतिक सोने के मामले में गोल्ड ETF के लिए जा सकते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति समय-समय पर अपनी भविष्य की आवश्यकताओं जैसे शादी और बाद में जब भी आवश्यकता हो, उन्हें बेचने के लिए सोने की ETF / म्यूचुअल फंड खरीद सकते हैं।
विशेषतायें एवं फायदे
1. तरलता:
गोल्ड ETF निवेशकों को उच्च तरलता प्रदान करते हैं क्योंकि उन्हें मौजूदा समय में बाजार दर के दौरान शेयर बाजार में कारोबार किया जा सकता है। इसके अलावा, अतिरिक्त और लेन-देन का खर्च (सरकार शुल्क और ब्रोकर शुल्क) भौतिक सोने की खरीद से जुड़ी लागतों की तुलना में कम है।
2. लचीलापन:
गोल्ड ETF को ऑनलाइन खरीदा जा सकता है और निवेशकों के डीमैट खाते में रखा जा सकता है। एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) सोने में निवेश के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। जब भी आवश्यकता हो आप बाजार के समय में किसी भी समय प्रवेश / निकास कर सकते हैं। ये ETF कीमतों के संदर्भ में भौतिक सोने की तरह ही व्यवहार करते हैं, यहां तक कि डीमैट प्रारूप में भी।
3. भागीदारी में आसानी:
गोल्ड ETF के साथ, निवेशकों को स्वर्ण बाजार का पता लगाने का अवसर मिलता है - एक लाभदायक, पारदर्शी और सुरक्षित मंच। इसके अलावा, वे बड़ी तरलता के साथ आते हैं क्योंकि सोने को बिना किसी असुविधा के तुरंत कारोबार किया जा सकता है।
4. छोटे मूल्य:
रिटेलर को मान्यता देने के लिए सोना खरीदने के लिए बड़ी राशि की आवश्यकता होगी। लेकिन, गोल्ड ETF के मामले में, एक निवेशक को एनएवी मूल्य के अनुसार खरीद और बिक्री की मात्रा तय करने का लाभ होता है।
5. कर-दक्षता:
ये ETF सोने को धारण करने के लिए कर-अनुकूल साधन प्रदान करते हैं क्योंकि गोल्ड ETF से 3 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के साथ उत्पन्न रिटर्न LTCG कर के अधीन है। LTCG कर की दरें कम हैं और इसलिए यह कर-कुशल रिटर्न दे सकता है।
6. होल्डिंग की आसान:
भंडारण (डीमैट खाते में) और सुरक्षा यहां कोई समस्या नहीं है। इसलिए, एक निवेशक जब तक चाहे, तब तक ETF पर पकड़ बना सकता है।
7. लेन-देन में आसानी:
स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने और व्यापार करने के अलावा, निवेशक इसे सुरक्षित ऋण के लिए प्रतिज्ञा के रूप में भी उपयोग कर सकता है। लेन-देन निर्बाध और तेज है जिसमें कोई प्रवेश और निकास भार नहीं है।
इन ETF पर लगाया गया कर भौतिक सोने की खरीद या बिक्री पर लगाया गया है। एक निवेशक पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा यदि वह इन फंडों को ट्रेड करता है और मुनाफा कमाता है। इन ETF क्या है ETF क्या है ETF में लंबी अवधि के साथ-साथ अल्पकालिक निवेश दोनों पर कर लागू होते हैं।
गोल्ड ETF, एलटीसीजी (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स) टैक्स पर 2 अलग-अलग तरह के टैक्स लगते हैं, जो 3 साल या उससे अधिक की अवधि के लिए निवेश पर लागू होते हैं। इस मामले में, एक निवेशक को इंडेक्सेशन लाभ लागू होने के बाद 20% का कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। अल्पावधि के लिए, ETF उसी दर पर पूंजीगत लाभ कर को आकर्षित करते हैं, जो किसी व्यक्ति के मौजूदा कर स्लैब पर लागू होता है।
गोल्ड vs गोल्ड ETF
मापदंड | गोल्ड ETFs | गोल्ड |
उद्देश्य | एक लंबी या छोटी अवधि के लिए वित्तीय लक्ष्य | व्यक्तिगत उपयोग, ऋण संपार्श्विक |
प्रकार | यह निवेश का एक रूप है | आइडल वेल्थ |
भंडारण | स्टोर करने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार, चोरी या नुकसान का कोई जोखिम नहीं। | सुरक्षित रूप से और सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाना चाहिए |
कीमत | एनएवी, भौतिक सोने की कीमत से जुड़ा हुआ है, जो उतार-चढ़ाव के अधीन है। | बाजार दर में उतार-चढ़ाव के अधीन |
लागत | फंड प्रबंधन व्यय यानी व्यय अनुपात जिसमें दलाली, प्रबंधन और अन्य खर्च शामिल हो सकते हैं। | हाई मेकिंग चार्जेस, इंश्योरेंस कॉस्ट, लॉकर कॉस्ट आदि। |
कैसे खरीदे? | स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करता है। एक ट्रेडिंग और डीमैट खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता है। | एक जौहरी / खुदरा विक्रेता से खरीदा जा सकता है। |
गोल्ड ETF से जुड़े कुछ जोखिम हैं जो किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले एक निवेशक को पता होना चाहिए। वे यहाँ हैं:
● मूल्य में उतार-चढ़ाव: किसी भी इक्विटी से संबंधित उत्पाद की तरह, एक ETF के तहत जारी इकाइयों का एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) आर्थिक परिदृश्यों और बाजार की स्थितियों के अनुसार सोने की कीमत में बदलाव के साथ ऊपर या नीचे जा सकता है।
● कम समग्र रिटर्न: एक अतिरिक्त शुल्क - कमीशन, दलाली, फंड प्रबंधन शुल्क, आदि - एक गोल्ड ETF बनाए रखने के लिए भौतिक सोने की बिक्री की तुलना में अपने समग्र रिटर्न को कम कर सकता है।
Paytm Money से खरीद सकेंगे ETF, सिर्फ 16 रुपए से शुरू कर सकते हैं निवेश
फिनटेक कंपनी (Fintech company) पेटीएम (Paytm) की सब्सिडियरी पेटीएम मनी (Paytm Money) ने अपने प्लेटफॉर्म पर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) को लॉन्च कर दिया है. बाजार ETF क्या है नियामक SEBI से मंजूरी के बाद अपने प्लेटफॉर्म पर एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) शुरू किया है.
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नई दिल्ली: फिनटेक कंपनी (Fintech company) पेटीएम (Paytm) की सब्सिडियरी पेटीएम मनी (Paytm Money) ने अपने प्लेटफॉर्म पर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) को लॉन्च कर दिया है. बाजार नियामक SEBI से मंजूरी के बाद अपने प्लेटफॉर्म पर एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) शुरू किया है. ETF सिक्योरिटीज का एक कलेक्शन होता है, जिसे लोग ब्रोकरेज फर्म के जरिए स्टॉक एक्सचेंज पर खरीद या बेच सकते हैं.
Paytm मनी के CEO वरुण श्रीधर के मुताबिक, ETFs ऐसे निवेश हैं, जिन्हें कम लागत पर मार्केट लिंक्ड रिटर्न्स हासिल करने के लिए हर किसी को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए. हम जरूरी फैक्टर्स के साथ एक यूजर फ्रेंडली इंटरफेस की पेशकश कर रहे हैं, जिसकी एक यूजर को अपनी पसंद के ETF में सुविधाजनक ढंग से निवेश करने के लिए जरूरत हो सकती है.
सिर्फ 16 रुपए से कर सकते हैं शुरुआत
पेटीएम मनी के जरिए अगले 12-18 माह में कंपनी को ETFs में 1 लाख यूजर्स के निवेश की उम्मीद है. यही कंपनी का लक्ष्य भी है. पेटीएम मनी जानताी है कि ETF निवेशक के पोर्टफोलियो का अनिवार्य हिस्सा होता है. सभी निवेशकों को इसमें निवेश करना चाहिए. पेटीएम मनी का कहना है कि नए निवेशकों को ध्यान में रखते हुए इसे आसान और सुविधाजनक बनाने की कोशिश की है. पेटीएम मनी के जरिए निवेशक इक्विटी में 16 रुपए, गोल्ड में 44 रुपए और निफ्टी में 120 रुपए जैसे कम अमाउंट से ETF इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं.
क्या है पेटीएम मनी ETF के फीचर्स
भारत में इंडेक्स, गोल्ड, इक्विटी और डेट कैटेगरी में 69 तरह के ETFs मौजूद हैं. पेटीएम मनी के मुताबिक, इसके प्लेटफॉर्म का इंटरेक्टिव इंटरफेज निवेशक की चुने गए ETFs में प्राइस चेंज को ट्रैक करने में मदद करता है. साथ ही यूजर प्राइस अलर्ट भी सेट कर सकता है. पेटीएम मनी पर ETF का लाइव प्राइस अपडेट होता रहता है. निवेशक ओपन मार्केट आवर में सेल ऑर्डर डाल सकता है और पैसा सीधे अपने बैंक अकाउंट में पा सकता है.
गोल्ड की इन तीन स्कीम में करें निवेश, मिलेगा शानदार रिटर्न
गोल्ड ETFs में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है, साथ ही अन्य जगहों की अपेक्षा शानदार रिटर्न मिलता है
कोरोना वायरस की इस महामारी में हर तरफ तबाही मची हुई है। आर्थिक सुस्ती पूरी दुनिया में छाई हुई है। जो निवेशक हैं वो सुरक्षित निवेश का ठिकाना ढूंढ रहे हैं। अगर आप भी अपने निवेश में शानदार रिटर्न चाहते हैं तो आप सोने में निवेश कर सकते हैं। साल के शुरुआत से ही सोने के भाव में तेजी देखने को मिल रही है। शुरु में सोने की कीमत 37,000 रुपये ETF क्या है 10 ग्राम थी, जो कि अब बढ़कर 47,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक हो गई है। अगर आप निवेशक हैं तो अपने पोर्टफोलियों में सोने का निवेश जरूर रखें। हम आपको निवेश के तौर पर 3 गोल्ड ETFs का सुझाव दे रहे हैं। जिसमें आप जान जाएंगे कि इसमें निवेश करना कितना सरल है और इसमें क्यों निवेश करना चाहिए।
गोल्ड ETF क्या है और इसे क्यों खरीदना चाहिए
अगर आप पहले से ही शेयरों में निवेश कर चुके हैं तो आप शेयरों के साथ-साथ गोल्ड ETFs भी खरीद सकते हैं। कुल मिलकार कहने का मतलब ये हुआ कि जिस तरह से आप ICICI Bank का एक शेयर खरीद सकते हैं, उसी तरह आप गोल्ड ETFs का भी एक हिस्सा खरीद सकते हैं। शेयरों की तरह स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार करते हैं और शेयरों की तरह कभी खरीदा बेचा जा सकता है। वो सोने की की कीमतों को ट्रैक करते हैं, इसीलिए जब सोने की कीमतें बढ़ती है, तो वो भी मिलकर बढ़ाते हैं।
अगर सोने को मेटल के रूप में यानी भौतिक रूप से खरीदते हैं और बेचते हैं तो उसमें मार्जिन कम होगा। फिर सोने को रखने में भी कई तरह दिक्कतों का सामना करना पडेगा। अगर आप उसे लॉकर में रखेंगे तो उसका अलग से खर्च लगेगा। फिजिकल गोल्ड की आसानी से चोरी भी की जा सकती है। ऐसे में Gold ETFs बेहतर है। इसकी चोरी नहीं की जा सकती। आपके पास डीमैट अकाउंट (demat account) तो आप इसे खरीद बेच सकते हैं।
यहां आपको गोल्ड के 3 निवेश बता रहे हैं, जिसमें आपको शानदार रिटर्न मिल सकता है।
SBI Gold ETF
एसबाई गोल्ड ईटीएफ (SBI Gold ETF) ने पिछले 1 साल में 38 फीसदी रिटर्न दिया है। क्योंकि सोने की कीमतों में तेजी आई थी। यह देश के किसी अन्य एसेट्स के मुकाबले सबसे अधिक रिटर्न है। इसने शेयरों, रियल एस्टेट और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे निवेशों से भी ज्यादा रिटर्न दिया है।
SBI Gold ETF इस समय NSE पर 4370 रुपये पर कारोबार कर रहा है। अगर आपके पास 2-3 साल का होल्डिंग पीरियड है तो आपको सोना अच्छा रिटर्न दे सकता है। यह फिजिकल गोल्ड के मुकाबले काफी अच्छा निवेश है। अगर आप सोना खरीदना चाहते हैं तो ETF पर ही जाएं।
HDFC Gold ETF
इस गोल्ड Gold ETF ने भी पिछले एक साल में 38 फीसदी ETF क्या है रिटर्न दिया है। जबकि 3 साल का सालाना रिटर्न 18 फीसदी के करीब है। जो कि ज्यादातर एसेट क्लास से बेहतर रिटर्न दे रहा है। इसका स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार किया जाता है। लिहाजा कोई भी बिना किसी दिक्कत के इन्हें खरीद और बेच सकता है।
Nippon India ETF Gold BEES
इस ETF Gold ने ऊपर दो के मुकाबले थोड़ा कम रिटर्न दिया है। लेकिन इसने पिछले एक साल में 37 फीसदी तक रिटर्न दिया है। गोल्ड ईटीएफ मौजूदा समय में स्टॉक एक्सचेंज में 4370 रुपये पर कारोबार कर रहा है। साथ ही बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखता है। आपको याद रखना चाहिए सोने में थोड़ा बहुत निवेश करना चाहिए। क्योंकि इसमें निवेश सुरक्षित माना जाता है। इस समय सोने में निवेश करना सबसे बेहतर है।
क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड? निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप कम पैसों से निवेश करना शुरू करना चाहते हैं तो आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश कर सकते हैं। ETF के जरिए निवेशकों का पैसा शेयरों के एक सेट में निवेश किया जाता है, जिसमें इक्विटी, बॉन्ड या गोल्ड जैसे एसेट शामिल होते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड की वजह से इनका कारोबार भी शेयर मार्केट की तरह होता है। अगर आप भी ETF में निवेश करने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।
एसेट्स के बास्केट को ETF कहते हैं, जिसकी बिक्री और खरीद स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होती है। ETF का मूल्य शुद्ध संपत्ति मूल्य (NAV) पर निर्भर करता है। NAV की कीमत म्यूचुअल फंड की तरह बाजार बंद होने के बाद निर्धारित की जाती है। देश की मार्केट में मुख्यत: पांच प्रकार के ETFs में निवेश कर सकते हैं, जिसमें गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंटरनेशनल ETF शामिल हैं।
यह निवेश का एक सरल माध्यम है, इसकी खरीद-फरोख्त भी स्टॉक एक्सचेंज से होती है। ETF में निवेश करने के लिए लोगों को ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकर और डीमैट खाते से ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है। वहीं ETF को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है। बता दें कि शेयर मार्केट की तरह पूरे दिन के कारोबार में ETF की कीमतों में भी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है।
ETF को चुनने समय L4U स्ट्रेटजी पर काम करना चाहिए- लिक्विडिटी के साथ लो एक्सपेंश रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज हो। लिक्विडिटी का मतलब है कि एक्सचेंजों पर ETF की पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम होनी चाहिए, ताकि खरीद-फरोख्त में आसानी हो। एक्टिव फंड्स की तुलना में ETF के एक्सपेंस रेशियो कम होते हैं, लेकिन फिर भी निवेशकों को विभिन्न ETF के एक्सपेंस रेशियो की तुलना जरूर करनी चाहिए।
इंपैक्ट कॉस्ट एक्सचेंज पर ट्रांजैक्शन को लेकर इनडायरेक्ट कॉस्ट है। अगर लिक्विडिटी अधिक हुई तो इंपैक्ट कॉस्ट कम होगी। जिसकी वजह से इनडायरेक्ट टैक्स कम चुकाना पड़ेगा। ट्रैकिंग एरर की वजह से इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न के अंतर को स्पष्ट करती है। अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक, 0.2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है। सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर करता है।
निवेश ETF क्या है के दौरान आपके सामने कुछ ऐसे ETFs होंगे, जिनकी बोली अधिक होगी। वहीं ऐसे ETFs को बेचने के दौरान पर्याप्त लिक्विडिटी नहीं मिलती है। अगर आप ETF यूनिटों का बहुत कम हिस्सा खरीदते-बेचते हैं, तो ब्रोकरेज और डीमैट चार्ज ज्यादा बैठ सकता हैं।
क्या होता है ईटीएफ?
ईटीएफ का मतलब है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड। एक ऐसा फंड जो स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध है और जिसे एक स्टॉक (शेयर) की तरह खरीदा-बेचा जा सकता है। एक प्रकार से यह अलग-अलग शेयरों का एक समूह है जिसमें वही शेयर शामिल होते हैं जो बीएसई सेंसेक्स या एनएसई निफ्टी में होते हैं। इसका मूल्य रियल टाइम में बदलता रहता है और आप इसे कारोबारी दिवस में किसी समय खरीद या बेच सकते हैं। म्युच्युअल फंड से यह इस मामले में भिन्न होता है क्योंकि इसे सिर्फ दिन में एक बार बाजार बंद होने के बाद खरीदा-बेचा जा सकता है। ईटीएफ में शेयर , वस्तु और बांड्स सहित कई प्रकार के निवेश हो सकते हैं। इस आधार पर ईटीएफ कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे- बांड्स ईटीएफ जिसमें सरकारी बांड्स , कारपोरेट बांड्स और म्युनिसिपल बांड्स शामिल हैं। इसी प्रकार उद्योग आधारित ईटीएफ हो सकते हैं जो किसी एक उद्योग को ट्रैक करते हैं। इनमें बैंकिंग , प्रौद्योगिकी या तेल व प्राकृतिक गैस और उस क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों पर आधारित होते हैं। कमोडिटी ईटीएफ जो सोना या कच्चे तेल जैसी वस्तुओं में निवेश करते हैं। इसी तरह करेंसी ईटीएफ जो विदेशी मुद्रा में निवेश करते हैं। हालांकि निवेशकों को ईटीएफ के लिए ब्रोकरेज चार्ज देने होते हैं। ईटीएफ का सबसे अच्छा उदाहरण ‘ एसपीडीआर एसएंडपी 500 ’ ईटीएफ है जो अमेरिकी शेयर बाजार के सूचकांक एसएंडपी 500 इंडेक्स को ट्रैक करता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा और जाना-पहचाना ईटीएफ है। असल में ईटीएफ की शुरुआत ही अमेरिका से 1993 में हुई। शुरुआत में निवेशकों का रुझान ईटीएफ में निवेश की ओर नहीं था। लेकिन ईटीएफ ने दुनियाभर में व्यक्तिगत और संस्थागत निवेशकों के लिए निवेश का एक बड़ा अवसर प्रदान किया। ईटीएफ का मूल्य उसमें निहित शेयर या वस्तु के नेट एसेट वैल्यू यानी एनएवी पर आधारित होता है। हमने ऊपर पढ़ा कि ईटीएफ एक प्रकार का इंडेक्स फंड होता है। इसलिए यहां इंडेक्स फंड का मतलब भी समझना जरूरी है। एक इंडेक्स फंड एक प्रकार का म्युच्अल फंड है जो बिल्कुल शेयर बाजार के सूचकांक जैसा दिखता है। ईटीएफ के फंड मैनेजर शेयर बाजार के सूचकांक में शामिल शेयरों के अनुपात में निवेश करते हैं ताकि बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति में निवेशकों का जोखिम कम रहे। यह निवेशकों के लिए कई मायनों में फायदेमंद होता है। निवेशक का पहला फायदा यह होता है कि वह परोक्ष रूप से उन ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है जिन्हें मिलाकर शेयर बाजार का सूचकांक बना है। चूंकि शेयर बाजार के सूचकांक में शामिल कंपनियां कम से कम 20 से 25 सेक्टर की होती हैं , इसलिए उनके निवेश में विविधता होती है।
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