स्पॉट फॉरेक्स

ट्रेडिंग मुद्रा वायदा और स्पॉट एफएक्स के बीच अंतर क्या है?
योग मुद्रा की चमकदार त्वचा के लिए - तेलुगु में शारीरिक शक्ति | योग मुद्रा लाभ | पेद्दा Balasiksha (दिसंबर 2022)
विदेशी मुद्रा बाजार बहुत अलग विशेषताओं, फायदे और नुकसान के साथ एक बहुत बड़ा बाजार है विदेशी मुद्रा निवेशक मुद्रा फ्यूचर्स के साथ-साथ स्पॉट फॉरेक्स मार्केट में व्यापार कर सकते हैं। इन दोनों निवेश विकल्पों में अंतर काफी सूक्ष्म है, लेकिन ध्यान देने योग्य है।
एक मुद्रा वायदा अनुबंध एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अनुबंध है जो भविष्य में किसी बिंदु पर पूर्वनिर्धारित मूल्य (प्रचलित एक्सचेंज दर) पर एक मुद्रा जोड़ी के एक विशेष राशि के व्यापार में शामिल दोनों दलों को बाध्य करता है। यह मानते हुए कि विक्रेता समय से पहले ही स्थिति को बंद नहीं करता है, वह या तो वह भविष्य के लिखे जाने वाले समय की मुद्रा के स्वामी हो सकता है, या "जुआ" हो सकता है कि निपटान तिथि से कुछ समय पहले हाजिर बाजार में मुद्रा सस्ता होगी।
हाजिर एफएक्स के साथ, निपटारे की तारीख के बाद अंतर्निहित मुद्राओं को शारीरिक रूप से बदल दिया जाता है। सामान्य तौर पर, किसी हाजिर बाजार में अंतर्निहित संपत्ति का वास्तविक आदान-प्रदान होता है; यह वस्तु बाजारों में सबसे आम है उदाहरण के लिए, जब भी कोई बैंक को मुद्राओं का आदान-प्रदान करने के लिए जाता है, तो वह व्यक्ति विदेशी मुद्रा हाजिर बाजार में भाग ले रहा है।
मुद्रा वायदा और स्थान एफएक्स के बीच मुख्य अंतर है जब व्यापार की कीमत निर्धारित होती है और जब मुद्रा जोड़ी का भौतिक आदान-प्रदान होता है। मुद्रा वायदा के साथ, कीमत निर्धारित की जाती है जब अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाते हैं और मुद्रा जोड़ी डिलीवरी की तारीख पर आदान-प्रदान होती है, जो आमतौर पर दूर के भविष्य में कुछ समय होती है। हाजिर एफएक्स में, कीमत व्यापार के बिंदु पर भी निर्धारित होती है, लेकिन मुद्रा जोड़ी का भौतिक आदान-प्रदान व्यापार के बिंदु पर या इसके बाद के कुछ ही समय में होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वायदा बाजार में ज्यादातर प्रतिभागियों सट्टेबाज़ हैं जो आमतौर पर निपटारे की तिथि से पहले अपनी स्थिति बंद कर देते हैं और इसलिए, अधिकांश अनुबंध डिलीवरी की तारीख तक अंतिम नहीं होते हैं।
आगे पढ़ने के लिए, देखें विदेशी मुद्रा फ्यूचर्स में प्रारंभ करना , विदेशी मुद्रा विकल्प में आरंभ करना और विदेशी मुद्रा एक्सचेंज स्पॉट व्यापार करने के लिए विकल्प टूल्स का उपयोग करना
फॉरवर्ड रेट और स्पॉट रेट के बीच अंतर क्या है?
फॉरवर्ड रेट अग्रिम अनुबंध का निपटारा मूल्य है, जबकि स्पॉट रेट स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट का सेटलमेंट मूल्य स्पॉट फॉरेक्स है।
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मोदी राज ने स्पॉट फॉरेक्स अर्थव्यवस्था को ठगा, रुपए के बाद फॉरेक्स का भी दगा … विदेशी मुद्रा भंडार २ साल के निचले स्तर पर!
• गत सप्ताह ३.८५ अरब डॉलर की आई कमी
• आरबीआई के काबू में नहीं आ रहे हालात
सामना संवाददाता / मुंबई
देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटता जा रहा है। मोदी राज जब से आया है, उसने देश की अर्थव्यवस्था को ठगा ही है। दूसरी तरफ रुपए के बाद अब फॉरेक्स भी दगा दे रहा है। केंद्रीय बैंक आरबीआई ने डेटा जारी करके बताया है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार २ साल से ज्यादा के निचले स्तर तक चला गया है। देश की करेंसी रुपए की गिरावट इसकी बड़ी वजह भी है और फॉरेन करेंसी ऐसेट्स भी घटे हैं। देश का विदेशी मुद्रा भंडार २१ अक्टूबर को खत्म हफ्ते में ३.८५ अरब डॉलर घटकर ५२४.५२ अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई ने डेटा जारी करके बताया है कि रुपए की लगातार गिरावट को थामने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार में कमी देखी जा रही है।
स्पॉट फॉरेक्स रिजर्व जो पिछले साल सितंबर में ६४२.४५ अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था, पर अब इसमें ११७.९३ अरब डॉलर की कमी आ गई है। इतनी भारी गिरावट इस बात का इशारा कर रही है कि आर्थिक मोर्चे पर सब कुछ ठीक नहीं है।
हिंदुस्थान के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट का कारण है कि डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। इसे थामने के लिए आरबीआई को अपने खजाने से और डॉलर की बिकवाली करनी पड़ सकती है। इसके चलते फॉरेक्स रिजर्व और घटेगा। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के पीछे वजह ये भी है कि यहां फॉरेन करेंसी ऐसेट्स तेजी से घट रहे हैं और इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर देखा जा रहा है। चिंता करनेवाली बात ये भी है कि पिछले १२ में से ११ हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट ही दर्ज की गई है और ये आंकड़ा देश के खजाने की विकट स्थिति को बढ़ा सकता है। फॉरेन करेंसी ऐसेट्स और गोल्ड रिजर्व के आंकड़े जानिए। फॉरेन करेंसी ऐसेट्स को देखें तो २१ अक्टूबर को खत्म हफ्ते में ये ३.५९ अरब डॉलर से घटकर ४६५.०८ अरब डॉलर पर आ गए हैं। इसके अलावा गोल्ड रिजर्व २४७ लाख डॉलर से घटकर ३७.२१ लाख डॉलर पर आ गया है। त्योहार के मौसम में नकदी की बढ़ी मांग, कर वसूली बढ़ने और मुद्रा बाजार में आरबीआई के हस्तक्षेप से कुल मिलाकर बैंकिंग व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी करीब खत्म हो गई है। पिछले ५ दिन में रिजर्व बैंक ने रोजाना बैंकिंग व्यवस्था में औसतन ७२,००० करोड़ रुपए डाले हैं।
रुपए में गिरावट है वजह
समीक्षाधीन सप्ताह में रुपया डॉलर के मुकाबले रेकॉर्ड गिरावट स्तर ८३.२९ पर पहुंच गया था। आरबीआई को इस गिरते रुपए को संभालने के लिए डॉलर बेचना पड़ता है। पिछले १२ में से ११ सप्ताह के दौरान देश के विदेशी स्पॉट फॉरेक्स मुद्रा भंडार में गिरावट हुई है। ७ अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में इसमें उछाल आया था। स्वर्ण भंडार में बढ़ोतरी के चलते उस सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार २०४ मिलियन डॉलर बढ़ गया था।
मुद्रा दबाव: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने का अंदेशा
आयातित जिंसों की ऊंची कीमतों के कारण आने वाले कारोबारी सप्ताह के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने का अंदेशा है।
Edited by: IANS
Published on: July 17, 2021 17:36 IST
Photo:PIXABAY
मुद्रा दबाव: रुपया और कमजोर होने का अंदेशा
मुंबई: आयातित जिंसों की ऊंची कीमतों के कारण आने वाले कारोबारी सप्ताह के दौरान अमेरिकी डॉलर के स्पॉट फॉरेक्स मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने का अंदेशा है। इसके अलावा, विदेशी उद्यम पूंजीपतियों के लिए आईपीओ के पैसे के बहिर्वाह की संभावना से डॉलर की तुलना में रुपये की स्थिति प्रभावित होगी। पिछले हफ्ते, रुपया एक संकीर्ण दायरे में समेकित हुआ और विभिन्न डेटा रिलीज के बावजूद एक मौन प्रतिक्रिया रही है।
एडलवाइस सिक्योरिटीज के फॉरेक्स एंड रेट्स प्रमुख सजल गुप्ता ने कहा, "कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और आईपीओ के पैसे के विदेशी उद्यम पूंजीपतियों के वापस जाने की संभावना के कारण आने वाले सप्ताह में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने का अंदेशा है।" पिछले शुक्रवार को रुपया 74.56 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख राहुल गुप्ता ने कहा, "डॉलर के लिए सुरक्षित-हेवन दांव अभी भी बरकरार है और पॉवेल की गवाही के बाद एफएक्स व्यापारियों को डोविश आउटलुक के आग्रह पर तसल्ली नहीं है।"
उन्होंने कहा, "उम्मीद से बेहतर अमेरिकी खुदरा बिक्री डेटा यूएसडीआईएनआर स्पॉट की सराहना करेगा, अपेक्षित फेड रेट में वृद्धि या टेपरिंग के बढ़ते दांव पूर्व स्थिति के लिए लगेंगे।" विशेषज्ञों का अनुमान है कि यूएसडीआईएनआर (स्पॉट) की एक सीमा सकारात्मक पूर्वाग्रह के साथ व्यापार करेगी और 74.20 और 75.20 की सीमा में बोली लगाए जाने की उम्मीद है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स एंड बुलियन एनालिस्ट गौरांग सोमैया ने कहा, "अगले हफ्ते, हम उम्मीद करते हैं कि सप्ताह की पहली छमाही में गति अपेक्षाकृत कम रहेगी, क्योंकि बाजार सहभागी ईसीबी नीति के बयान से पहले सतर्क रहते हैं।"
उन्होंने कहा, "उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक सुस्त बना रह सकता है, जिससे ईयूआरयूएसडीजोड़ी के लिए लाभ सीमित रहेगा।" हालांकि, एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के उप प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा, "रुपये के लिए निकट अवधि के आउटलुक में तेजी बनी हुई है, हालांकि संभावना है कि केंद्रीय बैंक आमद को अवशोषित करेगा और निकट अवधि में ऊपर की ओर सीमित हो जाएगा।" "हमें उम्मीद है कि रुपया निकट भविष्य में 74.30-74.80 के दायरे में कारोबार करेगा।"
Dollar-Rupee Rate Today: रुपये ने पहली बार छुआ 80 का आंकड़ा, 79.98 पर हुआ बंद
Rupee-Dollar Exchange Rate Outlook: मोतीलाल ओसवाल के गौरांग सोमैया के मुताबिक शॉर्ट टर्म में डॉलर के मुकाबले रुपये का स्पॉट रेट 79.79 से 80.20 के बीच रह सकता है
सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.76 पर खुला और दिन में 80 का स्तर छूने के बाद 79.98 पर बंद हुआ
Rupee Crashes Further Against Dollar : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला सोमवार 18 जुलाई को भी जारी रहा. इंट्रा डे कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी ने पहली बार 80 का आंकड़ा भी छू लिया. हालांकि कारोबार बंद होने तक इसमें कुछ सुधार हुआ और पिछले कारोबारी दिन के मुकाबले यह 16 पैसे की गिरावट के साथ 79.98 पर बंद हुआ. दिन की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले रुपया 79.76 पर खुला था.
जानकारों की राय में सोमवार को रुपये में गिरावट के लिए क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के अलावा विदेशी फंड्स का देश से लगातार बाहर पैसे भेजना ही सबसे बड़ी वजह हैं. इंटरबैंक फॉरेक्स मार्केट में भारतीय करेंसी सुबह डॉलर के मुकाबले 79.76 पर खुली, लेकिन जल्द ही इस पर बिकवाली का दवाब नजर आने लगा. दोपहर करीब 12 बजे इसने 80 का मनोवैज्ञानिक आंकड़ा छू लिया. इसके बाद दिन के कारोबार के दौरान बेहद थोड़े समय के लिए ही यह स्तर फिर से देखने को मिला. बाजार बंद होने तक रुपया मामूली रूप से संभला और 79.98 पर बंद हुआ. हालांकि यह आंकड़ा भी 80 के बेहद करीब है. इसके पिछले कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 17 पैसे की बढ़त के साथ स्पॉट फॉरेक्स 79.82 पर बंद हुआ था.
79.79 से 80.20 के बीच रह सकता है रुपया
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज़ के फॉरेक्स एनालिस्ट गौरांग सोमैया के मुताबिक शुक्रवार को आए सुधार के बावजूद रुपये पर दबाव बना हुआ था. फेडरल रिजर्व के नई पॉलिसी के एलान से पहले बाजार के खिलाड़ी सावधानी बरत रहे हैं. सोमैया का कहना है कि आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये का स्पॉट रेट शॉर्ट टर्म में 79.79 से 80.20 के बीच रह सकता है.
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रिलायंस सिक्योरिटी के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट श्रीराम अय्यर का मानना स्पॉट फॉरेक्स है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और भारत से विदेशी फंड्स द्वारा लगातार देश से बाहर पूंजी भेजने की वजह से रुपये पर दबाव बढ़ गया है. इसी का परिणाम भारतीय मुद्रा में गिरावट के रूप में देखने को मिल रहा है. हालांकि सोमवार को रुपये के अलावा कई और एशियाई मुद्राओं में कुछ सुधार देखने को मिला.
सोमवार स्पॉट फॉरेक्स को दोपहर में एशियाई बाजारों में डॉलर इंडेक्स में कुछ कमजोरी दिखाई दे रही थी. 6 मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी करेंसी के प्रदर्शन का संकेत देने वाला डॉलर इंडेक्स 0.58 फीसदी की कमजोरी के साथ 107.47 पर ट्रेड कर रहा था. अय्यर के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कई अधिकारियों ने ऐसे संकेत दिए थे कि वे ब्याज दरों में बढ़ोतरी की तेज रफ्तार से खुश नहीं हैं. भारतीय कैपिटल मार्केट में विदेशी संस्थागत निवेशक यानी FII सोमवार को भी नेट सेलर ही बने रहे और 1649.36 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिक्री की.