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Unlisted Shares क्या होते है?

Unlisted Shares क्या होते है?

Image source:Business Standard

Share Market क्या होता है हिन्दी में जानकारी

आपको स्टॉक मार्केट के बारे में जानने के लिए ढेरों वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध मिलेंगे। लेकिन शायद कुछ ही वेबसाइट होंगी जो सही और पूरी जानकारियां देती हैं। लेकिन आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम आपके लिए 100% सही जानकारी लेकर आए।

Share Market में निवेश कैसे करें?

दोस्तों अगर आप stock market में निवेश करना चाहते हैं या stock market में निवेश कर रहे हैं लेकिन आधी अधूरी जानकारी होने Unlisted Shares क्या होते है? के कारण आप हमेशा असमंजस में रहते हैं। कई लोग तो ऐसे भी होते हैं जो इन्वेस्ट करने को तैयार हो जाते पर जानकारी नहीं होने के कारण पीछे हट जाते हैं। आपको बता दें कि स्टॉक मार्केट को कई नाम से जाना जाता है जैसे कि Share Market, Equity Market इत्यादि।

Share क्या है? - What Is Share

दोस्तों Share एक अंग्रेजी शब्द है और यह Share Capital का एक छोटा हिस्सा है यानी कि share capital को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया जाए और हर एक हिस्सा को share कहा जाता है।

Market क्या है?-

Market का मतलब एक ऐसी जगह जहां पर खरीददार और बेचने वाले एक दूसरे से मिलते हैं और खरीदते या बेचते हैं।

Stock Market क्या है - Stock Market in Hindi

अगर आसान शब्दों में कहीं तो शेयर मार्केट किसी भी कंपनी में से share खरीदने और बेचने का प्लेटफार्म है।
भारत में 2 सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज है:-

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज - Bombay stock exchange ( BSE) in Hindi:-

Bombay stock exchange ( BSE) भारत का सबसे बड़ा security exchange कहा जाता है और इसकी स्थापना 1875 में हुई Unlisted Shares क्या होते है? है BSE भारत का सबसे पहले स्थापित किया जाने वाला स्टॉक एक्सचेंज है। लेकिन BSE एक regional stock exchange है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज - National Stock Exchange (NSE) in Hindi:-

National Stock Exchange की स्थापना 1992 में हुई है, लेकिन NSE को स्टॉक एक्सचेंज का दर्जा अप्रैल 1993 में दिया है यह भारत का एक मॉडर्न और टेक्नोलॉजी base stock exchange है।
आप BSE/NSE में लिस्टेड कंपनी के शेयर को खरीद-बेच सकते हो। लेकिन यह काम एक ब्रोकर Unlisted Shares क्या होते है? के माध्यम से किया जाता है।

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Share खरीदना क्या है:-

जैसे कि उदाहरण के तौर पर BSE में लिस्टेड कंपनी ने अपने कुल 5 लाख शेयर बाजार में जारी किए और आप उस कंपनी के 10000 शेयर खरीदे लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आपको उस कंपनी के 10000 शेयर का मालिकाना मिल गया है।

आपका जब भी मन करे कभी भी और किसी भी समय (कामकाजी दिन) खरीदे गए शेयर के कुछ शेयर या सारे शेयर को बेच भी सकते हो। इन शेयर को खरीदने व बेचने में आपको broker से सहायता लेनी पड़ेगी। Broker अपने सर्विस का कमीशन चार्ज करते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि BSE/NSE में किसी भी कंपनी के शेयर या स्टॉक के मूल दर्ज होते हैं कंपनी के शेयर का दाम घटना या बढ़ाना उसके क्षमता पर निर्भर करता है

बाजार में नियंत्रण बनाना Security Exchange Board Of India का काम होता है SEBI के परमिशन के बिना कोई भी कंपनी अपना IPO ( Initial Public Offer) जारी नहीं Unlisted Shares क्या होते है? कर सकती है. सबसे पहले सेबी से उस कंपनी को परमिशन लेनी पड़ेगी तभी आईपीओ जारी कर सकती है।

Stock Market में कंपनी कैसे लिस्ट होती है? How to Company listed in Stock Market

सबसे पहले कंपनी को लिस्ट होने के लिए शेयर बाजार से लिखित में कई समझौते करने पड़ेंगे। इसके बाद कंपनी को अपने जरूरी दस्तावेजों को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया(Security Exchange Board Of India) में जमा करना पड़ता है इसके बाद कंपनी के द्वारा दी गई सारी जानकारियों को सेबी मूल्यांकन करता है सही होने पर कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है।

अनलिस्टेड कंपनी ट्रेड कैसे करती है- Unlisted Company Trade kaise krti hai in hindi

Over The Counter Exchange of India ( OTCEI):-

दोस्तो OTCEI में small और medium company trade करती है जो stock exchange में लिस्टेड नहीं होती है। OTCEI एक national stock exchange है।

Share Market में नुकसान और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव कैसे आता है

Share Market

इतना सब जानने के बाद आप के मन में एक सवाल जरूर आया होगा कि क्या शेयर बाजार में नुकसान नहीं होता है और अगर नुकसान होता है तो क्यों शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों चलिए आपको इसका भी जवाब दे देते हैं।


आपको बता दें कि शेयर बाजार में अगर आप किसी अच्छी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं तो ज्यादा चांस यह हो जाता है कि मार्केट में share के प्राइस बढ़ेंगे।

लेकिन आप जब भी गलत कंपनी के शेयर को खरीद लेते हैं तो आपके पैसे को डूबने के चांस ज्यादा हो जाते हैं। इसीलिए जब भी किसी कंपनी के शेयर खरीदे तो उस कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारियां जरूर हासिल कर ले।

Share Bazar (शेयर मार्केट) में निवेश कैसे करें -

1) सबसे पहले आपको शेयर खरीदने के लिए ब्रोकर का सिलेक्शन करना होगा और ब्रोकर को appoint करना जरूरी है क्योंकि SEBI ने इसे जरूरी कर दिया है।

सेबी ने कहा है कि स्टॉक एक्सचेंज में trade करने के लिए जो पहले से मेंबर स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड हैं उनके द्वारा ही आप trade कर सकते हैं।

2) दूसरे स्टेप में आपको ब्रोकर के द्वारा Demat account खुलवाना होगा और अपने बैंक से लिंक कराना होगा।

3) बैंक अकाउंट से Demat account में फंड को ट्रांसफर करें और broker की मदद से आप शेयर खरीद लीजिए।

आप चाहे तो ब्रोकर की वेबसाइट से खुद login करके भी खरीद सकते हैं लेकिन मेरी सलाह यही है कि आप ब्रोकर की मदद से ही पहले शेयर खरीदे।

जब आप ऊपर के steps को सही से फॉलो करेंगे तो खरीदे हुए share आपके Demat account में आ जाएंगे आप जब भी चाहे कामकाजी दिन में broker की मदद से अपने शेयर बेच सकते हैं।

आपने क्या जाना

दोस्तो आशा करता हूं कि आपको stock market क्या है, share क्या है, Share Market में Invest करने के लिए क्या स्टेप्स है, OTCEI क्या है आदि के बारे में अच्छे से समझ आ गया होगा।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और पब्लिक लिमिटेड कंपनी में क्या मुख्य अंतर होता है?

Difference between Public and Private company:पब्लिक लिमिटेड कंपनी के ऊपर सरकार और शेयरधारकों का कब्ज़ा होता है और इसकी स्थापना के लिए कम से कम 7 सदस्यों की जरुरत होती है. जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी निजी लोगों के स्वामित्व वाली कंपनी होती है; जिसकी स्थापना करने के लिए कम से कम 2 लोगों की जरुरत होती है.

Private company vs.Public-company

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की परिभाषा (Definition of Private Limited Company)
एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक संयुक्त स्टॉक कंपनी है, जो भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 या किसी अन्य पिछले अधिनियम के तहत स्थापित की गयी है.

यह स्वैच्छिक रूप से बनाए गए व्यक्तियों का एक संघ है, जिसकी न्यूनतम पेड-उप पूंजी रु. 1,00,000 होती है. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए कम से कम 2 लोगों की जरुरत अवश्य होती है. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मौजूदा कर्मचारियों की अधिकतम संख्या 200 हो सकती है.

इस प्रकार की कंपनी को अपने शेयर पब्लिक या आम लोगों को बेचने की अनुमति नही होती है. यदि किसी कंपनी में ये सब विशेषताएं पायीं जातीं हैं तो उस कंपनी को अपने नाम के अंत में 'प्राइवेट लिमिटेड' शब्द का उपयोग करना पड़ता है.

(Examples Unlisted Shares क्या होते है? of Private Limited Companies)

private companies india


Image source:Business Standard

पब्लिक लिमिटेड कंपनी की परिभाषा (Definition of Public Limited Company)
एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी या पीएलसी एक संयुक्त स्टॉक कंपनी है जिसे भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 या किसी अन्य पिछले अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है. यह स्वैच्छिक रूप से स्थापित व्यक्तियों का एक संघ है, जिसकी न्यूनतम पेड-उप पूंजी रु. 5 लाख होती है. इस प्रकार की कंपनी खोलने के लिए कम से कम 7 सदस्यों की जरुरत होती है लेकिन अधिकतम सदस्यों के लिए कोई ऊपरी सीमा तय नही है.

(Examples of Public Limited Companies)

navratna companies


Image source:Telecom Talk
इस प्रकार की कम्पनी में शेयरों के हस्तांतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है. कंपनी शेयर या डिबेंचर को सामान्य जनता को बेच सकती है; और यही कारण है कि इस प्रकार की कंपनियों के नाम में 'पब्लिक लिमिटेड' शब्द को जोड़ा जाता है.

RBI के नये नियम से बैंक फ्रॉड की कितनी राशि ग्राहकों को वापस मिलेगी
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मुख्य अंतर
1. पब्लिक लिमिटेड कंपनी शुरू करने के लिए कम से कम सात सदस्य होने चाहिए इसके विपरीत, निजी कंपनी को कम से कम दो सदस्यों के साथ शुरू किया जा सकता है.

2.एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में सदस्यों की अधिकतम संख्या पर कोई सीमा नहीं है; इसके विपरीत, एक निजी कंपनी में अधिकतम 200 सदस्य हो सकते हैं.

3. पब्लिक लिमिटेड कंपनी एक ऐसी कंपनी को कहा जाता है जो कि एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती है और सार्वजनिक रूप से कारोबार करती है जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक ऐसी कंपनी होती है जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं होती है और इसका मालिकाना हक़ इसके मालिकों के पास रहता है.

4. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का आकार सार्वजनिक कंपनी की तुलना में छोटा होता है और वित्तीय स्रोत भी कम होते हैं.

5. एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के पास कम से कम तीन निदेशक होने चाहिए, जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम 2 निदेशकों को रखना अनिवार्य होता है.

6.किसी सार्वजनिक कंपनी के मामले में सदस्यों की एक जनरल मीटिंग बुलाना अनिवार्य होता है, जबकि निजी कंपनी के मामले में ऐसी कोई मजबूरी नहीं है.

7. पब्लिक लिमिटेड कंपनी के मामले में वार्षिक आम बैठक (एजीएम) का कोरम पूरा करने के लिए बैठक में कम से कम पांच सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहिए. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मामले में यह संख्या 2 होनी चाहिए.

BOD MEETING

8. पब्लिक लिमिटेड कंपनी के लिए प्रॉस्पेक्टस जारी करना या प्रॉस्पेक्टस के स्थान पर बयान देना अनिवार्य होता है जबकि ऐसा प्रावधान एक निजी कंपनी के मामले में नहीं होता है.

9. किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी के शेयरधारक अपने शेयरों को स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित/बेच सकते हैं जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ऐसा करने की छूट नही होती है.

10. एक व्यवसाय शुरू करने के लिए, सार्वजनिक कंपनी को अपनी स्थापना होने के बाद व्यवसाय शुरू करने के प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है; इसके विपरीत, एक निजी कंपनी स्थापना प्रमाण पत्र प्राप्त करने के तुरंत बाद अपना व्यवसाय शुरू कर सकती है.

11. किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी से मिलने वाला लाभ सरकार और कंपनी के शेयर धारकों को मिलता है जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से प्राप्त होने वाला लाभ निजी लोगों को मिलता है.

उपर्युक्त अंतरों के आधार पर कहा जा सकता है कि इन दोनों प्रकार की कंपनियों में काफी अंतर(Difference between Public and Private company) होता है. पब्लिक लिमिटेड कंपनी का मालिकाना हक़ सरकार के हाथ में होता है और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर किसी निजी व्यक्ति का अधिकार होता है.

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और पब्लिक लिमिटेड कंपनी में क्या मुख्य अंतर होता है?

Difference between Public and Private company:पब्लिक लिमिटेड कंपनी के ऊपर सरकार और शेयरधारकों का कब्ज़ा होता है और इसकी स्थापना के लिए कम से कम 7 सदस्यों की जरुरत होती है. जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी निजी लोगों के स्वामित्व वाली कंपनी होती है; जिसकी स्थापना करने के लिए कम से कम 2 लोगों की जरुरत होती है.

Private company vs.Public-company

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की परिभाषा (Definition of Private Limited Company)
एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक संयुक्त स्टॉक कंपनी है, जो भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 या किसी अन्य पिछले अधिनियम के तहत स्थापित की गयी है.

यह स्वैच्छिक रूप से बनाए गए व्यक्तियों का एक संघ है, जिसकी न्यूनतम पेड-उप पूंजी रु. 1,00,000 होती है. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए कम से कम 2 लोगों की जरुरत अवश्य होती है. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मौजूदा कर्मचारियों की अधिकतम संख्या 200 हो सकती है.

इस प्रकार की कंपनी को अपने शेयर पब्लिक या आम लोगों को बेचने की अनुमति नही होती है. यदि किसी कंपनी में ये सब विशेषताएं पायीं जातीं हैं तो उस कंपनी को अपने नाम के अंत में 'प्राइवेट लिमिटेड' शब्द का उपयोग करना पड़ता है.

(Examples of Private Limited Companies)

private companies india


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पब्लिक लिमिटेड कंपनी की परिभाषा (Definition of Public Limited Company)
एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी या पीएलसी एक संयुक्त स्टॉक कंपनी है जिसे भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 या किसी अन्य पिछले अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है. यह स्वैच्छिक रूप से स्थापित व्यक्तियों का एक संघ है, जिसकी न्यूनतम पेड-उप पूंजी रु. 5 लाख होती है. इस प्रकार की कंपनी खोलने के लिए कम से कम 7 सदस्यों की जरुरत होती है लेकिन अधिकतम सदस्यों के लिए कोई ऊपरी सीमा तय नही है.

(Examples of Public Limited Companies)

navratna companies


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इस प्रकार की कम्पनी में शेयरों के हस्तांतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है. कंपनी शेयर या डिबेंचर को सामान्य जनता को बेच सकती है; और यही Unlisted Shares क्या होते है? कारण है कि इस प्रकार की कंपनियों के नाम में 'पब्लिक लिमिटेड' शब्द को जोड़ा जाता है.

RBI के नये नियम से बैंक फ्रॉड की कितनी राशि ग्राहकों को वापस मिलेगी
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मुख्य अंतर
1. पब्लिक लिमिटेड कंपनी शुरू करने के लिए कम से कम सात सदस्य होने चाहिए इसके विपरीत, निजी कंपनी को कम से कम दो सदस्यों के साथ शुरू किया जा सकता है.

2.एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में सदस्यों की अधिकतम संख्या पर कोई सीमा नहीं है; इसके विपरीत, एक निजी कंपनी में अधिकतम 200 सदस्य हो सकते हैं.

3. पब्लिक लिमिटेड कंपनी एक ऐसी कंपनी को कहा जाता है जो कि एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती है और सार्वजनिक रूप से कारोबार करती है जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक ऐसी कंपनी होती है जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं होती है और इसका मालिकाना हक़ इसके मालिकों के पास रहता है.

4. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का आकार सार्वजनिक कंपनी की तुलना में छोटा होता है और वित्तीय स्रोत भी कम होते हैं.

5. एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के पास कम से कम तीन निदेशक होने चाहिए, जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम 2 निदेशकों को रखना अनिवार्य होता है.

6.किसी सार्वजनिक कंपनी के मामले में सदस्यों की एक जनरल मीटिंग बुलाना अनिवार्य होता है, जबकि निजी कंपनी के मामले में ऐसी कोई मजबूरी नहीं है.

7. पब्लिक लिमिटेड कंपनी के मामले में वार्षिक आम बैठक (एजीएम) का कोरम पूरा करने के लिए बैठक में कम से कम पांच सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहिए. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मामले में यह संख्या 2 होनी चाहिए.

BOD MEETING

8. पब्लिक लिमिटेड कंपनी के लिए प्रॉस्पेक्टस जारी करना या प्रॉस्पेक्टस के स्थान पर बयान देना अनिवार्य होता है जबकि ऐसा प्रावधान एक निजी कंपनी के मामले में नहीं होता है.

9. किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी के शेयरधारक अपने शेयरों को स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित/बेच सकते हैं जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ऐसा करने की छूट नही होती है.

10. एक व्यवसाय शुरू करने के लिए, सार्वजनिक कंपनी को अपनी स्थापना होने के बाद व्यवसाय शुरू करने के प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है; इसके विपरीत, एक निजी कंपनी स्थापना प्रमाण पत्र प्राप्त करने के तुरंत बाद अपना व्यवसाय शुरू कर सकती है.

11. किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी से मिलने वाला लाभ सरकार और कंपनी के शेयर धारकों को मिलता है जबकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से प्राप्त होने वाला लाभ निजी लोगों को मिलता है.

उपर्युक्त अंतरों के आधार पर कहा जा सकता है कि इन दोनों प्रकार की कंपनियों में काफी अंतर(Difference between Public and Private company) होता है. पब्लिक लिमिटेड कंपनी का मालिकाना हक़ सरकार के हाथ में होता है और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर किसी निजी व्यक्ति का अधिकार होता है.

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